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उत्तरकाशी के सिल्क्यारा सुरंग में फंसे 41 मजदूरों को बाहर निकालने के लिए रेस्क्यू टीम के प्रयास जारी, ऑर्गर मशीन के शेष हिस्सों को मलबे से निकाला गया

उत्तरकाशी।उत्तरकाशी के सिल्क्यारा सुरंग में फंसे 41 मजदूरों को बाहर निकालने के लिए रेस्क्यू टीम में मिलकर कई स्तर पर प्रयास कर रही है। मजदूरों को सकुशल बाहर निकालने के लिए रेस्क्यू ऑपरेशन चलाया तो जा रहा है लेकिन इसमें कई तरह की समस्याएं बार-बार खड़ी हो रही है। सुरंग के ऊपर वर्टिकल ड्रिलिंग शुरू की जा चुकी है जिससे मजदूरों को बाहर निकालने की उम्मीद अभी बनी हुई है। वर्टिकल ड्रिलिंग के जरिए अब तक 30 मीटर से अधिक की खुदाई हो चुकी है। अधिकारियों ने यहां बताया कि फंसे श्रमिकों को बाहर निकालने के लिए अब हाथ से ड्रिलिंग की जाएगी।

इससे पहले होरिजेंटल ड्रिलिंग के दौरान ऑर्गर मशीन सुरंग के अंदर डाली गई थी जो की फंस गई थी। बसी हुई इस ऑर्गर मशीन को भी काटकर बाहर निकाला जा चुका है। ऑर्गर मशीन के फंसे हुए हिस्से को प्लाज्मा कटर से काटकर बाहर निकल गया है। मलबे में फंसे अमेरिकी ऑगर मशीन के शेष हिस्से भी सोमवार तड़के बाहर निकाल लिए गए। जानकारी के मुताबिक ड्रिलिंग में 48 मीटर से आगे की खुदाई को मैन्युअल किया जाएगा इसके लिए 6 रेट माइनर्स की एक टीम सिल्क्यारा पहुंचने वाली है।

 

पीएम के प्रधान सचिव करेंगे समीक्षा

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के प्रधान सचिव पी के मिश्रा और उत्तराखंड के मुख्य सचिव एस एस सन्धु घटनास्थल पर चल रहे बचाव कार्यों की समीक्षा के लिए सोमवार को सिलक्यारा पहुंचेंगे। सुरंग के सिलक्यारा छोर से 25 टन वजनी अमेरिकी ऑगर मशीन के जरिए चल रही क्षैतिज ड्रिलिंग में ताजा अवरोध शुक्रवार शाम को आया जब उसके ब्लेड मलबे में फंस गए। यमुनोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग पर बन रही सिलक्यारा सुरंग का एक हिस्सा 12 नवंबर को ढह गया था जिसके कारण उसमें काम कर रहे श्रमिक फंस गए थे। उन्हें बाहर निकालने के लिए युद्ध स्तर पर कई एजेंसियों द्वारा बचाव अभियान चलाया जा रहा है।

 

बचाव कार्यों में सहयोग के लिए उत्तराखंड सरकार की ओर से नियुक्त नोडल अधिकारी नीरज खैरवाल ने रविवार शाम सात बजे तक की स्थिति बताते हुए कहा था कि मलबे में ऑगर मशीन का केवल 8.15 मीटर हिस्सा ही निकाला जाना शेष रह गया है। मलबे में हाथ से ड्रिलिंग कर उसमें पाइप डालने के लिए ऑगर मशीन के सभी हिस्सों को पहले बाहर निकाला जाना जरूरी था। सुरंग में करीब 60 मीटर क्षेत्र में फैले मलबे को भेदकर श्रमिकों तक पहुंचने के लिए अब 10-12 मीटर की ड्रिलिंग शेष रह गयी है।