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RBI ने क्रेडिट पॉलिसी का किया ऐलान, ब्याज दरों में 0.25% की कटौती, सस्ता हो सकता है होम लोन-कार लोन

rajan05नयी दिल्ली। आरबीआई ने आज क्रेडिट पॉलिसी का ऐलान किया। ब्याज दरों में 0.25% की कटौती की। सीआरआर में कोई बदलाव नहीं किया गया। सीआरआर दर 4% पर बरकरार है। रेपो रेट में 0.25% की कटौती की गई। रेपो रेट 6.75% से घटकर 6.50% हुआ। एमएसएफ में 0.75 की कटौती की गई। रेपो रेट घटने से EMI कम हो सकती है। बैंक EMI कम करने का फैसला ले सकते हैं। इससे होम लोन और कार लोन सस्ता हो सकता है।

* आरबीआई ने कहा कि वह आने वाली दिनों में भी नीतिगत नरमी का रूख बनाए रखेगा। नकद आरक्षी अनुपात (सीआरआर) के लिए दैनिक स्तर पर न्यूनतम 95% कोष बनाए रखनी की अनिवार्यता को घटाकर 90% किया जो 16 अप्रैल से प्रभावी होगी। आरबीआई ने 2016-17 के लिए वृद्धि का अपना अनुमान 7.6% पर बरकरार रखा।

* आरबीआई ने नकदी की सीमांत अतिरिक्त सुविधा (एमएसएफ) पर ब्याज 0.75% घटाई और रिवर्स रेपो रेपो दर में 0.25% की बढ़ोतरी की ताकि कॉल मनी दर का रेपो दर से बेहतर तालमेल हो सके। इससे एमएफएस पर ब्याज दर 7.0% और रिवर्स रैपो दर 6.0% हो गयी है। बैंक दर भी एमएफएस के अनुरूप 7.0% कर दी गयी है।

* आरबीआई गवर्नर रघुराम राजन ने कहा, हम पनामा दस्तावेज पर जांच दल में शामिल है जो यह तय करेगा कि क्या वैधानिक है और क्या नहीं।

* आरबीआई का अनुमान 7वें वेतन आयोग से 2 साल में मुद्रास्फीति पर 1-1.5% असर होगा, वित्त वर्ष 2016-17 में खुदरा महंगाई दर 5% के आस-पास रहेगी।

* आरबीआई ने कस्टोडियन (अभिरक्षक) बैंक, जैसे अलग-अलग तरह की बैंकिंग के लाइसेंस देने का संकेत दिया जो बड़े और दीर्घकालिक ऋण देने का काम करते हैं।

रिजर्व बैंक ने आज अपनी नीतिगत दर रेपो में 0.25% की कटौती की और नकदी आपूर्ति बढ़ाने के भी कई उपाय किये जिससे बैंकों को उत्पादक क्षेत्रों को ऋण सहायता देने के लिए सस्ता और अधिक धन उपलब्ध होने की संभावना है। रपो वह दर है जिस पर आरबीआई बंकों को उनकी तात्कालिक जरूरत के लिए धन उधार देता है। केंद्रीय बैंक ने साथ ही आगे भी नीतिगत उदारता बनाए रखने का संकेत दिया है।

आरबीआई गवर्नर रघुराम राजन ने अप्रैल- मार्च 2016-17 की पहली द्वैमसिक मौद्रिक नीति समीक्षा जारी करते हुए कहा कि इस समय स्थापित उत्पादन क्षमता का पूरा उपायोग नहीं हो पाने के कारण निजी निवेश का स्तर कम है। ऐसे में नीतिगत दर में 0.25% कटौती से आर्थिक वृद्धि मजबूत बनाने में मदद मिलेगी। रेपो दर अब घटकर 6.5% पर आ गयी है। यह कटौती बाजार की उम्मीदों के अनुरूप है। हालांकि इसकी घोषणा का शेयर बाजार विपरीत असर दिखा और बंबई शेयर बाजार का सेंसेक्स करीब कारोबार के दौरान एक समय 300 अंक नीचे चला गया।

राजन ने बैंकों के पास ऋण देने योग्य नकदी बढ़ाने के भी कई पहलें कीं है। उन्होंने इसके लिए उसने रेपो तथा रिवर्स रपो और बैंक दर के बीच के अंतर का दायरा एक प्रतिशत से घटा कर 0.50% कर दिया है। इस कदम से कारण रिवर्स रेपो 6% और बैंक दर 7% कर दी गयी है। रिजर्व बैंक जिस दर पर अल्प समय के लिए बंकों से अतिरिक्त कोष लेता है उसे वह रिवर्स रेपो दर कहलाती है। तथा बैंक दर रिजर्व बैंक के अपेक्षाकृत अधिक समय के उधार पर लगायी जाने वाली ब्याज दर है।

मौद्रिक नीति में कहा गया कि बैंकों की ओर से एक दिन के लिए लिए जाने वाले उधार की राशि मार्च में बढ कर औसतन 1,935 अरब रुपए हो गया। जनवरी में यह औसत 1,345 रुपए डॉलर था। राजन ने कहा कि मुद्रास्फीति का स्तर लक्ष्य के करीब है और मूल्य वृद्धि वित्त वर्ष की शेष अवधि में पांच प्रतिशत के करीब रहेगी। उन्होंने दोहराया कि आर्थिक वृद्धि की चिंताओं के समाधान के लिए मौद्रिक नीति उदार बनी रहेगी।

