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मोहन भागवत के बयान पर बोले असदुद्दीन ओवैसी,- भारतीय मुसलमान सबसे ज्यादा गर्भ निरोधक का इस्तेमाल कर रहे हैं

भारत में मुस्लिम आबादी विवाद: ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के प्रमुख मोहन भागवत से कहा है कि वे घबराएं नहीं क्योंकि देश में मुस्लिम आबादी घट रही है। भारतीय मुसलमान सबसे ज्यादा कंडोम (गर्भ निरोधक) का सबसे अधिक इस्तेमाल कर रहे हैं। असदुद्दीन ओवैसी का ये रिएक्शन मोहन भागवत के जनसंख्या को लेकर दिए गये बयान के बाद आया। भागवत ने एक व्यापक जनसंख्या नीति का आह्वान किया था ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि बढ़ती आबादी बोझ न बने बल्कि इसे एक संसाधन के रूप में इस्तेमाल किया जा सके।

भारतीय मुसलमान सबसे ज्यादा कंडोम यूज करते हैं-ओवैसी

आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत की हालिया जनसंख्या असंतुलन टिप्पणी का जवाब देते हुए एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने दावा किया है कि मुस्लिम समुदाय दो बच्चों के बीच अंतर बनाए रखने के लिए परिवार नियोजन उपकरण, कंडोम का सबसे अधिक उपयोग करता है। एक जनसभा को संबोधित करते हुए ओवैसी ने कहा कि भागवत इसका जिक्र नहीं करेंगे और उन्हें जनसंख्या वृद्धि पर चर्चा करने से पहले डेटा रखना चाहिए। ओवैसी ने कहा मुसलमानों की आबादी नहीं बढ़ रही है। उस पर कोई टेंशन न लें। हमारी आबादी घट रही है। मुसलमानों के बच्चों का TFR (कुल प्रजनन दर) घट रहा है। आप जानते हैं कि कौन दो बच्चों के बीच अधिक दूरी बनाए रखता है? कंडोम का सबसे ज्यादा इस्तेमाल कौन कर रहा है? यह केवल मुसलमान है। कंडोम का सबसे ज्यादा इस्तेमाल हम उपयोग कर रहे हैं। मोहन भागवत इसके बारे में बात नहीं करेंगे।

भागवत पर साधा असदुद्दीन ओवैसी ने निशाना

भागवत ने 5 अक्टूबर को कहा था कि भारत को व्यापक सोच के बाद जनसंख्या नीति तैयार करनी चाहिए और सभी समुदायों पर समान रूप से लागू होनी चाहिए। नागपुर के रेशमबाग मैदान में आरएसएस की दशहरा रैली में भागवत ने कहा था कि समुदाय आधारित जनसंख्या असंतुलन एक महत्वपूर्ण विषय है और इसे नजरअंदाज नहीं किया जाना चाहिए। जनसंख्या असंतुलन से भौगोलिक सीमाओं में परिवर्तन होता है। हैदराबाद के सांसद ने आगे कहा मैं सच बता रहा हूँ। (भागवत कहते हैं) जनसंख्या बढ़ रही है। भागवत साहब कहाँ बढ़ रहे हैं? आप डेटा रखते हैं और बोलते हैं।

मोहन भागवत ने क्या कहा-

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के प्रमुख मोहन भागवत ने बुधवार को कहा कि भारत को सभी सामाजिक समूहों पर समान रूप से लागू एक सुविचारित, व्यापक जनसंख्या नियंत्रण नीति तैयार करनी चाहिए। साथ ही उन्होंने जनसांख्यिकीय असंतुलन के मुद्दे को उठाया और कहा कि जनसंख्या असंतुलन से भौगोलिक सीमाओं में परिवर्तन होता है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के नागपुर स्थित मुख्यालय में विजय दशमी उत्सव पर आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए सरसंघचालक ने कहा, ‘‘संघ पूरी दृढ़ता के साथ आपसी भाईचारे, भद्रता व शांति के पक्ष में खड़ा है और अल्पसंख्यकों के लिए कोई खतरा नहीं है।’’ रेशमीबाग में मैदान में आयोजित कार्यक्रम में भागवत ने अपने करीब 60 मिनट के संबोधन में महिला सशक्तिकरण, हिन्दू राष्ट्र से जुड़े विषयों, शिक्षा, स्वाबलंबन, श्रीलंका को भारत की मदद, यूक्रेन संकट सहित विविधि विषयों को स्पर्श किया। उन्होंने कहा कि समुदाय आधारित जनसंख्या असंतुलन एक महत्वपूर्ण विषय है और इसे नजरअंदाज नहीं किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि जनसंख्या असंतुलन से भौगोलिक सीमाओं में परिवर्तन होता है। भागवत ने कहा, पचहत्तर साल पहले, हमने अपने देश में इसका अनुभव किया। 21 वीं सदी में, तीन नए देश जो अस्तित्व में आए हैं – पूर्वी तिमोर, दक्षिण सूडान और कोसोवो – वे इंडोनेशिया, सूडान और सर्बिया के कुछ क्षेत्रों में जनसंख्या असंतुलन के परिणाम हैं।’’ उन्होंने कहा कि संतुलन बनाने के लिए नई जनसंख्या नीति सभी समुदायों पर समान रूप से लागू होनी चाहिए। उन्होंने कहा, इस देश में समुदायों के बीच संतुलन बनाना होगा। उन्होंने कहा, जन्म दर में अंतर के साथ-साथ लालच देकर या बलपूर्वक धर्मांतरण,और घुसपैठ भी बड़े कारण हैं। इन सभी कारकों पर विचार करना होगा। भागवत ने मातृके प्रयोग पर जोर देते हुए कहा कि करियर बनाने के लिए अंग्रेजी महत्वपूर्ण नहीं है।