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जन्मदिन पर जाने पूर्व प्रधानमंत्री के बारे में कुछ खास जानकारियां

कम शब्दों में अपनी बात कहनेवाले देश के पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह आर्थिक मामलों के दिग्गज माने जाते हैं। पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह वर्तमान में राज्यसभा के सदस्य हैं। मनमोहन सिंह देश के प्रधानमंत्री बनने से पहले 1991 में पीवी नरसिम्हा राव की सरकार में वित्तमंत्री थे। एक वित्त मंत्री के तौर पर उन्होंने भारत की आर्थिक स्थिति को सुधारने के लिए 24 जुलाई 1991 को अपना पहला केन्द्रीय बजट पेश किया था। इस बजट को देश में आर्थिक उदारीकरण की बुनियाद माना जाता है। उस समय जब देश की आर्थिक स्थिति बहुत ज्यादा खराब थी तो नरसिम्हा राव ने वित्त मंत्री के तौर पर मनमोहन सिंह को अर्थव्यस्था में सुधार के लिए बड़े बदलाव करने की छूट दी। जानकारी के लिए बता दें कि भारतीय इतिहास में इस बजट को गेम चेंजर बजट कहा जाता है। इसी बजट के चलते देश की अर्थव्य्वस्था में तेजी से गति आई। मनमोहन सिंह 2004 से 2014 तक देश के प्रधानमंत्री बने रहे। वह जवाहरलाल नेहरू और इंदिरा गांधी के बाद सबसे ज्यादा समय तक प्रधानमंत्री बने रहे।

किसी राजनीतिक घराने से ताल्लुक नहीं रखने वाले मनमोहन सिंह का जन्म अविभाजित भारत के पंजाब प्रांत के एक गांव में हुआ था। उन्होंने पंजाब से मेट्रिक की पढ़ाई पूरी करने के बाद ब्रिटेन के कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी से अपनी शिक्षा पूरी की। वह बेहद ही साधारण घर से पले-बढे। आपको जानकार हैरानी होगी लेकिन मनमोहन सिंह ने देश में लगातार 10 सालों तक भारत पर राज किया जिसके कारण उन्हें देश का एक्सिडेंटल प्राइम मिनिस्टर (The accidental prime minister) भी कहा जाता है। अपनी राजनितिक जीवन की शुरूआत उन्होंने 1991 से की। वह देश के पहले सिख प्रधानमंत्री थे। एक सफल अर्थशास्त्री के तौर पर मनमोहन सिंह को हमेशा याद किया जाएगा लेकिन प्रधानमंत्री के तौर पर उन्हें उतनी शोहरत नहीं मिली जितनी मिलनी चाहिए। देश के प्रधानमंत्री होने के बावजूद मनमोहन सिंह के निर्णय लेने की क्षमता और कम बोलने की वजह से उनका नाम मौनमोहन सिंह भी रख दिया गया।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक मनमोहन सिंह की बेटी दमन सिंह की किताब ‘स्ट्रिक्टली पर्सनल: मनमोहन एंड गुरुशरण’ में मनमोहन को लेकर कई बड़े किस्सों का जिक्र किया गया है। बेटी की किताब के मुताबिक, मनमोहन के पिता उन्हें डॉक्टर बनाना चाहते थे और इसके लिए उन्होंने 1948 में अमृतसर के खालसा कॉलेज में एडमिशन भी लिया लेकिन पढ़ाई में मन नहीं लगने के कारण उन्होंने बीच में ही मेडिकल की पढ़ाई छोड़ दी। किताब के हवाले से बताया जाता है कि पढ़ाई छोड़ने के बाद मनमोहन अपने पिता के साथ दुकान में बैठने लगे लेकिन उनका यहां भी मन नहीं लगा और उन्होंने फिर से कॉलेज में एडमिशन लिया और 1948 में हिंदू कॉलेज से अर्थशास्त्र में अपनी पढ़ाई शुरू की।

जब दोस्त से मांगना पड़ा कर्ज

मनमोहन सिंह अपनी आगे की पढ़ाई के लिए कैंब्रिज यूनिवर्सिटी चले गए लेकिन आर्थिक स्थिति सही न होने कारण उन्हें काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ा। बताया जाता है कि उनके हर साल की पढ़ाई का खर्च 600 पाउंड था और उन्हें स्कॉलरशिप में 160 पाउंड मिलते थे। इस दौरान उन्होंने अपने एक दोस्त से दो सालों तक 25 पाउंड सालाना का कर्ज मांगा था लेकिन दोस्त ने केवल 3 पाउंड ही भेजे थे।

– निधि अविनाश