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आषाढ़ मास की योगिनी एकादशी कल, जानें शुभ मुहूर्त, महत्त्व और पूजन विधि

हिन्दू धर्म में एकादशी व्रत को सर्वश्रेठ माना जाता है। एक महीने में दो एकादशी पड़ती हैं, इस तरह से एक वर्ष में कुल 24 एकादशी होती हैं। हिन्दू पंचांग के अनुसार आषाढ़ मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को योगिनी एकादशी का व्रत किया जाता है। इस बार यह व्रत 24 जुलाई 2022 (शुक्रवार) को रखा जाएगा। एकादशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा-आराधना की जाती है और व्रत किया जाता है। आषाढ़ मास में भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना से विशेष फल की प्राप्ति होती है। एकादशी के दिन भगवान विष्णु का पूजन और व्रत करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और घर में सुख-समृद्धि आती है। मान्यताओं के अनुसार योगिनी एकादशी के दिन विधिपूर्वक व्रत-पूजन करने से 88 हजार ब्राह्मणों को भोजन कराने के बराबर फल मिलता है। आज के इस लेख में हम आपको योगिनी एकादशी का शुभ मुहूर्त, महत्व, पूजन वधि और नियम बताने जा रहे हैं –

योगिनी एकादशी शुभ मुहूर्त

योगिनी एकादशी व्रत – 24 जुलाई 2022 (शुक्रवार)

एकादशी तिथि प्रारंभ – 23 जून को रात 09 बजकर 41 मिनट से रहेगी

एकादशी तिथि समाप्त – 24 जून को रात 11 बजकर 12 मिनट तक

पारण समय – 25 जून को सुबह 05 बजकर 41 मिनट से सुबह 08 बजकर 12 मिनट तक

योगिनी एकादशी महत्व

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार योगिनी एकादशी के दिन व्रत रखने से जीवन में सुख-समृद्धि बढ़ती है। कहा जाता है कि इस दिन व्रत रखने से सभी पापों का नाश होता है। माना जाता है कि योगिनी एकादशी व्रत रखने से व्यक्ति को मृत्यु के बाद परलोक की प्राप्ति होती है। मान्यताओं के अनुसार योगिनी एकादशी का व्रत करने से 88 हजार ब्राह्मणों को भोजन कराने के बराबर फल मिलता है।

योगिनी एकादशी पूजन विधि

योगिनी एकादशी के दिन सुबह प्रात: जल्दी उठ कर स्नान करें और पीले वस्त्र पहनें।

इसके बाद मंदिर में भगवान विष्णु की प्रतिमा स्थापित करके उन्हें स्नान करवाएं और साफ धुले हुए वस्त्र पहनाएं।

भगवान विष्णु के समक्ष धूप-दीप प्रज्वलित करें और उनकी विधि- विधान से पूजा करें।

भगवान को फल, फूल, मिष्ठान आदि अर्पित करें और उनकी आरती करें।

योगिनी एकादशी के दिन व्रत कथा अवश्य पढ़ें।

भगवान विष्णु को भोग लगाएं और प्रसाद घर में सभी को बांटे और खुद भी ग्रहण करें।

अगले दिन द्वादशी तिथि के दिन पारण करें।

एकादशी व्रत के नियम

एकादशी व्रत में अन्न का सेवन वर्जित है इसलिए दशमी तिथि को सूर्यास्त के अन्न ग्रहण न करें।

एकादशी व्रत का पारण अगले दिन द्वादशी तिथि पर विष्णु जी को भोग लगाने व ब्राह्मणों को भोजन कराने के बाद किया जाता है।

शास्त्रों के अनुसार एकादशी के दिन सात्विकता का पालन करना चाहिए अर्थात इस दिन लहसुन, प्याज, मांस, मछली, अंडा नहीं खाना चाहिए। एकादशी के दिन भूलकर भी चावल का सेवन नहीं करना चाहिए।

एकादशी व्रत में हरि भजन करना चाहिए और झूठ-कपट आदि से दूर रहें।