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जेडीएस-बीजेपी गठबंधन को लेकर कर्नाटक में पिता-पुत्र की राहें अलग हुई

देश में होने वाले लोकसभा चुनाव 2024 को लेकर राजनीतिक चहल पहल देखने को मिल रही है। वहीं इस वर्ष के अंत तक कई राज्यों में विधानसभा चुनाव भी होने तय है। इससे पहले मई में ही कर्नाटक विधानसभा चुनाव हुए हैं जहां जनता दल (सेक्युलर) को बुरी तरह हार झेलनी पड़ी थी। इस हार के बाद पार्टी के अस्तित्व पर संकट मंडराने लगा है।

अगले वर्ष होने वाले लोकसभा चुनावों को लेकर संभावना थी कि बीजेपी के नेतृत्व वाले एनडीए में जनता दल (सेक्युलर) शामिल हो सकती है। इन अटकलों को पार्टी अध्यक्ष एचडी देवेगौड़ा ने ही झुठला दिया है। पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवेगौड़ा ने मंगलवार को लोकसभा चुनावों को लेकर बडा बयान दिया है। उन्होंने कहा कि जनता दल (सेक्युलर) लोकसभा चुनाव स्वतंत्र रूप से लड़ेगी। किसी गठबंधन में शामिल नहीं होगी। गौरतलब है कि एचडी देवेगौड़ा का ये बयान उनके बेटे कुमारस्वामी के उस बयान के बाद आया है जिसमें उन्होंने कहा था कि उनकी पार्टी, जद(एस) और भाजपा विपक्ष के रूप में सहयोग करेंगे। दोनों नेताओं के इन विराधोभासी बयानों के बाद माना जा रहा है कि पिता-पुत्र के बीच संबंध ठीक नहीं चल रहे है।

 

इस संबंध में बेंगलुरु में पत्रकारों से बातचीत करते हुए उन्होंने कहा कि मैं साफ तौर पर बता रहा हूं कि हम किसी के साथ गठबंधन नहीं कर रहे है। लोकसभा चुनाव हमें अकेले लड़ेंगे। हमारी पार्टी चाहे तो पांच सीटें जीते या छह या एक। हम अकेले ही चुनाव लड़ेंगे। उन्होंने ये भी कहा कि हम उन सीटों पर उम्मीदवार उतारेंगे जहां हमारी स्थिति मजबूत है।

 

कुमारस्वामी ने दिया अलग बयान

बता दें कि हाल ही में एचडी देवेगौड़ा के बेटे कुमारस्वामी ने बड़ा बयान दिया था जिसमें उन्होंने कहा था कि पार्टी बीजेपी के साथ मिलकर कांग्रेस सरकार के खिलाफ कई मुद्दों पर मिलकर काम करेगी। बीते दिनों बीजेपी ने 10 विधायकों को निष्कासित किया था। तब भी जनता दल (सेक्युलर) के विधायकों ने भाजपा का समर्थन किया था। विधानसभा से सभी विधायकों ने बायकॉट किया था। इस कदम के बाद से माना जा रहा था कि कुमारस्वामी बीजेपी के करीब हो रहे है। इसके बाद कयास लगाए गए थे कि कुमारस्वामी एनडीए का हिस्सा बन सकते है। बता दें कि इससे पहले 18 जुलाई को एनडीए की बैठक दिल्ली में हुई थी मगर इस बैठक में एनडीए ने हिस्सा नहीं लिया था। उस दौरान कुमारस्वामी ने बताया था कि उन्हें एनडीए की बैठक में हिस्सा लेने के लिए न्यौता नहीं मिला था।

 

पिता-पुत्र में मतभेज उजागर

बीते कुछ वर्षों में इस बात पर काफी विरोधाभास रहा है कि जेडीएस की राजनीतिक दिशा क्या होनी चाहिए। जानकारों का कहना है कि पार्टी को लेकर चल रहे इस अंर्तविरोध को संक्रमण काल कहा जा सकता है। एक तरफ 94 वर्षीय एचडी देवेगौड़ा जेडीएस में काफी कम नियंत्रण मिल रहा है। दूसरी ओर पार्टी में बेटे कुमारस्वामी की पकड़ मजबूत हो रही है। सत्ता परिवर्तन होते हुए अब पार्टी की कमान धीरे धीरे कुमारस्वामी के पास जा रही है। बीते कुछ वर्षों में पार्टी के अधिाकंश फैसले कुमारस्वामी ने ही किए थे।

 

गौतरलब है कि जेडीएस के कांग्रेस या अन्य विपक्षी दलों से रिश्ते अच्छे नहीं रहे है। जबकि एचडी देवगौड़ा विपक्षी दलों के काफी नजदीकी रहे है। कई मौकों पर उन्होंने विपक्षी एकता की बैठकों में भी हिस्सा लिया है। मगर कर्नाटक विधानसभा चुनाव में हार के बाद पार्टी ने गठबंधन से दूरी बनाई है। पीएम मोदी ने भी कई मौकों पर देवेगौड़ा को लेकर सकारात्मक रवैया अपनाया है। अब ये देखना अहम होगा कि जेडीएस किसी भी तरह का सियासी स्टैंड किस तरह से ले सकेगी।