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तो क्या बिगड़ेगा द्रौपदी मुर्मू का खेल, समझिए आंकड़ों से का खेल,जानिए क्यों है यशवंत सिन्हा को अपनी जीत का यकीन

राष्ट्रपति के लिए 18 जुलाई को चुनाव होना है। 21 जुलाई को इसके नतीजे आएंगे। सत्ताधारी एनडीए की तरफ से द्रौपदी मुर्मू और विपक्ष की तरफ से यशवंत सिन्हा उम्मीदवार हैं। दोनों ने अपने पक्ष में समर्थन जुटाने की कोशिशें तेज कर दी हैं। कई पार्टियों ने अपनी स्थिति साफ कर दी है। इसी कड़ी में शुक्रवार को अकाली दल ने द्रौपदी मुर्मू को समर्थन देने का एलान कर दिया।

पहले जानिए यशवंत सिन्हा ने क्या कहा?
यशवंत सिन्हा ने अपने प्रचार की शुरुआत केरल से की। इसके बाद वह छत्तीसगढ़ पहुंचे, जहां कांग्रेस की सरकार है। यहां उनसे मीडिया ने पूछा कि वह कैसे खुद की जीत को लेकर आश्वस्त हैं? इसका जवाब देते हुए उन्होंने कहा, ‘चुनाव तक काफी समीकरण बदल जाएंगे। बस देखते जाइए।’ इसके पहले नामांकन के दौरान भी सिन्हा ने खुद की जीत का भरोसा जताया था।

यशवंत को कहां-कहां से मिला समर्थन?
यशवंत सिन्हा को अब तक कांग्रेस, एनसीपी, टीएमसी, सीपीआई, सीपीआई (एम) समाजवादी पार्टी, रालोद, आरएसपी, टीआरएस, डीएमके, नेशनल कांफ्रेंस, भाकपा, आरजेडी, केरल कांग्रेस (एम) जैसे कई दलों का समर्थन मिल चुका है। मतलब यशवंत के पास अभी करीब तीन लाख 89 हजार वैल्यू के वोट हैं। केरल के छोटे-बड़े सभी दलों ने यशवंत सिन्हा को ही समर्थन दिया है। ऐसे में संभव है कि यहां से एनडीए की उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू को एक भी वोट न मिले।

द्रौपदी मुर्मू को किन-किन दलों ने दिया समर्थन?
एनडीए की उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू शनिवार से चुनाव प्रचार शुरू कर सकती हैं। मुर्मू को अब तक भाजपा के अलावा बीजेडी, वाईएसआर कांग्रेस, जनता दल सेक्युलर, शिरोमणि अकाली दल, जेडीयू, एआईएडीएमके, लोक जन शक्ति पार्टी, अपना दल (सोनेलाल), निषाद पार्टी, बहुजन समाज पार्टी, रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया (अठावले), एनपीपी, एनपीएफ, एमएनएफ, एनडीपीपी, एसकेएम, एजीपी, पीएमके, एआईएनआर कांग्रेस, जननायक जनता पार्टी, यूडीपी, आईपीएफटी, यूपीपीएल जैसी पार्टियों ने समर्थन दे दिया है। विपक्ष में होने के बाद भी बीजेडी, वाईएसआर कांग्रेस, जनता दल सेक्युलर, अकाली दल और बहुजन समाज पार्टी ने एनडीए की उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू को समर्थन दिया है। इन सभी के पास 6 लाख वैल्यू से ज्यादा के वोट हैं।

तो इन दलों से है यशवंत को उम्मीदें?
राष्ट्रपति चुनाव के लिए ज्यादातर बड़ी पार्टियों ने अपनी स्थिति स्पष्ट कर दी है। लेकिन अभी भी कुछ दलों की स्थिति स्पष्ट नहीं है। पंजाब और दिल्ली में आम आदमी पार्टी की सरकार है। 10 राज्यसभा सांसद भी हैं। अभी तक आम आदमी पार्टी ने राष्ट्रपति चुनाव को लेकर कुछ साफ नहीं किया है।

इसके अलावा टीडीपी, झामुमो ने भी अब तक कुछ साफ नहीं किया है। शिवसेना में भी आंतरिक कलह के चलते अब तक किसी भी उम्मीदवार के समर्थन का एलान नहीं हुआ है। हालांकि, भाजपा के साथ सरकार बनाने वाले विधायक और ज्यादातर सांसद एनडीए के उम्मीदवार को सपोर्ट कर सकते हैं।

ऐसे में यशवंत सिन्हा को आम आदमी पार्टी, टीडीपी और झामुमो से बड़ी उम्मीदें हैं। अगर ये दल सिन्हा को समर्थन दे देते हैं तो वह द्रौपदी मुर्मू के कुछ हद तक करीब पहुंच सकते हैं। हालांकि,

आंकड़ों से समझिए खेल?
राष्ट्रपति चुनाव में दोनों सदनों के निर्वाचित सांसद, सभी राज्यों के विधायक और विधान परिषद के सदस्य वोट करते हैं। इनके वोट की कुल वैल्यू 10 लाख 86 हजार 431 होती है। इस तरह जीत के लिए आधे से एक वोट की ज्यादा जरूरत होती है। मतलब उम्मीदवार को जीत के लिए कम से कम पांच लाख 43 हजार 216 वोट चाहिए होंगे। अभी भाजपा के पास करीब छह लाख वैल्यू के वोट हैं। मतलब जीत के लिए निर्धारित वोट से कहीं ज्यादा, वहीं सिन्हा के पास करीब तीन लाख 89 हजार वैल्यू के वोट हैं। मतलब जीत के लिए निर्धारित वोट वैल्यू से करीब डेढ़ लाख कम। ऐसे में अब तक जो आंकड़े दिख रहे हैं, उससे साफ पता चलता है कि द्रौपदी मुर्मू ऐतिहासिक जीत की तरफ बढ़ रहीं हैं।