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Yashwant Sinha : IAS की नौकरी छोड़ राजनीति में आए, जाने कांग्रेस ने क्यों बनाया उम्मीदवार?

राष्ट्रपति उम्मीदवार बनाए जाने पर क्या बोले यशवंत?
यशवंत ने उम्मीदवारी के एलान से पहले ही ट्वीट किया। लिखा, राज्यसभा और फिर विधानपरिषद चुनावों में टीएमसी ने जो सम्मान और प्रतिष्ठा दी, उसके लिए मैं ममता बनर्जी का आभारी हूं। अब समय आ गया है जब एक बड़े राष्ट्रीय उद्देश्य के लिए मुझे पार्टी से हटकर विपक्षी एकता के लिए काम करना चाहिए।

बिहार में जन्म, फिर बने आईएएस अफसर
06 नवंबर 1937 को यशवंत सिन्हा का जन्म बिहार के नालंदा जिले के अस्थावां गांव में कायस्थ परिवार में हुआ था। उन्होंने राजनीति शास्त्र में मास्टर्स की पढ़ाई पूरी की है। इसके बाद कुछ समय तक वह पटना विश्वविद्यालय में प्रोफेसर भी रहे। 1960 में सिन्हा का चयन भारतीय प्रशासनिक सेवा यानी आईएएस के लिए हो गया। 24 साल तक उन्होंने बतौर आईएएस अपनी सेवाएं दीं। इस दौरान वह भारत सरकार के वाणिज्य मंत्रालय में उप सचिव भी रहे। बाद में उन्हें जर्मनी के दूतावास में प्रथम सचिव वाणिज्यिक के तौर पर नियुक्त किया गया। 1973 से 1975 के बीच में उन्हें भारत का कौंसुल जनरल बनाया गया।

फिर शुरू हुआ राजनीति सफर
1984 में यशवंत सिन्हा ने प्रशासनिक सेवा से इस्तीफा देकर जनता पार्टी जॉइन कर ली। यहीं से उनके राजनीतिक करियर का आगाज हुआ। 1986 में उन्हें पार्टी का महासचिव बनाया गया। 1988 में वह पहली बार राज्यसभा के सांसद बने। 1989 में जब जनता दल का गठन हुआ तो वह उसमें शामिल हो गए। पार्टी ने उन्हें राष्ट्रीय महासचिव बनाया। इस दौरान चंद्रशेखर की सरकार में वह 1990 से 1991 तक वित्त मंत्री भी रहे।

1996 में वह भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता बने। 1998 में उन्हें केंद्र सरकार में वित्त मंत्री बनाया गया। इसके बाद उन्हें विदेश मंत्री भी बनाया गया। 2004 में चुनाव हार गए। 2005 में उन्हें फिर से राज्यसभा सांसद बनाया गया। 2009 में सिन्हा ने भाजपा से इस्तीफा दे दिया। 2021 में उन्होंने टीएमसी जॉइन कर ली। पार्टी ने उन्हें राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनाया।
कभी वाजपेयी के थे खास
एक समय था जब यशवंत सिन्हा पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के काफी खास मंत्रियों में शुमार थे। केंद्र में अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में एनडीए की सरकार बनने के बाद वे वित्तमंत्री और विदेशमंत्री रहे।