आरबीआई ने चालू वित्त वर्ष में सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि दर के अपने 7.6% के अनुमान को बरकार रखा है। इसके पीछे मान्यता है कि मानसून सामान्य रहेगा और सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों के कार्यान्वयन से उपभोग मांग को बढ़ावा मिलेगा।

केंद्रीय बैंक ने कहा कि उसे आशंका है कि 7वें वेतन आयोग का अगले दो साल में मुद्रास्फीति पर 1-1.5% असर होगा लेकिन कहा कि यह झटका उतना तेज नहीं है जितना छठे वेतन आयोग की सिफारिशों के लागू होने पर महसूस हुआ था। राजन ने मौद्रिक नीति समिति बनाने के लिए आरबीआई अधिनियम में संशोधन की पहल का स्वागत किया है और कहा कि इससे मौद्रिक नीति की विश्वसनीयता और बढ़ेगी। उन्होंने सरकार द्वारा राजकोषीय पुनगठन के मार्ग पर कायम रहने का स्वागत किया और कहा कि यह प्रशंसनीय प्रतिबद्धता है जिससे आने वाले दिनों में मुद्रास्फीति में कमी लाने में मदद मिलेगी।

रिजर्व बैंक ने फिर कहा कि उसके नीतिगत कदमों का बैंकों की ब्याज दर पर प्रभाव और अच्छी तरीके से पहुंचना चाहिए। आरबीआई को उम्मीद है कि सरकार द्वारा लधु बचत योजना पर ब्याज दरें कम किये जाने, इस मौद्रिक नीति में नकदी प्रबंधन ढांचे में सुधार के उपायों और रिणों पर ब्याज को नकदी की सीमांत लागत पर आधारित करने जैसे उपायों से मौद्रिक नीति के निर्णयों के प्रभाव का संप्रेषण बेहतर होगा।

राजन ने सितंबर 2015 की समीक्षा में मुख्य नीतिगत दर में यह कहते हुए आश्चर्यजनक 0.50% की बड़ी कटौती करी थी कि आरबीआई यह कटौती प्रारंभ में ही कर दे रहा है पर वह अपनी उदार नीतिगत बरकरार रखेगा। सरकार की ओर से अनुकूल पहलों और वृहत्-आर्थिक आंकड़ों से से उम्मीद बंधी थी कि राजन 2016-17 की पहली द्वैमासिक नीतिगत घोषणा में नीतिगत दर में कटौती जरूर करेंगे।

खुदरा मुद्रास्फीति फरवरी में 5.18% थी जो पहले के अनुमानों से कम है और इससे आरबीआई के लिए अपना लक्ष्य प्राप्त करना आसान हुआ है। मौद्रिक नीति समीक्षा में कहा गया है कि चालू वित्त में राजकोषीय घाटा कम कर 3.5 प्रतिशत रखने के साथ साथ राजकोषीय मजबूती के रास्ते पर बने रहने की सरकार की प्रतिबद्धता तथा आरबीआई की पिछली नीतिगत समीक्षाओं में लघु बचत योजनाओं पर ब्याज दर घटाने के सुझावों के अनुसार सरकार की कार्रवाई से नीतिगत दर में कटौती की मांग का पक्ष और मजबूत हुआ।

औद्योगिक उत्पाद में बार-बार संकुचन से भी नीतिगत ब्याज दर में कमी किए जाने की मांग पर जोर था। जनवरी में औद्योगिक उत्पादन 1.5% गिरा था। हाल के महीनों में नकदी की तंगी को देखते हुए इस मोर्चे पर भी कदम उठाए जाने की उम्मीद थी।

नियामकीय लिहाज से आरबीआई ने कहा कि वह ऐसी प्रणाली पर विचार कर रहा है जिसमें बड़े कर्जदारों को रिण के लिए पूरी तरह बैंकों पर निर्भर रहने के बजाय अपने कर्ज की जरूरत का एक हिस्सा बाजार से जुटाने के लिए कहा जाएगा। वसूल नहीं हो रहे कजरें में बड़े कर्ज लेने वालों का ही हिस्सा बड़ा है।

वित्त मंत्री अरुण जेटली ने भी सोमवार को नीतिगत ब्याज दरों के मोर्चे पर नरमी की वकालत करते हुए कहा था कि उंची ब्याज दर से अर्थव्यवस्था सुस्त पड़ सकती है। बैंकर और विशेषज्ञ भी उम्मीद कर रहे थे कि RBI के गवर्नर रघुराम राजन ऋण की लागत को कम करेंगे। बैंक ऑफ महाराष्ट्र के चेयरमैन एवं प्रबंध निदेशक सुशील मुनहोत ने कहा था कि इस बात की संभावना है कि RBI नीतिगत दर में 0.25% की कटौती करेगा।

सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक के एक वरिष्ठ बैंक अधिकारी ने कहा था कि बाजार मानकर चल रहा है कि ब्याज दरों में 0.25% की कटौती होगी, लेकिन इस बात की भी काफी संभावना है कि केंद्रीय बैंक नीतिगत दर में 0.50% तक की कटौती करे। उद्योग मंडल भी ब्याज दरों में 0.50% की कटौती की मांग कर रहे थे।