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SP के साथ सीटों के तालमेल को लेकर सोनिया गांधी ने संभाली कमान

नई दिल्ली/लखनऊ। समाजवादी पार्टी के नए मुखिया बने अखिलेश यादव ने शनिवार को 100 सीटों का फाइनल ऑफर देते हुए गेंद कांग्रेस के पाले में डाल दी। अखिलेश ने साफ संकेत दिया है कि कांग्रेस चाहे तो इस प्रस्ताव पर विचार कर सकती है या फिर अपनी राह अलग कर सकती है। अब कांग्रेस के ऊपर है कि वह अखिलेश के आगे नरम पड़ती है या फिर सभी 403 सीटों पर चुनाव लड़ने की तैयारी करती है। इस बीच कांग्रेस की ओर से एसपी के साथ सीटों को लेकर कोई राह निकालने के लिए खुद पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी सक्रिय हो गई हैं।

कांग्रेस की ओर से रविवार को गठबंधन को लेकर किसी फैसले का ऐलान किया जा सकता है। कहा जा रहा है कि कांग्रेस का एक बड़ा तबका है, जो अखिलेश के आगे झुकने की बजाय ‘एकला चलो’ की राह पकड़ने का समर्थक है। हालांकि कांग्रेस लीडरशिप का मानना है कि वह यूपी सीएम की लोकप्रियता के सहारे चुनावी नैया पार लगा सकते हैं। कांग्रेस की मुश्किल यह है कि यूपी में उसका संगठन कमजोर है, इसके अलावा जनता के बीच भी उसके प्रति कोई उत्साहजनक माहौल नहीं दिखता।

समाजवादी पार्टी के सूत्रों ने दावा किया कि प्रियंका की ओर से अखिलेश के पास दूत भेजे जाने के बाद अब सोनिया गांधी ने ही कमान अपने हाथ में ले ली है। माना जा रहा है कि कांग्रेस अब अपने लिए 121 सीटों की मांग पर कुछ पीछे हट सकती है। राहुल गांधी को प्रॉजेक्ट करने के लिहाज से गठबंधन को लेकर चल रही बातचीत में सोनिया अब तक पर्दे के पीछे ही थीं। अब अलायंस को लेकर उनकी एंट्री से कांग्रेस को कुछ सीटों का फायदा हो सकता है।

शुक्रवार को अखिलेश यादव ने कांग्रेस को झटका देते हुए ऐसी कई सीटों पर भी अपने प्रत्याशियों का ऐलान कर दिया था, जहां कांग्रेस पहले ही उम्मीदवार उतार चुकी है। कांग्रेस का मानना है कि अखिलेश यादव कम से कम 4 सीट और दे सकते हैं। कांग्रेस नेताओं का कहना है कि अखिलेश ने पहले 121 सीटें देने का वादा किया था, ऐसे में अब 100 पर कैसी राजी हुआ जा सकता है।

कांग्रेस के रणनीतिकारों का मानना है कि चुनाव में बुरी स्थिति में पहुंचने से अच्छा यह है कि अखिलेश के ऑफर को स्वीकार कर लिया जाए। अब तक सूबे में बीजेपी के मुकाबले एसपी और बीएसपी सबसे मजबूत दावेदार दिख रहे हैं। कांग्रेस मानती है कि वह अखिलेश के साथ जाकर अपनी सीटों के आंकड़े में इजाफा कर लेगी, इसके अलावा वह यह भी प्रॉजेक्ट कर सकेगी कि सेकुलरिज्म की खातिर उसने त्याग का फैसला लिया है।