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कश्मीर क्षेत्र में शांतिपूर्ण स्थिति बनाना चाहते हैं, तो कश्मीर मुद्दे पर वाजपेयी की नीति अपनाएं: महबूबा मुफ्ती

अनुच्छेद 370 को हटाये जाने के मुद्दे पर उच्चतम न्यायालय की संविधान पीठ में सुनवाई से पहले कश्मीरी नेताओं के बयानों का सिलसिला शुरू हो गया है। दशकों तक जम्मू-कश्मीर पर राज करने वाले राजनीतिक दल 370 के फायदे गिनाने में जुटे हुए हैं और इसके इतिहास के साथ अपने जुड़ाव संबंधी अनुभवों को भी साझा कर रहे हैं। हम आपको बता दें कि पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी की अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने दावा किया है कि पार्टी के संस्थापक मुफ्ती मोहम्मद सईद ने 2015 में जम्मू-कश्मीर में सरकार गठन के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के सामने एक शर्त रखी थी और यह आश्वासन मांगा था कि केंद्र सरकार संविधान का अनुच्छेद 370 निरस्त नहीं करेगी। पीडीपी के 24वें स्थापना दिवस पर श्रीनगर में सभा को संबोधित करते हुए महबूबा मुफ्ती ने कहा कि उनके पिता सईद सत्ता के भूखे नहीं थे और जम्मू-कश्मीर को उसकी समस्याओं व संकटों से मुक्ति दिलाना चाहते थे।

उन्होंने कहा, ”जब (2014 के विधानसभा चुनाव में) मुफ्ती साहब के पास 28 सीट थीं, तो उन्होंने मोदी से मुलाकात की और सरकार गठन के लिए अपनी शर्तों की सूची उन्हें सौंपी। उन्होंने (केंद्र की) भाजपा सरकार से आश्वासन मांगा कि (अनुच्छेद) 370 को नहीं छुआ जाएगा। उन्होंने उनके हाथ बांध दिए। वह सत्ता के पीछे नहीं भागते थे, वरना वह (जम्मू-कश्मीर में गठबंधन) सरकार बनाने के लिए तीन महीने नहीं लगाते।” महबूबा मुफ्ती ने कहा, “भाजपा हमें बांटना चाहती है। हम ऐसा नहीं होने देंगे…अगर हम सभी–हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई, गुज्जर, पहाड़ी–एकजुट रहें, तो भाजपा को हरा सकते हैं।” महबूबा मुफ्ती ने भाजपा से पूछा कि जम्मू-कश्मीर से संबंधित विशेष संवैधानिक प्रावधानों को खत्म करके उसे क्या हासिल हुआ? उन्होंने कहा, “आपने कश्मीर में क्या हासिल किया है? जवाहरलाल नेहरू लाल चौक आए थे और हजारों कश्मीरियों की उपस्थिति में राष्ट्र ध्वज फहराया था। आज, आप तिरंगा फहराते हैं और वहां कोई कश्मीरी नहीं होता, केवल सुरक्षाकर्मी होते हैं।”

पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने कहा कि मैं दिल्ली को बताना चाहती हूं कि हम जम्मू-कश्मीर मुद्दे की समस्या नहीं बल्कि समाधान का हिस्सा बनना चाहते हैं। उन्होंने बीजेपी पर निशाना साधते हुए कहा, ‘आप लोगों को चुप करा रहे हैं, उन्हें धमका रहे हैं और फिर क्षेत्र में शांति का दावा कर रहे हैं। यदि आप वास्तव में कश्मीर क्षेत्र में शांतिपूर्ण स्थिति बनाना चाहते हैं, तो कश्मीर मुद्दे पर वाजपेयी की नीति अपनाएं।