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सांप्रदायिक सौहार्द का मिसाल है ज्येष्ठ बड़ा मंगल, नवाबों ने 400 वर्ष पूर्व शुरू की थी बड़े मंगल पर पूजा व भण्डारे की परंपरा

ज्येष्ठ माह की शुरुआत मंगलवार से हो रही है। ज्येष्ठ माह में पड़ने वाला मंगल बड़े मंगल के रूप में मनाते हैं। ज्येष्ठ माह की शुरुआत समापन दोनों ही इस बार मंगलवार को हो रहा है। इस बार पांच बड़े मंगल पड़ रहे हैं। पहला बड़ा मंगल 17 मई, दूसरा बड़ा मंगल 24 मई, तीसरा 31 मई, चौथा 6 जून व पांचवा व अंतिम बड़ा मंगल 14 जून को पड़ेगा। राजधानी में बड़े मंगल का विशेष महत्व है। लखनऊ में बड़े मंगल का विशेष महत्व है। बड़े मंगल पर यहां कोई भी भूखा नहीं रहता है। मंदिर, बाजार, चौराहा, गली, मोहल्लों में जगह- जगह भण्डारे का आयोजन होता है। इस बार शहर भर में पहले बड़े मंगल पर करीब चार हजार भण्डारे लगेंगे। भंडारे में सब्जी- पूडी, छोला- चावल, बूंदी और शरबत और कोल्डड्रिकं का वितरण प्रमुख रूप से किया जाता है।

नवाबों ने 400 वर्ष पूर्व शुरू की थी बड़े मंगल पर पूजा व भण्डारे की परंपरा
अलीगंज स्थित पुराना हनुमान मंदिर के महंत गोपाल दास बताते हैं कि नवाब शुजाउद्दौला की बेगम आलिया बेगम की कोई संतान नहीं थी। एक फकीर ने बताया कि पॉलीटेकनिक के पास टीले में हनुमान जी की एक मूर्ति है। उसे स्थापित करवाने से हनुमान जी उनकी मनोकामना पूर्ण करेंगे। बेगम ने खुदाई करवाई तो वहां हनुमान जी की मूर्ति निकली। बेगम साहिबा मूर्ति को हाथी पर रखकर गोमती पार ले जाने लगीं लेकिन हाथी अलीगंज में ही बैठ गया। इसके बाद मूर्ति को उसी स्थान पर स्थापित कर पूजा-अर्चना की जाने लगी। जिसे आज अलीगंज पुराना हनुमान मंदिर के नाम से जाना जाता है। मंदिर के गुंबद पर बना चांद का निशान एकता और भाईचारे की मिशाल पेश करता है। इसके कुछ समय बाद इलाके में प्लेग महामारी फैली। आलिया बेगम ने महामारी से मुक्ति के लिए बजरंग बली की आराधना की। बजरंगबली की कृपा से महामारी समाप्त हो गई। इस खुशी में विशाल भण्डारे का आयोजन किया। वह दिन ज्येष्ठ माह का मंगलवार था। तभी से भण्डारे की परंपरा चली आ रही है। अवध के अंतिम नवाब वाजिद अली शाह ने इस परंपरा को और आगे बढ़ाया।

शहर से गांव तक लगेंगे चार हजार भण्डारे
राजधानी में बड़ा मंगल धूमधाम से मनाया जाता है। बीते दो वर्षों से बड़े मंगल पर भण्डारे का आयोजन नहीं पा रहा था। इस बार एक बार शहर भर भण्डारा लगेगा। इस बार करीब चार हजार भण्डारे लगने की उम्मीद है। नवाबों द्वारा करीब 400 साल पहले बड़े मंगल पर अलीगंज हनुमान मंदिर से शुरू हुआ भण्डारा आज पूरे शहर भर में फैल गया है। इस भण्डारे की खस बात यह है कि कोई गरीब हो या अमीर यह सबके लिए है। भण्डारे का प्रसाद लोग घर और कार्यालय भी ले जाते हैँ। अलीगंज, कपूरथला, चौक, ठाकुरगंज, हजरतगंज, कैसरबाग, गोमतीनगर, आलमबाग, पीजीआई, मोहनलालगंज, गोसाईंगंज, काकोरी समेत पूरे शहर भर में जगह-जगह भण्डारे लगे मिलेंगे।

समय के साथ बदलता गया भण्डारे का स्वरूप
नवाबों के समय जब भण्डारे की शुरुआत हुई तो गुड़, चना और गेहूं बांटने की परम्परा थी। समय के साथ अब सब्जी- पूडी, छोला- चावल, आइसक्रीम, शरबत, कोल्डड्रिंक और तरह की चीजे प्रसाद के रूप में भण्डारे में बंटने लगी। आज लखनऊ का कोई ऐसा इलाका नहीं है। जहां बड़े मंगल पर भण्डारा न लगता हो।

बजरंगबली की लाल लंगोट वालों ने परिक्रमा
बड़े मंगल पर अलीगंज हनुमान मंदिर की परिक्रमा करने लोग दूर- दूर से आते हैं। मनोरथ के लिए भक्त लेटकर डगर नापते हुए घर से आते हैं। इस पंरपरा का निर्वहन भक्तों ने इस बार भी देर रात किया।

मंदिर सजकर हुए तैयार
बड़े मंगल पर बड़ी संख्या में भक्तों की भीड़ मंदिर में जुटेगी। जिसको लेकर मंदिर कमेटी की ओर से तैयारी पूरी हो गई है। मंदिर रंग बिरंगे झालरों से जगमग हो गए हैं। अलीगंज हुनमान मंदिर सोमवार दिन में 12 बजे मंदिर के कपाट खुलने के बाद मंगलवार रात 12 बजे बंद होगा। मंदिर की ओर से 2.5 कुंतल लड्डू और एक हजार कालाजाम बांटा जाएगा। बजरंगबली का दिन भर में 11 बार चोला बदला जाएगा। मंदिर की ओर से आयोजित भंडारे में तीन तरह की सब्जी, पूड़ी, रायता और बूंदी रहेगी। वहीं अलीगंज पुराना हनुमान मंदिर में बड़े मंगल पर विशेष पूजन के साथ भंडारे का आयोजन होगा। वहीं लखनऊ विश्वविद्यालय मार्ग स्थित हनुमान सेतु मंदिर में सोमवार रात 12 बजे मंदिर के कपाट खुलने के साथ मंगला आरती हुई। पहले बड़े मंगल पर 75 हजार लड्डू प्रसाद के रूप में बांटा जाएगा। मंदिर के कपाट मंगलवार रात 12 बजे बंद होगा। पक्का पुल स्थित श्री अहिमर्दन पातालपुरी हनुमान जी मंदिर में सुबह सिंदूर लेप कर श्रृंगार किया जाएगा। सुबह नौ बजे आरती उतारी जाएगी। बजरंगबली को 56 व्यंजन का भोग लगाया जाएगा। वहीं हजरतगंज स्थित दक्षिणमुखी मंदिर, छाछी कुआं हनुमान मंदिर, अमीनाबाद हनुमान मंदिर आदि मंदिरों में मंगल पर बजरगंबली की विशेष पूजन होगा।