वॉशिंगटन। इसे भारत की ताकत ही कहिए कि अब अमेरिका के राष्ट्रपति अपने निवास वाइट हाउस में भारतीय राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ आमने-सामने बात करना चाहते हैं। भारत के हर राज्य में अमेरिकी बिजनस को बढ़ावा देने के लिए अमेरिका की सरकार ने मुख्यमंत्रियों के एक सम्मेलन का प्रस्ताव रखा है जो भारतीय राज्यों और अमेरिकी प्राइवेट कंपनियों के बीच कमर्शल पार्टनरशिप को प्रमोट करेगा।
वाइट हाउस के फैक्टशीट में सम्मेलन की तारीख का जिक्र किए बिना कहा गया है कि इस सम्मेलन का मकसद भारत के अग्रणी राज्यों को बिजनस करने के फायदे बताने और कारोबारी माहौल में हालिया सुधारों को हाइलाइट करने का एक प्लैटफॉर्म ऑफर करना है। इसमें भारत का पक्ष नहीं बताया गया है। हालांकि, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कुछ केंद्रीकृत आर्थिक शक्तियों के बंटवारे के पक्ष हैं।
विभिन्न राज्यों के मुख्यमंत्री विदेशी निवेश आकर्षित करने के लिए विदेशों और खासकर अमेरिका की यात्रा करते रहते हैं। अब अमेरिका के इस प्रस्ताव को भारत सरकार की हरी झंडी चाहिए होगी। हालांकि, अमेरिका में स्टेट के गवर्नरों (वहां राज्य में मुख्यमंत्री नहीं गवर्नर ही होते हैं) और यहां तक कि काउंटी के एग्जिक्युटिव्स के पास ही विदेशी सरकारों या कंपनियों के साथ कारोबार करने का अधिकार होता है। बहरहाल, अमेरिका के यह कदम दिखाता है कि भारत के कुछ राज्य कारोबार के प्रति अन्य राज्यों की तुलना में ज्यादा खुले हैं। हालांकि, यह देखना होगा कि प्रस्तावित सम्मेलन से निकलकर आता क्या है।
थॉमस जेफर्सन से लेकर अब तक के 44 राष्ट्रपतियों में कुल 17 अमेरिकी राष्ट्रपति पहले किसी ना किसी राज्य के गवर्नर रह चुके थे। इनमें बिल क्लिंटन और जॉर्ज बुश समेत कुल 9 ऐसे थे जो राष्ट्रपति बनने से ठीक पहले गवर्नर थे। इसी तरह भारत में भी 15 प्रधानमंत्रियों में नरेंद्र मोदी, देव गौड़ा, पीवी नरसिम्हा राव, वीपी सिंह, चरण सिंह और मोरारजी देसाई भी मुख्यमंत्री रहे। भारत में सांसद देश की बात करते हैं ना कि उस राज्य की जहां से वह चुनकर संसद पहुंचते हैं। लेकिन, अमेरिकी सांसदों को अपने-अपने राज्य की तरफदारी करने में कोई हिचक नहीं होती।
मंगलवार रात को आयोजित यूएस-इंडिया बिजनस काउंसिल कॉन्क्लेव में ह्युस्टन से सांसद पीट ऑल्सन भारतीय पोशाक में नजर आए। उन्होंने पीएम मोदी को याद दिलाया कि जब वह पिछली बार अमेरिका आए थे तो उन्होंने (ऑल्सन ने) उन्हें (मोदी को) काउबॉय हैट भेंट की थी और अमेरिका के एनर्जी कैपिटल (ह्युस्टन) आने का निमंत्रण दिया था। उन्होंने पीएम मोदी के जूते की नाप मांगी थी ताकि वह उन्हें काउबॉय बूट्स दे सकें जिसे पहनकर पीएम ह्युस्टन आएं। दरअसल, अपने राज्य के कारोबारी हित को बढ़ावा देने के लिए इस तरह के दिखावे आम हैं।