नई दिल्ली। विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने सरोगेसी बिल के बारे में लोगों को समझाने की कोशिश की है। सरकार द्वारा पास क्लियर किए गए ड्राफ्ट कानून के अनुसार, निसंतान दंपत्ति सरोगेट मांओं को किराए पर नहीं ले सकते, बल्कि करीबी रिश्तेदारों को बच्चा कैरी करने को कह सकते हैं। कैबिनेट मीटिंग के बाद सुषमा ने रिपोर्टर्स से कहा, ”कमर्शियल सरोगेसी पर पूरी तरह प्रतिबंध रहेगा। निसंतान दंपत्ति जो कि बच्चे पैदा करने के लिए मेडिकली अनफिट हैं, वे अपने किसी करीबी रिश्तेदार की मदद से सकते हैं जिसे अल्ट्रूस्टिक सर्जरी सरोगेसी कहा जाता है।
बिल इसलिए लाया जा रहा है क्योंकि भारत कपल्स के लिए एक सरोगेसी हब के तौर पर उभरा है और तकनीक के गलत इस्तेमाल सामने आए हैं। इस बिल से कमर्शियल सरोगेसी पर प्रतिबंध लगेगा और नपुंसक दंपत्तियों को एथिकल सरोगेसी की इजाजत मिलेगी। अगर आपके पास जैविक रूप से एक बच्चा है या आपने बच्चा गोद लिया है तो आपको अल्ट्रूस्टिक सरोगेसी की इजाजत नहीं मिलेगी। ऐसा इसलिए किया गया ताकि दोनों बच्चों को अलग-अलग परवरिश न मिले या फिर बाद में प्रॉपर्टी को लेकर झगड़े न हो।”
सुषमा ने सरोगेसी का फायदा उठाने वालों पर निशाना साधते हुए कहा कि ”जो चीज जरूरत के नाम पर शुरू की गई थी वह अब शौक बन गई है।” उन्होंने कहा कि ”सेलिब्रिटीज सरोगेट बच्चे पैदा कर रहे हैं। दो बच्चों के होने के बावजूद उन्होंने तीसरा बच्चा इसलिए पैदा किया क्योंकि पत्नी दर्द बर्दाश्त नहीं कर पाई और कोई और उनका बच्चा पैदा करने को मिल गया।” सुषमा ने कहा, ”सिंगल पेरेंट्स, होमोसेक्सुअल कपल्स, लिव-इन-रिलेशनशिप्स में रहने वालों को सरोगेसी की इजाजत नहीं दी जाएगी।”