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आर्थिक मोर्चे पर सावरकर और आंबेडकर, दोनों ही औद्योगीकरण के पक्ष में थे दोनों की विचारधारा एक: सूर्या

नयी दिल्ली। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सांसद तेजस्वी सूर्या ने शुक्रवार को दावा किया कि भीम राव आंबेडकर और विनायक दामोदार सावरकर की विचारधारा एक-दूसरे के खिलाफ नहीं है। उन्होंने कहा कि आंबेडकर और सावरकर, दोनों ने ही जन्म आधारित भेदभाव का विरोध किया और आधुनिक हिंदू समाज के निर्माण के लिए औद्योगीकरण के प्रति समर्थन जताया।

अरविंदन नीलकंदन की किताब ‘हिंदुत्व : ओरिजिन, इवोल्यूशन एंड फ्यूचर’ पर एक परिचर्चा में हिस्सा लेते हुए सूर्या ने कहा कि ‘परिवार’ रूपी संस्था की रक्षा करना महत्वपूर्ण है, जो और संस्कृति को पीढ़ी दर पीढ़ी पहुंचाती है। ‘आंबेडकर बनाम सावरकर बहस’ के बारे में पूछे जाने पर बेंगलुरु दक्षिण से भाजपा सांसद सूर्या ने कहा, “यह आंबेडकर और सावरकर है, न कि आंबेडकर बनाम सावरकर।” सूर्या भारतीय जनता युवा मोर्चा के अध्यक्ष भी हैं।

उन्होंने कहा कि अगर आप वामपंथी दर्शन को समझने की कोशिश करते हैं तो यह एक को दूसरे के खिलाफ पेश करने की कोशिश करता है, यह पूंजीपति बनाम श्रमिक है, यह पति बनाम पत्नी है… यह संघर्ष के भाव को हमेशा जीवित रखता है।” सूर्या ने कहा कि जाति व्यवस्था पर सावरकर और आंबेडकर की ‘राय एक थी और दोनों का मानना था कि जन्म आधारित भेदभाव सही नहीं है।’

उन्होंने दावा किया, “हिंदू शब्द की यह परिभाषा, जिसके तहत सावरकर कहते हैं कि हिंदू में अब्राहमिक धर्मों का पालन करने वालों को छोड़कर सभी शामिल हैं, उसका आंबेडकर ने भी समर्थन किया था।” सूर्या ने कहा, “आर्थिक मोर्चे पर सावरकर और आंबेडकर, दोनों ही औद्योगीकरण के पक्ष में थे। उन्होंने इसे हिंदू समाज में आधुनिकता लाने के एक उपकरण के रूप में देखा था।