जुलाई 2016 से कश्मीर अशांत है। जबसे सुरक्षाबलों ने हिजबुल मुजाहिद्दीन के आतंकी बुरहान वानी को मौत के घाट उतारा है तब से लेकर अब तक कश्मीर के अलगाववादी नेता अपनी छाती पीट रहे हैं। लेकिन, क्या आपको पता है कि कश्मीर के ये अलगाववादी नेता अपनी छाती पीटने का भी पैसा पाकिस्तान से लेते हैं। इनका हर एक लफ्ज बिकाऊ है। हर लफ्ज की कीमत लगती है। पाकिस्तान इन्हें हर उस बात का पैसा देता है जो भारत और कश्मीर के खिलाफ है। खुफिया विभाग के सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक कश्मीर के अलगाववादी नेताओं की औकात पाकिस्तान में सिर्फ दस हजार रुपए की है। सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक इन लोगों को पाकिस्तान सबसे बड़े काम के सिर्फ दस हजार रुपए देता है।
यानी दस हजार रुपए की खातिर ये लोग पूरे के पूरे कश्मीर और यहां के युवाओं को तबाह और बरबाद कर रहे हैं। सूत्र बताते हैं कि पाकिस्तान के आतंकी संगठनों के साथ कश्मीर के ज्यादातर अलगाववादी नेताओं का संपर्क है। पाक सरकार वहां की खुफिया एजेंसी और आतंकी संगठन के सरगना इन लोगों के टच में रहते हैं। कश्मीर में इन लोगों का काम नेता बनकर पाकिस्तान की वकालत करना होता है। जिसके एवज में इन लोगों की जेबे गरम होती है। विश्वस्त सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक पाकिस्तान के आतंकी संगठनों के सरगना इन अलगाववादी नेताओं को एक आतंकी बनाने के एवज में सिर्फ दस हजार रुपए की कमीशन देते हैं। यानी अगर कश्मीर के किसी लड़के को इन लोगों ने बहकाकर आतंक के रास्ते पर पहुंचा दिया तो इसका दस हजार रुपए पक्का।
सर्जिकल स्ट्राइक से पहले ये लोग कश्मीर के युवाओं को बहकाकर उन्हें आतंक की ट्रेनिंग लेने के लिए पाकिस्तान भेजते थे। लेकिन, अब ये काम भी कश्मीर के ही जंगलों में होता है। दरअसल, जब से दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ा है सीमा पर चौकसी बढ़ा दी गई है। भारतीय सेना सितंबर से लेकर अब तक कई आतंकियों को मौत के घाट उतार चुकी है। ऐसा नहीं है कि इस वक्त कश्मीर में घुसपैठ पूरी तरह थम गई है लेकिन, इंडियन आर्मी की चौकसी और त्वरित कार्रवाई के चलते आतंकी सहमे हुए हैं। उन्हें इस बात का डर रहता है कि कहीं वो एलओसी पर ही मौत के घाट ना उतार दिए जाएं। ऐसे कई आतंकियों को इंडियन आर्मी के जवान मार चुके हैं। जिससे पाकिस्तान के आतंकी संगठन काफी बौखलाए हुए हैं।
सूत्र बताते हैं कि अब पाकिस्तान के आतंकी संगठन चाहते हैं कि मुजाहिद (आतंकी) सीमापार से ना जाकर कश्मीर में ही हथियार उठाएं। इसके लिए आतंकियों की भर्ती का जिम्मा अलगाववादी नेताओं को दिया गया है। इन्हें हर आतंकी की भर्ती पर दस हजार रुपए का कमीशन मिलता है। इसके अलावा जिस आतंकी को जिस भी संगठन में भर्ती कराते हैं उसे जिंदा रहने तक हर महीने का खर्चा और मरने के बाद परिवार को कुछ पैसा देने का वादा किया जाता है। लेकिन, इन आतंकियों की कोशिश होती है कि आतंक के रास्ते पर चलने वाले युवाओं का ऐसा ब्रेनवॉश किया जाए कि उन्हें पैसों की चिंता की बजाए सिर्फ उनके सिर पर मरने और मारने का जुनून सवार रहे। ताकि इन सब की दुकानदारी चलती रहे।