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UP में बीजेपी के इस सहयोगी को तोड़कर शिवसेना अपने साथ लाएगी

नई दिल्ली। भारतीय जनता पार्टी (BJP) के नेतृत्व वाले एनडीए से सहयोगी दल नाता तोड़कर अलग हो रहे हैं. इस कड़ी में शिवसेना लोकसभा चुनाव में अकेले लड़ने का ऐलान पहले ही कर चुकी है. इतना ही नहीं शिवसेना उत्तर प्रदेश में बीजेपी के सहयोगी के साथ मिलकर चुनावी समर में उतरने की रणनीति पर काम कर रही है. सूत्रों के मुताबिक शिवसेना बीजेपी के सहयोगी दलों के साथ संपर्क बढ़ा रही है.

सूत्रों की मानें तो शिवसेना नेता संजय राउत उत्तर प्रदेश में बीजेपी के सहयोगी और योगी सरकार में मंत्री ओम प्रकाश राजभर से मुलाकात भी कर चुके हैं. दोनों नेताओं के बीच कई बार बातचीत भी हो चुकी है. माना जा रहा है कि शिवसेना यूपी में जल्दी ही गठबंधन का ऐलान कर सकती है.

भारतीय जनता पार्टी के साथ ओम प्रकाश राजभर की बात नहीं बनी तो उनकी सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी और शिवसेना आपस में हाथ मिला सकते हैं. जिस तरह से ओम प्रकाश राजभर काफी दिनों से बगावती रुख अख्तियार किए हुए हैं और उन्होंने बीजेपी अध्यक्ष को 100 दिन का अल्टीमेटम दे रखा है. उससे इन अटकलों को और बल मिल रहा है.

हाल ही के दिनों में ओमप्रकाश राजभर ने बीजेपी और योगी सरकार की आलोचना करते समय बीएसपी सुप्रीमो मायावती की तारीफ की थी, उस वक्त यह माना जा रहा था कि राजभर जल्द ही सपा-बसपा गठबंधन में शामिल हो सकते हैं. लेकिन इसी बीच राजभर की शिवसेना के साथ नजदीकियां बढ़ती दिख रही हैं, जिसके बाद माना जा रहा है कि वो शिवसेना के साथ हाथ मिला सकते हैं.

हालांकि, बीजेपी उन्हें खास तवज्जो नहीं दे रही है. वहीं, शिवसेना भी यूपी में अपने संगठन का विस्तार करने की दिशा में सक्रिय हो रही है. पिछले दिनों राम मंदिर निर्माण को लेकर शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे अयोध्या पहुंचे थे.

25 सीटों पर लड़ना चाहती है शिवसेना

शिवसेना इस बार यूपी की 25 लोकसभा सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारना चाहती है. संजय राउत जल्द ही यूपी में गठबंधन का ऐलान भी कर सकते हैं. वहीं, ओम प्रकाश राजभर भी लोकसभा चुनाव में प्रत्याशी उतारने का ऐलान कर चुके हैं. इस तरह से दोनों दल मिलकर चुनाव मैदान में उतरते हैं तो बीजेपी का समीकरण बिगड़ सकता है.

90 के दशक में राम मंदिर आंदोलन के दौरान उत्तर प्रदेश में शिवसेना का एक विधायक रह चुका है. हालांकि इसके बाद कई बार शिवसेना ने किस्मत आजमाई, लेकिन सफलता नहीं मिली. ऐसे में बीजेपी सहयोगी को अपने साथ लाकर शिवसेना का यह कदम यूपी में अपना आधार बढ़ाने की कवायद के तौर पर भी देखा जा रहा है.

बता दें कि शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे बीजेपी के शीर्ष नेतृत्व और केंद्र सरकार के खिलाफ मोर्चा खोले हुए हैं.  शिवसेना मुखपत्र सामना की संपादकीय में भी नरेंद्र मोदी सरकार की नीतियों के खिलाफ लगातार सवाल उठा रहे हैं. वह राम मंदिर से लेकर नोटबंदी जैसे मुद्दों पर मोदी सरकार की आलोचना कर चुके हैं. ऐसे में माना जा रहा है कि शिवसेना लोकसभा चुनाव में बीजेपी से अलग अपना रास्ता बना सकती है.