
शहीद हरविंद्र पंवार ने 2010 में सीआरपीएफ को ज्वाइन किया था। अब उनकी पोस्टिंग बिहार के औरंगाबाद में थी। हरविंद्र की 6 महीने बाद शादी होने वाली थी। शहीद हरविंद्र अपने पीछे माँ बाप और दो भाइयो को छोड़ गए हैं।
शहीद के पिता भीष्म पंवार ने बताया, ”हमें सुबह 10 बजे के करीब ये सूचना मिली थी की नक्सलियों से मुठभेड़ होगी, उसकी कोई अधिकारी है नाम नहीं बता सकते हम उसका। उन्होंने बताया कि नक्सलियों के साथ मुठभेड़ में मौत हो गई उसकी। वो 2010 में आया था। बहादुर तो बहुत था। किसी गलत काम में नहीं था। उसे अपनी तरक्की का सपना था। मैं कहता था की तू कोबरा से इसमें आजा वो बोलता था की नहीं मुझे कोबरा में ही रहना है। उसका 20 जुलाई को प्रमोशन होना था, क्योंकि उसने एग्जाम दिया हुआ था। उसकी इच्छा कोबरा में ही रहने की थी। दस-बारह शहीद हो गए हैं और कई घायल हैं। कई जवान लापता हैं।”
शहीद के भाई जीतेन्द्र पंवार ने कहा कि ”मेरे पास कहने को कुछ भी नहीं है। चला गया मेरा भाई वो 2010 में भर्ती हुआ था। हमें बताया गया की नक्सली हमले में शहीद हो गए। उसकी उम्र 24 साल थी। उसने पढ़ाई अपने गांव से ही की है। बहुत बहादुर और निडर था। बोलता था की आज तक मेरा सामना नक्सलियों से नहीं हुआ और अब एस मुकाबला हुआ की वो हमें छोड़कर ही चला गया। मैं तो यही कहना या तो इस तरह का कोई ऑपरेशन न हो अगर ऑपरेशन हो तो उन्हें आजादी दी जाए की वो सब को खत्म कर दे। सेना को पूरी छूट देनी चाहिए।