नई दिल्ली। नरेंद्र मोदी सरकार आज अपना दूसरा पूर्ण बजट पेश करेगी। आम बजट पेश करते हुए वित्तमंत्री अरुण जेटली के सामने कृषि क्षेत्र और उद्योग जगत की ज़रूरतों के बीच तालमेल बिठाने की चुनौती रहेगी। यही नहीं अंतरराष्ट्रीय अर्थव्यवस्था में उठापटक के बीच देश की विकास दर बढ़ाने के लिए संसाधन जुटाने की चुनौती भी वित्तमंत्री के सामने होगी।
आम नौकरीपेशा लोगों को आयकर में और राहत की उम्मीद है, लेकिन लगता नहीं कि वित्तमंत्री आयकर के ढांचे में बदलाव करेंगे बल्कि ये हो सकता है कि वह छूट के प्रस्तावों में कुछ राहत दे दें।
सूखे की वजह से ग्रामीण भारत की हालत ख़राब हुई है और उसे राहत देने की बड़ी चुनौती भी वित्तमंत्री के सामने रहेगी। ऐसे में ये देखना दिलचस्प रखेगा कि अरुण जेटली अपनी पोटली से क्या-क्या निकालते हैं।
हालांकि इस बारे में शुक्रवार को पेश आर्थिक सर्वेक्षण 2015-16 में सुझाव देते हुए कहा गया है कि उम्मीदों को फिर से परिभाषित करने की जरूरत है। बजट में यह भी देखा जाएगा कि सर्वेक्षण के सुझावों को कहां तक अपनाया गया है। सर्वेक्षण में सब्सिडी को सुसंगत करने और ज्यादा लोगों को कर दायरे में लाने के लिए सुधारात्मक कदम उठाए जाने जैसे सुझाव दिए गए हैं।
आर्थिक सर्वेक्षण में वैश्विक चुनौतियों को देखते हुए मौजूदा वित्त वर्ष में देश की विकास दर के अनुमान को 7.6 फीसदी पर रखा गया है। सर्वेक्षण में कहा गया है, ‘वैश्विक सुस्ती के कारण 2016-17 की विकास दर 2015-16 के मुकाबले काफी अधिक रहने की उम्मीद कम है।’ इसमें साथ कहा गया है, ‘सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों और वन रैंक वन पेंशन योजना लागू करने से सरकार का खर्च बढ़ेगा।’
वहीं मूडीज इनवेस्टर्स सर्विस ने भी इसी महीने के शुरुआत में कहा था कि सरकार अगर वित्तीय घाटा कम करने के पूर्व घोषित रास्ते पर चलती भी रहेगी, तब भी भारत की वित्तीय स्थिति समकक्ष देशों के मुकाबले कमजोर ही रहेगी। मूडीज ने कहा, ‘आगामी आम बजट को महत्व इस बात में निहित है कि वित्तीय घाटा कम करने की योजना पर इसमें क्या कहा जाता है।’
फेडरेशन ऑफ इंडियन चैंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (फिक्की) के अध्यक्ष हर्षवर्धन नेवतिया ने कहा, ‘आर्थिक सर्वेक्षण में कहा गया है कि देश में 8-10 फीसदी विकास दर हासिल करने की क्षमता है और इसे हासिल करने के लिए तीन क्षेत्रों पर ध्यान देने की जरूरत है- उद्यमिता को बढ़ावा देना, सरकार की भूमिका कम करना और स्वास्थ्य तथा शिक्षा पर निवेश बढ़ाना।’