सियाचिन जीते पर जिंदगी की जंग हार गए हनुमंतप्पा
नई दिल्ली। सियाचिन में 3 फरवरी को हुए भयंकर हिमस्खलन के बाद 6 दिन तक बर्फ के 25 फीट नीचे जिंदा रहकर अपनी जिजीविषा से पूरी दुनिया को हैरान कर देने वाले सेना के लांस नायक हनुमंतप्पा गुरुवार सुबह 11.45 पर जिंदगी की जंग हार गए। डॉक्टरों ने उन्हें बचाने की पूरी कोशिश की, लेकिन उनकी हालत लगातार बिगड़ती गई और आखिरकार उनकी सांस छूट गई। पूरे देश में जगह-जगह उनके लिए प्रार्थना की जा रही थी।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हनुमंतप्पा को श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि वह अमर हैं। मोदी ने एक ट्वीट में कहा, ‘वह हमें दुखी व तन्हा कर चले गए। लांस नायक हनुमंतप्पा की आत्मा को शांति मिले। जवान आप अमर हैं। गर्व है कि आप जैसे शहीदों ने भारत की सेवा की।’
हनुमंतप्पा को मंगलवार शाम दिल्ली के अार्मी रिसर्च और रेफरल (आरआर) हॉस्पिटल लाया गया था। सैनिक अस्पताल के क्रिटिकल केयर विशेषज्ञों, मेडिसिन विभाग के अध्यक्ष, एक वरिष्ठ किडनी रोग विशेषज्ञ और एक वरिष्ठ न्यूरोलॉजिस्ट और एम्स के विशेषज्ञों का एक पैनल उनका इलाज कर रहा था, लेकिन उन्हें बचाया न जा सका। एक डॉक्टर ने बताया कि हनुमंतप्पा को जब हॉस्पिटल लाया गया, तो उन्हें हाइपोथर्मिया हो चुका था।
उन्होंने कहा, ‘छह दिन तक बिना पानी के रहने की वजह से उन्हें जबर्दस्त डीहाइड्रेशन हो गया था। उन्होंने कहा कि इतने दिनों तक विषम परिस्थितियों ने दिमाग समेत उनके शरीर के कई अंगों को बुरी तरह प्रभावित किया।’ उन्होंने कहा कि डॉक्टरों की टीम ने तमाम कोशिशें कीं, लेकिन एक के बाद एक उनके शरीर के सभी अंगों ने काम करना बंद कर दिया। मेडिकल की भाषा में इसे मल्टिपल ऑर्गन फेल्योर कहा जाता है। अंतत: गुरुवार को सुबह 11.45 पर उन्होंने आखिरी सांस ली।
मद्रास रेजिमेंट के 33 वर्षीय सैनिक के परिवार में उनकी पत्नी महादेवी अशोक बिलेबल और दो वर्ष की एक बेटी नेत्रा कोप्पाड है। कर्नाटक के धारवाड़ के बेटादूर गांव के रहने वाले कोप्पाड 13 वर्ष पहले सेना से जुड़े थे। हनुमंतप्पा की तबीयत कल ज्यादा बिगड़ गई थी।