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मैं भीड़ में काफी इन्सिक्योर फील करता था
खैर, अनसूटेबल बॉय करण जौहर से बातों को सिलसिला शुरू हुआ। शोभा ने उनसे उनके बचपन के बारे पूछा। करण ने बताया कि उनका बचपन आम बच्चों की तरह गुजरा। उन्होंने कहा कि वो बचपन में बहुत मोटे थे। हंसते हुए बोले कि पापा सिंधी थे और मां पंजाबी। पापा मुझे तंदुरुस्त देखना चाहते थे और मां को तो मैं मोटा-ताजा, गोलू-मोलू पसंद था। मां ने कभी खाने-पीने में कंट्रोन नहीं किया। नतीजा यह निकला कि बचपन का मोटापा मेरी जवानी मेंभी मेरे साथ था। 26 साल की उम्र में मेरा वजन करीब 158 किला था। मोटापे की वजह से मैं भीड़ में काफी इन्सिक्योर फील करता था। करण ने बचपन से जुड़ी ऐसी ही कई दिलचस्प बातें शेयर कीं। उन्होंने कहा कि वो पढ़ाई में भी ज्यादा अच्छे नहीं थे, लेकिन बोर्ड में 88 परसेंट माक्र्स आए, तो मम्मी बहुत खुश हुईं। मुझे आट्र्स में इंटरेस्ट था, जबकि मां को साइंस में। मैंने उनसे कहा कि मैं आट्र्स लेकर पढ़ूंगा, तो वो चौंक गईं। किसी तरह वो कॉमर्स पर राजी हुईं और उसके बाद मैं कॉमर्स में ग्रेजुएशन किया।
मेरा पैशन डायरेक्शन
इस मौके पर करण ने अपनी फिल्मों की बात तो की है, साथ ही संजयलीला भंसाली, अनुराग कष्यप, राजकुमार हीरानी की भी जमकर तरीफ की। एक छात्रा ने उनसके पूछा कि आप एक्टर भी हैं, डायरेक्टर भी, प्रोड्यूसर भी और एंकरिंग भी करते हैं। इनमें से सबसे ज्यादा क्या करना अच्छा लगता है। करण ने कहा कि मैं बॉलीवुड में चाहे कुछ भी करूं, लेकिन मेरा पैशन डायरेक्शन ही है। इसी मुझे मजा आता है और आज मैं जहां भी हूं, वह डायरेक्शन की वजह से ही हूं।
कानूनी नोटिस से डर लगता है
सेशन में कुछ विवादित मुद्दों पर करण ने खुलकर अपनी राय रखी। पिछले साल वो एआईबी रोस्त में अभद्र भाषा को लेकर भी सुर्खियों में रहे हैं। इसको लेकर उनकी काफी आलोचना भी हुई थी। बात उठी होमो सैक्सुअल, इनटॉलरेंस और सेंसरशिप की, तो करण ने इस पर भी बेबाकी से अपनी बात रखी और दर्शकों की तालियां बटोरी। उन्होंने कहा कि भारत में लोकतंत्र और कुछ कहने की आजादी को मजाक बनाया जाता है। लेकिन सच तो यह है कि जिसके साथ जो गुजरती है, उसकी पीड़ा वहीं समझ सकता है। उन्होंने राष्ट्रगान का उदाहरण देते हुए कहा कि मुझे किसी भी कानूनी नोटिस से बहुत डर लगता है। एक फिल्म में राष्ट्रगान के कुछ अंश डालने के चलते मुझे पिछले 14 साल कोर्ट के चक्कर काट रहा हूं। सेंसर बोर्ड का भी यही रवैया है। जिस पर कैंची चलानी चाहिए, उस पर नहीं चलाते। फिल्मों के डायलॉग्स के लिए भी एक सेंसर बना देना चाहिए।
होमो सैक्सुअल
करण की फिल्मों होमो सैक्सुअल का मुद्दा उठा, तो इस पर भी उन्होंने खुलकर अपनी बात रखी। उन्होंने कहा, होमो सैक्सुअल पर कानून बनाने से कुछ नहीं होगा। हम तीसरी दुनिया के देश हैं। हमारी कुछ सीमाएं है। जरूरत कानून बनाने की नहीं, लोागों की सोच बदलने की हैं। कितने भी कानून बना लो, कितने भी प्रदर्शन कर लो… कुछ नहीं होगा। हमें अपनी सोच को सकारात्मक बनाना होगा। फिल्म \’दोस्तानाà के बारे में उन्होंने कहा कि इसमें होमोसैक्सुअल को एक साधारण विषयवस्तु के तौर दिखाया गया है। लोागें ने इसे पसंद किया। हर किसी ने इसकी चर्चा की। यह समय की मांग थी। कुछ चीजें वक्त के साथ बदल जाती हैं। समाज में क्या चल रहा होता है, उसे भी ध्यान में रखना पड़ता। मेरी \’दोस्तान\’ का इसी का नतीजा थी। इस दौरान उन्होंने अपनी ब्लॉकबस्टर फिल्म \’कुछ कुछ होता है\’ का जिक्र किया, तो कुछ \’बॉम्बे टॉकीज\’ जैसी फ्लॉप फिल्मों के बारे में सफाई दी।
सच से कोसों दूर बॉलीवुड
फिल्मों की तरह बॉलीवुड के लोग भी फिल्मी हो गए हैं। उन्होंने कहा, यहां जैसा दिखता है, वैसा है नहीं। सब अपना अपना स्वार्थ साधने में जुटे हुए हैं। रिश्ते-नाते, यारी-दोस्ती सब बेमानी है। यहां कोई किसी का सच्चा दोस्त नहीं है। भीड़ में एकाध मिल जाए, बड़ी बात होगी। उनका इशारा शाहरुख खान की तरफ था। उन्होंने कहा कि शाहरुख के साथ हमारे पारिवारिक संबंध हैं।