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दोषियों को सजा देना प्रशासन की ज़िम्मेदारी: CM योगी ने कहा- लोगों को इंसाफ दिलाने के लिए किसी भी हद तक जा सकती है पुलिस

लखनऊ। हाथरस मामले में योगी सरकार ने शनिवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर मीडिया से कहा, “दोषियों को सजा देना प्रशासन की ज़िम्मेदारी है।” सीएम ने कहा, “लोगों को इंसाफ दिलाने के लिए उनका पुलिस बल किसी भी हद तक जा सकती है और सरकार सजा देने के कानूनी तरीकों में भी बदलाव कर सकती है।”

सीएम योगी ने कहा, “यूपी पुलिस देश में सबसे बड़ा पुलिस बल है। हम सजा देने के कानूनी तरीकों में भी बदलाव कर सकते हैं। एक तरफ, हमें दोषियों के साथ सख्त रहना पड़ता है तो दूसरी तरफ, हमें पीड़ितों के साथ नरमी बरतनी चाहिए। लोगों को इंसाफ दिलाने के लिए पुलिस बल को किसी भी हद तक जाना चाहिए।”

साभार- ज़ी न्यूज़

वहीं इससे पहले यूपी सीएम ने दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने का आदेश दिया था। उन्होंने ट्वीट करते हुए लिखा, “उत्तर प्रदेश में माताओं-बहनों के सम्मान-स्वाभिमान को क्षति पहुँचाने का विचार मात्र रखने वालों का समूल नाश सुनिश्चित है। इन्हें ऐसा दंड मिलेगा जो भविष्य में उदाहरण प्रस्तुत करेगा। आपकी उत्तर प्रदेश सरकार प्रत्येक माता-बहन की सुरक्षा व विकास हेतु संकल्पबद्ध है।”

वहीं हाथरस मामले में योगी सरकार ने प्राथमिक जाँच की रिपोर्ट के आधार पर प्रशासन द्वारा बरती गई लापरवाही पर सख्त रुख अपनाते हुए हाथरस के एसपी, डीएसपी, इंस्पेक्टर और कुछ अन्य अधिकारियों को निलंबित करने का भी निर्देश दिया था। और अब वहीं इस मामले में सीबीआई जाँच के भी आदेश दे दिए गए हैं।

उल्लेखनीय है कि यूपी प्रशासन ने मीडिया को अनुमति दे दी है कि वह पीड़ित परिवार वालों से मिलकर बात कर सकते हैं। एसडीएम ने कहा, “इस मामले में एसआईटी की जाँच पूरी हो चुकी है इसलिए मीडिया के लिए लगाई गई पाबंदी भी हटा दी गई है। फ़िलहाल उस इलाके में सीआरपीसी की धारा 144 लागू है, इसलिए एक समय पर 5 से अधिक मीडियाकर्मी मौजूद नहीं रह सकते हैं।”

उन्होंने कहा, “अभी वहाँ सिर्फ मीडियाकर्मियों को जाने की अनुमति है। जब प्रतिनिधिमंडल के लिए हरी झंडी दिखाई जाएगी तब हम सभी को प्रवेश करने की अनुमति देंगे। इस तरह के जितने भी आरोप लगाए जा रहे हैं कि पीड़िता के परिवार वालों के फोन लिए जा चुके हैं या उन्हें घर में बंद करके रखा गया है, यह सभी आरोप बेबुनियाद है।” उत्तर प्रदेश पुलिस और प्रशासन पर इस तरह के आरोप लगाए गए थे कि उन्होंने पीड़िता के परिवार वालों के फोन जब्त कर लिए हैं।