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पाकिस्तान: पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान को गिरफ्तार करने लाहौर पहुंची पुलिस, इमरान के घर के बाहर उनके समर्थकों और पुलिस से उनकी झड़प

इस्लामाबाद

2018 में सत्ता में आए इमरान खान को आधिकारिक यात्राओं के दौरान अमीर अरब शासकों से महंगे उपहार मिले, जो तोशाखाना में जमा किए गए थे। बाद में उन्होंने उसे प्रासंगिक कानूनों के अनुसार रियायती मूल्य पर खरीदा और उसे भारी मुनाफे पर बेच दिया था।

तोशखाना मामले में पुलिस पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान को गिरफ्तार करने लाहौर स्थित उनके निवास पर पहुंची है। पाकिस्तान मीडिया के हवाले से यह खबर आ रही है। बताया जा रहा है कि पुलिस के पास इमरान की गिरफ्तारी का वारंट है। इमरान के घर के बाहर उनके समर्थकों का जमावड़ा है। पुलिस से उनकी झड़प की खबरें भी सामने आ रही हैं।

मामले में पुलिस के बयानों से असमंजस की स्थिति बनी हुई है। पुलिस की ओर से यह भी दावा किया जा रहा है कि फिलहाल इमरान खान को गिरफ्तार करने की कोई योजना नहीं है। दूसरी ओर खबर है कि इस्लामाबाद आईजी ने टीम को आज ही इमरान को गिरफ्तार करने के निर्देश दिए हैं।

इससे पहले इस्लामाबाद पुलिस ने ट्वीट कर बताया था कि कोर्ट के आदेश के मुताबिक पुलिस की एक टीम इमरान खान को गिरफ्तार करने के लिए लाहौर पहुंची। इस्लामाबाद पुलिस सुरक्षा के लिहाज से इमरान खान को इस्लामाबाद ट्रांसफर करेगी। कानून सबके लिए बराबर है। लाहौर पुलिस के सहयोग से सभी ऑपरेशन पूरे किए जा रहे हैं। कोर्ट के आदेशों के पालन में बाधा डालने वालों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी। पुलिस ने बताया कि एसपी जब इमरान खान के कमरे में गए तो वे वहां नहीं मिले। इससे साफ है कि इमरान गिरफ्तारी से कतरा रहे हैं।

फवाद बोले- पाकिस्तान को संकट में नहीं डालने वाला काम न करें
इस बीच पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ के नेता फवाद खान ने कहा कि पुलिस और सरकार को हालात को ठीक से समझना चाहिए। इमरान की गिरफ्तारी की कार्रवाई से हालात बिगड़ सकते हैं। उन्होंने कहा कि मैं पाकिस्तान विरोधी सरकार को चेतावनी देता हूं। सरकार और प्रशासन को पाकिस्तान को संकट में नहीं डालना चाहिए। उन्होंने पार्टी कार्यकर्ताओं से जमान पार्क पहुंचने की अपील की।

पाकिस्तान के चुनाव आयोग ने पिछले साल 21 अक्तूबर को कहा था कि पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (PTI) पार्टी के प्रमुख इमरान खान ने प्रधानमंत्री के रूप में मिले उपहारों के बारे में गलत घोषणाएं की थीं। बाद में चुनाव आयोग ने तोशाखाना मामले में झूठे बयान और गलत घोषणा करने के लिए इमरान खान को संसद की सदस्यता से अयोग्य घोषित कर दिया था।

किस मामले में जारी हुआ वारंट?
2018 में सत्ता में आए इमरान खान को आधिकारिक यात्राओं के दौरान अमीर अरब शासकों से महंगे उपहार मिले, जो तोशाखाना में जमा किए गए थे। बाद में उन्होंने उसे प्रासंगिक कानूनों के अनुसार रियायती मूल्य पर खरीदा और उसे भारी मुनाफे पर बेच दिया। पूर्व प्रधानमंत्री इमरान ने सुनवाई के दौरान ईसीपी को बताया था कि राज्य के खजाने से खरीदे गए उपहारों की बिक्री से 21.56 करोड़ रुपये का भुगतान कर लगभग 58 लाख रुपये प्राप्त हुए थे। उपहारों में एक महंगी कलाई घड़ी, कफलिंक की एक जोड़ी, एक महंगा पेन, एक अंगूठी और चार रोलेक्स घड़ियाँ शामिल थीं। इमरान खान के विरोधी दावा कर रहे हैं कि उन्होंने आयकर रिटर्न में बिक्री दिखाने में विफल रहे।

क्या कहता है पाकिस्तान का कानून?
पाकिस्तान के कानून के मुताबिक, किसी विदेशी राज्य के गणमान्य व्यक्तियों से प्राप्त कोई भी उपहार स्टेट डिपॉजिटरी या तोशाखाना में रखा जाना चाहिए। यदि राज्य का मुखिया उपहार को अपने पास रखना चाहता है तो उसे इसके मूल्य के बराबर राशि का भुगतान करना होगा। यह एक नीलामी की प्रक्रिया के जरिए तय किया जाता है। ये उपहार या तो तोशाखाना में जमा रहते हैं या नीलाम किए जा सकते हैं और इसके माध्यम से अर्जित धन को राष्ट्रीय खजाने में जमा किया जाता है।

सत्तारूढ़ गठबंधन के साथियों ने दी थी शिकायत
सत्तारूढ़ गठबंधन सरकार के सांसदों ने अगस्त में 70 वर्षीय इमरान के खिलाफ पाकिस्तान निर्वाचन आयोग (ईसीपी) में शिकायत दी थी। शिकायत में तोशाखाना (देश का भंडार गृह) से रियायती मूल्य पर खरीदे गए उपहारों की बिक्री से हुई आय का खुलासा नहीं करने के लिए इमरान को अयोग्य ठहराने की मांग की गई थी। मुख्य चुनाव आयुक्त (सीईसी) सिकंदर सुल्तान राजा की अध्यक्षता वाली चार सदस्यीय पीठ ने इस्लामाबाद स्थित ईसीपी सचिवालय में फैसला सुनाया और इमरान को अयोग्य करार दे दिया।

पीएम पद से हटाए गए थे इमरान
पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान ने पिछले साल सितंबर में यह स्वीकार किया था कि उन्होंने प्रधानमंत्री के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान मिले कम से कम चार तोहफे बेचे थे। इमरान खान 2018 में प्रधानमंत्री बने थे, लेकिन अप्रैल 2022 में संसद में अविश्वास मत के जरिए उन्हें पद से हटा दिया गया था।