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कनाडा में स्वास्तिक पर प्रतिबंध लगाने की योजना से मचा बवाल, भारत ने ट्रूडो सरकार से की बात

नई दिल्ली। कनाडा में अब हिंदुओं के पवित्र प्रतीक स्वास्तिक को लेकर विवाद पैदा हो गया है। स्वास्तिक के इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगाने के लिए कनाडा की संसद में विधेयक लाया गया है। इससे भारतीय-कनाडाई समुदाय भड़क गया है। इसे लेकर भारत सरकार ने पीएम जस्टिन ट्रूडो से बात की है।

कनाडा की न्यू डेमोक्रेटिक पार्टी के नेता जगमीत सिंह के समर्थक सांसदों ने स्वास्तिक पर पाबंदी का विधेयक पेश किया है। इससे पहले कनाडा में ट्रक ड्राइवरों की हड़ताल को लेकर भारी बवाल मचा था। भारतीय-कनाडाई समुदाय लगातार नाजी स्वास्तिक और कू क्लक्स क्लान के प्रतीक चिन्ह, 1933 से 1945 के बीच जर्मनी के मानकों और 1861 से 1865 के वर्षों के बीच अमेरिका के संघीय राज्यों और वर्दी जैसे प्रतीकों के प्रदर्शन या बिक्री पर रोक की मांग करता रहा है।

उधर, जगमीत सिंह ने इस महीने की शुरुआत में ट्वीट किया था, ‘स्वास्तिक और संघ के झंडे का कनाडा में कोई स्थान नहीं है। अपने समुदायों को सभी के लिए सुरक्षित बनाना हमारी जिम्मेदारी है। यह कनाडा में घृणा के प्रतीकों पर प्रतिबंध लगाने का समय है।

टोरंटो स्थित वकील रागिनी शर्मा को भारत के महावाणिज्यदूत अपूर्व श्रीवास्तव ने लिखा है कि उन्होंने इस मुद्दे पर औपचारिक रूप से कनाडा सरकार से बात की है। इस संबंध में कनाडाई समूहों से प्राप्त याचिकाओं को उनके साथ साझा किया है। कनाडा की लिबरल पार्टी के सांसद चंद्र आर्य इस मामले को हाउस ऑफ कॉमंस में उठा सकते हैं। उनके दफ्तर ने रागिनी शर्मा को बताया कि वह स्वास्तिक पर प्रतिबंध लगाने की योजना पर बहुत चिंतित हैं। इस योजना को रोकने के लिए वह पहल कर रहे हैं।

वकील रागिनी शर्मा ने कहा कि बिल का विरोध करने के लिए एक अभियान चलाया जा रहा है। वे नाजी ‘हेकेन क्रूज़’ या स्वास्तिक के लिए क्रॉस को गलत तरीके से जोड़ने के खिलाफ थे। हमें कनाडाई लोगों को मतभेदों के बारे में शिक्षित करने और यह समझाने की जरूरत है कि स्वास्तिक का नाजी नफरत के प्रतीक से कोई लेना-देना नहीं है।

अगर यह कानून बन जाता है तो यह भारतीयों और कनाडाई बौद्ध संघ जैसे संगठनों के लिए भी समस्या पैदा कर सकता है, जो टोरंटो में अपने मंदिर के प्रवेश द्वार पर इस प्रतीक चिंह की पंक्तियों को प्रमुखता से प्रदर्शित करता है।