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10 करोड़ से ज्यादा कार्यकर्ता, 1000 करोड़ से ज्यादा का चंदा लेकिन कोषाध्यक्ष ‘लापता’

नई दिल्ली। देश की सत्ताधारी पार्टी बीजेपी दुनिया में सबसे बड़ी पार्टी होने का दावा करती है. देश के बीस राज्यों में बीजेपी की सरकार है और दावा है कि इस समय बीजेपी के दस करोड़ से ज्यादा सदस्य है. इसके साथ ही बीजेपी देश की सबसे रईस पार्टी भी है लेकिन हैरान करने वाली बात है कि दुनिया की सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी के पास कोषाध्यक्ष नहीं है.

बीजेपी की वेबसाइट पर पार्टी पदाधिकारियों की पूरी सूची मौजूद है. इस सूची में सबसे पहले पार्टी अध्यक्ष हैं, इसके बाद कई उपाध्यक्ष, फिर राष्ट्रीय महासचिव, फिर संयुक्त महासचिव और सचिवों की पूरी लिस्ट और तस्वीरें हैं. इसके बाद पार्टी के 9 आधिकारिक प्रवक्ता हैं. यहां अलग अलग मोर्चों के अध्यक्ष और फिर ऑफिस सेकेट्री और पार्लियामेंट्री पार्टी ऑफिस सेक्रेट्री के नाम भी मौजूद हैं लेकिन इस पूरी लिस्ट में कहीं कोषाध्यक्ष का अता पता नहीं है.

कोषाध्यक्ष का सवाल महत्वपूर्ण क्यों?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह की पार्टी बीजेपी दुनिया की सबसे रईस पार्टी है. बीजेपी ने अपने रिटर्न में खुद बताया कि 2016-17 में उसे कुल 1034 करोड़ रुपए का चंदा मिला. इनमें 20 हजार रुपए से ज्यादा के कुल 532 करोड़ 27 लाख रुपए के 1194 चंदे मिले. जबकि 20 हजार रुपए से कम की रकम के चंदों की कुल लागत जोड़ें तो यह 464 करोड़ 94 लाख रही. इसी दौर में कांग्रेस को कुल 168 करोड़ रुपए का चंदा मिला.

दरअसल, पार्टी को कितना चंदा, कैसे, कब, किस रुप में लेना है और कैसे चुनाव आयोग को दिखाना है-इसकी रुपरेखा कोषाध्यक्ष ही तय करता है. बीजेपी को मिले कुल चंदे में 515 करोड़ रुपए देश के व्यवसायिक घरानों से आए, कांग्रेस को महज 5.8 करोड़ रुपए व्यवासायिक घरानों से चंदे के रुप में मिले.

कॉरपोरेट सत्ताधारी पार्टी के आसरे अपने पक्ष में नीतियां बनाने की कोशिश करता है. इस वक्त देश में बीजेपी सत्ता में है. सबसे ज्यादा डोनेशन बीजेपी को मिल रहा है तो बीजेपी को बताना चाहिए कि कोषाध्यक्ष कौन है? गूगल के आसरे बीजेपी के पदाधिकारियों में कोषाध्यक्ष का नाम खोजने पर वेबसाइट का जो पेज सामने आता है वो खाली पड़ा है.

चुनाव आयोग में पार्टी ने अपनी आय का विवरण देते हुए हलफनामा दिया है और इस हलफमाने में कोषाध्यक्ष का जिक्र है. 15 पेज के डॉक्यूमेंट में दस बार कोषाध्यक्ष वाले स्थान पर हस्ताक्षर हैं. कोषाध्यक्ष के स्थान पर जो साइन हैं, उसका पहला अक्षर एफ अक्षर प्रतीत होता है. वेबसाइट पर दिए तमाम पदाधिकारियों में एक भी नाम ऐसा नहीं है,जिसका नाम अंग्रेजी के एफ वर्ण से शुरु होता हो. ये हलफनामा 29 मई 2017 को चुनाव आयोग को दिया गया, एक साल बीत गया लेकिन अभी तक बीजेपी के कोषाध्यक्ष का नाम किसी को पता नहीं है.

हलफनामे के बाद चुनाव आयोग की ओर से भी सवाल नहीं किया कि आखिर कोषाध्यक्ष कौन है. चुनाव आयोग ने भी कुछ भी कहने से इनकार कर दिया. कांग्रेस ने कहा कि जो पार्टी करोड़ों का चंदा लेती है उसे अपने कोषाध्यक्ष का नाम बताया चाहिए.