वॉशिगंटन। अमेरिकी आर्मी के टॉप जनरल का मानना है कि यदि अमेरिका को रूस और चीन जैसी ताकतों से सामना करना पड़े तो वह संकट में फंस सकता है। बुधवार को कैपिटल हिल में आर्मी चीफ ऑफ स्टाफ जनरल मार्क मिली ने कहा कि इराक और अफगानिस्तान में सालों की लड़ाई से बजट पर बहुत बुरा असर पड़ा है। सैनिकों में कटौती की गई और इससे हमारी फौजी की बढ़ती ताकत प्रभावित हुई है। मिली ने कहा कि हमारी आर्मी इस्लामिक स्टेट ग्रुप और अन्य आतंकी संगठनों से लड़ने के लिए तैयार है।
लेकिन मिली ने कहा कि दुनिया की अन्य बड़ी ताकतों से हम लड़ने की स्थिति में नहीं हैं। उन्होंने कहा कि चीन, रूस, ईरान और नॉर्थ कोरिया हमारे लिए बड़ी चुनौती हैं। मिली ने कहा कि आर्मी की तैयारी उस लेवल पर नहीं है जो अमेरिका के लोग हमसे अपनी सुरक्षा को लेकर अपेक्षा रखते हैं।
फ्री बेकन की रिपोर्ट के मुताबिक हाइटन ने कहा, ‘शत्रुओं का विस्तार तेजी से हो रहा है। इनकी ताकत भी लगातार बढ़ रही है। हमने खुद को बेहतर नहीं बनाया तो स्पेस की हमारी ताकत खत्म हो जाएगी। वे हमारी अंतरिक्ष पर निर्भरता पूरी तरह समझते हैं। वे इस मामले में प्रतिस्पर्धा को भी समझते हैं। हमें अब बहुत सतर्क रहने की जरूरत है जो कि हमने पहले कभी इतना ध्यान दिया नहीं।’
चार स्टार वाले जनरल ने इस बात को भी रेखांकित किया कि एक नया मिलिटरी कमांड सेंटर इन खतरों की तहकीकात कर रहा था। इसमें पता चला है कि चीन और रूस अमेरिकी स्पेस की क्षमता नष्ट कर सकते हैं। लेफ्टिनेंट जनरल डेविड बक ने भी हाइटन के साथ इन संकटों से सहमति जताते हुए कहा कि चीन और रूस उनके स्पेस सिस्टम के लिए बड़े खतरे हैं।
फ्री बेकन की रिपोर्ट के मुताबिक चीन और रूस अमेरिका के बेहद अहम मिलिटरी और इंटेलिजेंस सैटलाइट पर भविष्य में हमले की तैयारी कर रहे हैं। रिपोर्ट में बताया गया है कि भविष्य में होने वाले संघर्षों में इन देशों के निशाने पर अमेरिका का स्पेस सिस्टम होगा। ये मिसाइल या लेजर अटैक कर सकते हैं। यह बात मंगलवार को सीनियर पेंटागन और इंटेलिजेंस अधिकारियों ने कांग्रेस को बताई है। हाइटन ने कहा कि कोल्ड वॉर के बाद अमेरिकी स्पेस सिस्टम को विदेशी ताकतों से सबसे ज्यादा खतरा महसूस किया जा रहा है।
चीन ने दिसंबर में पहली स्पेस वॉर्फेर और साइबर वॉर्फेर यूनिट का निर्माण किया। इसे चीन ने स्ट्रैटिजिक सपॉर्ट फोर्सेज बताया है। बक ने कहा कि यह इलेक्ट्रॉनिक ऐंड नेटवर्क क्षमता से लैस है। उन्होंने कहा कि चीन काउंटर-स्पेस टेक्नॉलजी व्यापक पैमाने पर विकसित कर चुका है। वह अमेरिकी स्पेस सिस्टम को आसानी से निशाना बना सकता है।