लखनऊ। पूर्वाचल की बीमारी ने राजधानी को भी चपेट में ले लिया है। केजीएमयू में सोमवार (2 जून) को 23 वर्षीय आशुतोष की मौत इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम (एईएस) से मौत के बाद बुधवार को सीएमओ की टीम मृतक के घर पहुंची। बीमारी को फैलने से रोकने के लिए टीम ने रक्त पट्टिकाएं बनायीं। साथ ही एंटी लार्वा का छिड़काव शुरु किया। दरअसल, संस्थान के माइक्रोबायोलॉजी विभाग को मृतक जाच में एईएस की पुष्टि हुई थी। शहर में 116 लोगों में एईएस
शहर में एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम (एईएस) व जापानी इंसेफेलाइटिस (जेई) फैल गया है। जनवरी से अब तक शहर में 116 लोगों में एईएस की पुष्टि हो चुकी है। वहीं पाच लोगों में जेई कंफर्म है। टूटा पिछले साल का रिकॉर्ड : संचारी रोग विभाग के आकड़ों के मुताबिक लखनऊ जनपद में जनवरी 2018 से एक जून तक एईएस की चपेट में 116 मरीज आ चुके हैं। वहीं वर्ष 2017 में जनवरी से एक जून तक मरीजों की संख्या सिर्फ छह थी।
मटियारी में दहशत अफसर बेपरवाह
मटियारी कंचनपुर निवासी आशुतोष पुत्र गुलाब को कई दिनों से बुखार था। परिजनों ने आसपास के डॉक्टरों को दिखाया, मगर फायदा नहीं हुआ। हालत गंभीर होने पर आशुतोष को केजीएमयू रेफर किया गया। यहा माइक्रोबायोलॉजी विभाग में हुई जाच में आशुतोष में एईएस की पुष्टि हुई। मौत से मोहल्ले में हड़कंप है। वहीं स्वास्थ्य विभाग की टीम हाथ पर हाथ धरे बैठी है।
क्या कहते हैं संचारी रोग निदेशक ?
– संचारी रोग निदेशक डॉ. मिथिलेश चतुर्वेदी का कहना है कि जेई-एईएस नियंत्रण के ठोस प्रयास हो रहे हैं। बीमारी की निगरानी व स्क््रीनिंग का काम तेज हुआ है। लोग जागरूक हैं। इसलिए मरीजों की संख्या अधिक रिपोर्ट हो रही है। – संचारी रोग जिला प्रभारी डॉ. केपी त्रिपाठी का कहना है कि आकड़े छुपाए नहीं जा रहे हैं। स्टाफ से प्रतिदिन की रिपोर्ट बनाने का निर्देश दूंगा। वहीं जहा से मरीज पाए जा रहे हैं, उन क्षेत्रों में बीमारी के कारकों को दूर करने का प्रयास जारी है। एईएस के मरीज की मौत की रिपोर्ट आई है। ऑडिट के बाद कारण कंफर्म होगा।