वृंदावन/आगरा। भारतीय जनता युवा मोर्चा (भाजयुमो) के राष्ट्रीय अधिवेशन में केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने वामपंथियों को महात्मा गांधी और आजादी की लड़ाई का विरोधी कहा है। उन्होंने कहा कि गांधी जी जब आजादी के आंदोलन का नेतृत्व कर रहे थे, तब साम्यवादी नेता उन्हें सामंतवादी ताकतों का प्रतीक कहते थे।
जब गांधी ने ‘भारत छोड़ो’ की आवाज उठाई तो उसी साम्यवादी पार्टी ने स्वतंत्रता आंदोलन का विरोध किया था। देश को आजादी मिली तो वामपंथियों की विचारधारा थी कि वे लोकतंत्र में विश्वास नहीं करते हैं। उनकी विचारधारा हिंसा के माध्यम से देश के टुकड़े-टुकड़े करने की थी। वर्ष 1962 में चीन से भारत की लड़ाई हुई तो साम्यवादियों ने कहा कि आक्रमण चीन ने नहीं, बल्कि भारत ने किया है। उनकी परंपरा देश के हित के खिलाफ बोलने की रही है। दस साल तक देश ने ऐसी व्यवस्था देखी जिसमें प्रधानमंत्री को निर्णय लेना और लागू करने का अधिकार नहीं था। इसलिए देश की जनता ने मोदी जी की तरफ देखा। भारतीय जनता युवा मोर्चा आजादी के बाद से ही राष्ट्रवाद का प्रतीक रही है। देश में राष्ट्रवाद को लेकर गर्व था शर्म नहीं थी।
कांग्रेस पर साधा निशाना
जब इंदिरा गांधी ने लोकतंत्र की हत्या की तो सीपीआई ही केवल ऐसी पार्टी थी जो इमरजेंसी में कांग्रेस के साथ खड़ी हो गई। इमरजेंसी को छोड़ दें तो कांग्रेस में अच्छी बात थी, लेकिन वह भी देश तोड़ने वाले साम्यवादी के साथ खड़ी हो गई है।
जब इंदिरा गांधी ने लोकतंत्र की हत्या की तो सीपीआई ही केवल ऐसी पार्टी थी जो इमरजेंसी में कांग्रेस के साथ खड़ी हो गई। इमरजेंसी को छोड़ दें तो कांग्रेस में अच्छी बात थी, लेकिन वह भी देश तोड़ने वाले साम्यवादी के साथ खड़ी हो गई है।
अंबेडकर के बारे में क्या कहा
संविधान का स्वरूप 25 नवंबर को अंबेडकर ने रखा था। उस समय अंबेडकर ने कहा था कि आज हमें राजनीतिक आजादी मिल रही है, लेकिन आर्थिक और सामाजिक आजादी होनी चाहिए। सब लोग इसे स्वीकार कर लेंगे, लेकिन कम्युनिस्ट नहीं करेंगे। संविधान का आधार लोकतंत्र है और साम्यवादियों की विचारधारा हिंसा के माध्यम से सत्ता पाना है। वे कभी आजादी की बात करेंगे और हिंसा का प्रयोग करके संसदीय लोकतंत्र को उखाड़ देंगे।
संविधान का स्वरूप 25 नवंबर को अंबेडकर ने रखा था। उस समय अंबेडकर ने कहा था कि आज हमें राजनीतिक आजादी मिल रही है, लेकिन आर्थिक और सामाजिक आजादी होनी चाहिए। सब लोग इसे स्वीकार कर लेंगे, लेकिन कम्युनिस्ट नहीं करेंगे। संविधान का आधार लोकतंत्र है और साम्यवादियों की विचारधारा हिंसा के माध्यम से सत्ता पाना है। वे कभी आजादी की बात करेंगे और हिंसा का प्रयोग करके संसदीय लोकतंत्र को उखाड़ देंगे।
जेएनयू विवाद पर क्या कहा
आज वैचारिक लड़ाई के लिए नया दौड़ शुरू हुआ है। कोई याकूब मेनन की याद में कार्यक्रम करना चाहता है कोई अफजल गुरु की याद में। जेएनयू में एक छोटा वर्ग जिहादियों का और बड़ा वर्ग माओवादियों का था। वहां देश तोड़ने के नारे लगे। दुर्भाग्य है कि आज तक मुख्यधारा में रही कांग्रेस पार्टी के नेता (राहुल गांधी) इन लोगों के पास सहानुभूति प्रकट करने को साथ चले गए। ऐसा कभी भी गांधी, नेहरू, अंबेडकर, इंदिरा और राजीव ने नहीं किया था। इसके बावजूद हमने राष्ट्रीय जिम्मेवारी को निभाया और हमारी विजय हुई है। जो (कन्हैया कुमार) भारत के टुकड़े का नाम लेकर जेल गए, उन्हें जय हिंद और भारत का झंडा दिखाकर बोलना पड़ा।
आज वैचारिक लड़ाई के लिए नया दौड़ शुरू हुआ है। कोई याकूब मेनन की याद में कार्यक्रम करना चाहता है कोई अफजल गुरु की याद में। जेएनयू में एक छोटा वर्ग जिहादियों का और बड़ा वर्ग माओवादियों का था। वहां देश तोड़ने के नारे लगे। दुर्भाग्य है कि आज तक मुख्यधारा में रही कांग्रेस पार्टी के नेता (राहुल गांधी) इन लोगों के पास सहानुभूति प्रकट करने को साथ चले गए। ऐसा कभी भी गांधी, नेहरू, अंबेडकर, इंदिरा और राजीव ने नहीं किया था। इसके बावजूद हमने राष्ट्रीय जिम्मेवारी को निभाया और हमारी विजय हुई है। जो (कन्हैया कुमार) भारत के टुकड़े का नाम लेकर जेल गए, उन्हें जय हिंद और भारत का झंडा दिखाकर बोलना पड़ा।