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अनुच्छेद 35(A) : 1947 में हुए सत्ता हस्तांतरण के बाद देश के साथ तत्कालीन प्रधानमंत्री नेहरू की साजिश

पुष्पेन्द्र कुलश्रेष्ठ

1947 में हुए सत्ता हस्तांतरण के बाद देश के साथ अनेक साजिशें हुई, देश के तत्कालीन प्रधानमंत्री नेहरू ने राष्ट्रपति से एक अध्यादेश जारी कराया और उसे संविधान में शामिल कर दिया जिसे अनुच्छेद 35(A) से जाना जाता है , जिसके कारण कश्मीर में दस लाख हिंदुओं को नागरिकता से वंचित कर दिया गया है ये लोग लोग, जो विभाजन के समय भारत में आये वह अपने नागरिक अधिकारों को तरस रहे हैं, यह विचार देश के मूर्धन्य पत्रकार व राष्ट्रवादी विचारक श्री पुष्पेंद्र कुलश्रेष्ठ ने अलीगढ़ में सामाजिक संगठन आहुति द्वारा आयोजित एक विचार गोष्ठी के दौरान व्यक्त किये। उन्होंने आगे कहा कि 1947 में देश की आजादी के नाम पर ब्रिटिश हुकूमत और नेहरू ने मिलकर देश के साथ धोखा किया ।
उन्होंने आक्रोश भरे लहजे में कहा कि जो परिस्थितियां देश में 1947 से पूर्व की थी वो लगातार हो रहे मुस्लिम तुष्टिकरण के कारण पुनः वही स्थिति देश में बनने लगी है, जनसंख्या विस्फोट इसका बहुत बड़ा कारण है, समाज के जागरूक नागरिकों ओर बुद्धिजीवियों को इस विषय पर लगातार केंद्र सरकार पर छोटी छोटी गोष्ठियों के माध्यम से दबाब बनाना चाहिए ।
उन्होंने भारतीय संविधान के अनुच्छेद 30(A)को स्पष्ट करते हुए बताया कि इस अनुच्छेद के चलते देश के किसी भी विद्यालय में हिन्दू धर्मशास्त्रों की शिक्षा देने पर संविधानिक रोक है जबकि अन्य धर्मों के शास्त्रों की शिक्षा दी जा सकती है । उन्होंने आश्चर्य व्यक्त करते हुए कहा कि देश का विभाजन मजहब के आधार पर हुआ तो जब पाकिस्तान इस्लामिक राष्ट्र बन गया तो फिर वो यहां क्यों हैं ।
उन्होंने उपस्थित बुद्धिजीवियों व गणमान्य जनों को देश की स्थिति परिस्थितियों का सूक्ष्म आंकलन कर राष्ट्रवादी शक्ति को ओर अधिक बलवती करने का आव्हान करते हुए कहा कि विगत 2014 व 2019 में आपने वोट के माध्यम से अपनी अजेय शक्ति का जो परिचय दिया उसे निरन्तर बनाएं रखने की आवश्यकता है ।
उक्त विचार गोष्ठी की अध्यक्षता आहुति अध्यक्ष अशोक चौधरी ने की व संचालन कार्यक्रम संयोजक प्रांजुल गर्ग ने किया ।
इस अवसर पर रवींन्द्र राष्ट्रीय, अशोक सक्सेना, मुकेश लिम्का, देवेंद्र सक्सेना, अनिल नवरंग, ओ पी राठी, सुभाष लोधी, विक्रांत गर्ग, अंशुल गौड़, नीरव अरोड़ा एडवोकेट, नागेंद्र सिंह एडवोकेट, अशोक वार्ष्णेय, दिनेश मित्तल, सीए संजय गोयल, राजाराम मित्र, यतीन्द्र मोहन झा, जयप्रकाश सारस्वत, मुकेश राजपूत, योगेश शर्मा रचना, सी पी गुप्ता , विनोद माहेश्वरी, गिरीश बंसल, मनोज शर्मा, हंसपाल गुप्ता, दाऊदयाल गुप्ता , शेलेन्द्र वार्ष्णेय, नागेंद्र कुमार, निधि शर्मा , कंचन राघव, देवेंद्र वार्ष्णेय पत्रकार ani, प्रदीप सिंघल, आर के जिंदल, अभिनव अग्रवाल, डॉ खुरवेंद्र प्रताप सिंह, अरविंद सारस्वत, अमन प्रताप सिंह, उमेश राघव आदि बड़ी संख्या में प्रबुद्ध जन उपस्थित थे।