नई दिल्ली। गरीबों को दी जाने वाली सब्सिडी पर नीतिगत नजरिये से सबका ध्यान चला जाता है लेकिन सरकार की कई ऐसी नीतियां हैं जिससे संपन्न वर्ग को भी अच्छा-खासा लाभ होता है। लघु बचत योजनाओं तथा रसोई गैस, रेलवे, बिजली, विमान ईंधन, सोना तथा केरोसिन पर टैक्स राहत या सब्सिडी से करीब एक लाख करोड़ रुपये का फायदा हो रहा है।
संसद में पेश वित्त वर्ष 2015-16 आर्थिक समीक्षा में ‘संपन्न वर्ग के लिए लाभ’ शीर्षक से यह कहा गया है कि टैक्स प्रोत्साहन पर आधारित नीतियों से न केवल मध्यम वर्ग बल्कि आय वितरण के मामले में सबसे ऊपर का तबका भी लाभान्वित हो रहा है। वित्त वर्ष 2015-16 की आर्थिक समीक्षा में मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रमण्यम ने भूमिका में लिखा है, ‘इसको लेकर बार-बार आलोचना की जाती है कि केवल गरीबों को ही सब्सिडी क्यों दी जाए। इसको देखते हुए हमने धनाढ्य वर्ग को दी जा रही सुविधाओं की चर्चा की है और उनकी मात्रा निर्धारित की है।’
इनमें सात क्षेत्रों, पीपीएफ समेत लघु बचत योजना, मिट्टी का तेल, रेल भाड़ा, बिजली, एलपीजी सिलेंडर तथा विमान ईंधन (एटीएफ) में दी जा रही सब्सिडी (छूट और प्रोत्साहन) का जिक्र किया गया है जिससे बड़ी संख्या में संपन्न वर्ग के लोग भी लाभान्वित हो रहे हैं। समीक्षा में इस बारे में विस्तार से बताया गया है कैसे सब्सिडी योजना से अमीर लाभान्वित हो रहे हैं।
इसमें कहा गया है कि एलपीजी ग्राहकों को (जनवरी 2016 की स्थिति के अनुसार) 14.2 किलो के सिलेंडर पर 238.51 रुपये की सब्सिडी प्राप्त करते हैं। यह सब्सिडी दर का 36 प्रतिशत (बाजार मूल्य एवं सब्सिडी की राशि का अनुपात) है। इसमें से 91 प्रतिशत सब्सिडी समृद्ध लोगों को मिलती है क्योंकि कुल खपत में उनकी हिस्सेदारी करीब 91 प्रतिशत है जबकि रसोई गैस की सब्सिडी का केवल 9 प्रतिशत हिस्सा ही गरीबों को जाता है। यही स्थिति विमान ईंधन, केरोसीन एवं अन्य क्षेत्रों की है।
समीक्षा में कहा गया है कि समृद्ध लोगों द्वारा किए गए उपभोग के आधार पर सोना, किरोसीन, एलपीजी, बिजली, रेलवे तथा एटीएफ प्रभावी सब्सिडी 91,350 करोड़ रुपये हैं। इसमें अगर छोटी बचत योजनाओं में केवल पीपीएफ को जोड़ दिया जाए तो कुल सब्सिडी एक लाख करोड़ रुपये से ज्यादा है। समीक्षा के अनुसार सरकार विभिन्न वस्तुओं और सेवाओं की सब्सिडी पर सकल घरेलू उत्पाद का 4.2 प्रतिशत सब्सिडी पर खर्च करती है। यूं तो सब्सिडी का लाभ आम तौर पर गरीबों को मिलने की बात की जाती है लेकिन सरकार की ‘उदारता” केवल गरीब जनता तक सीमित नहीं है।
वास्तव में कई मामलों में लाभार्थी अमीर लोग भी हैं। इसमें कहा गया है, ‘सरकार ने हाल ही में कंपनी टैक्स मामले में कंपनियों को 62,000 करोड़ रुपये की टैक्स छूट मिलने की बात कही है और चरणबद्ध तरीके से इसे समाप्त किए जाने की घोषणा की है। इसके अलावा जीएसटी लागू होने से करीब 3.3 लाख करोड़ रुपये की अनुमानित इनडायरेक्ट टैक्स छूट को युक्तिसंगत बनाने से भी रिसाव दूर हो सकेगा।’
समीक्षा के अनुसार इसे अन्य क्षेत्रों में लागू किया जा सकता है जहां गरीब और कमजोर वर्ग को लाभ नहीं मिलता। निष्कर्ष में कहा गया है कि सरकार के कई कदम ऐसे हैं जिससे समाज के समृद्ध तबके को लाभ होता है। कई मामलों में यह सहायता स्पष्ट रूप से सब्सिडी का रूप ले लेती है जिसकी मात्रा काफी ज्यादा है। राजकोषीय एवं आर्थिक कल्याण संबंधी दृष्टकोण से इनमें सुधार करना बेहतर होगा। मात्र छह वस्तुओं के संबंध में समृद्धों को एक लाख करोड़ रुपये की सब्सिडी देने और छोटी बचत योजनाओं के प्रोत्साहन से सरकारी धनराशि का अधिक दुरुपयोग होता है और जिनको इसका लाभ मिलना चाहिए, वे इससे वंचित रह जाते हैं।