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OBOR: भारत का नाम लिए बिना बोले शी, सभी करें एक दूसरे की संप्रभुता का सम्मान

पेइचिंग। चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग ने कहा कि सभी देशों को एक दूसरे की संप्रभुता और भूभागीय एकता का सम्मान करना चाहिए। यह बात शी ने चीन के ‘बेल्ट ऐंड रोड फोरम’ सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए कही। भारत ने पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर से हो कर गुजरने वाले इस विवादित आर्थिक गलियारे को लेकर चिंताओं के चलते इस फोरम का बहिष्कार किया है। अपने उद्घाटन भाषण में चीन के दृष्टिकोण का जिक्र करते हुए 63 वर्षीय शी ने प्राचीन रेशम मार्ग का संदर्भ दिया और ‘सिंधु और गंगा सभ्यताओं सहित’ विभिन्न सभ्यताओं के महत्व पर अपनी बात रखी।

चीन भारत आर्थिक गलियारे (सीपीईसी) को लेकर भारत की आपत्तियों का संदर्भ दिए बिना शी ने कहा ‘सभी देशों को एक दूसरे की संप्रभुता, मर्यादा और भूभागीय एकता का, एक दूसरे के विकास के रास्ते का, सामाजिक प्रणालियों का , एक दूसरे के प्रमुख हितों और बड़ी चिंताओं का सम्मान करना चाहिए।’ भारत ने करीब 50 अरब डॉलर से अधिक की लागत वाले सीपीईसी को लेकर अपनी संप्रभुता संबंधी चिंताओं के चलते सम्मेलन में हिस्सा नहीं लिया। यह सीपीईसी पाक अधिकृत कश्मीर से हो कर गुजरेगा।

दो दिवसीय इस सम्मेलन के उद्घाटन सत्र में कुछ भारतीय विद्वानों ने हिस्सा लिया। पेइचिंग में हो रहे इस सम्मेलन में 29 देशों के नेता शामिल हुए। शी ने कहा कि ‘बेल्ट ऐंड रोड’ पहल सदी की परियोजना है जिससे पूरी दुनिया के लोगों को लाभ होगा। सीपीईसी के हिस्से वाले ‘बेल्ट ऐंड रोड’ पहल में हिस्सा ले रहे देशों का ‘छोटा समूह’ बनाने की कोशिश से इंकार करते हुए शी ने कहा कि चीन की योजना ऐसी मार्ग बनाने की है जो शांति के लिए हो। साथ ही एशिया, यूरोप और अफ्रीका के ज्यादातर हिस्सों से उनके देश को जोड़े।

शी को कोट करते हुए सरकारी समाचार एजेंसी शिन्हुआ ने कहा ‘इस पहल को आगे बढ़ाते हुए चीन का इरादा स्थिरता को प्रभावित करने के लिए छोटा समूह बनाने का कतई नहीं है।’ शी ने कहा कि ‘बेल्ट ऐंड रोड’ पहल के लिए शांतिपूर्ण एवं स्थिर माहौल की जरूरत है इसलिए यह मार्ग शांति के लिए बनाया जाना चाहिए। इस फोरम में 29 देशों और सरकारों के प्रमुखों और 100 से अधिक देशों, अंतरराष्ट्रीय संगठनों के प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया।

फोरम में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ, श्रीलंका के प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे, रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और तुर्की के राष्ट्रपति रजब तैयब अदारेगन सहित अन्य ने हिस्सा लिया। अमेरिका ने राष्ट्रपति के विशेष सहायक एवं राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद में एशिया के लिए वरिष्ठ निदेशक मैट पॉटिंगर की अगुवाई में एक प्रतिनिधिमंडल भेजा। अन्य प्रतिनिधिमंडलों में 130 देशों के अधिकारी, कारोबारी और फाइनैंसर शामिल थे।

इनके अलावा संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंटोनियो गुटेरेज, विश्व बैंक के अध्यक्ष जिम योंग किम और अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष के निदेशक क्रिस्टीन लगार्दे सहित विभिन्न प्रमुख अंतरराष्ट्रीय संगठनों के प्रतिनिधियों ने भी फोरम में हिस्सा लिया। शी ने कहा ‘शांति के दौर में प्राचीन रेशम मार्ग समृद्ध होते रहे लेकिन युद्ध के दौर के साथ उनकी आभा धूमिल हो गई। ‘बेल्ट ऐंड रोडट पहल के लिए शांतिपूर्ण एवं स्थिर माहौल जरूरी है।

उन्होंने कहा ‘हमें नए तरह के अंतरराष्ट्रीय संबंध बनाने होंगे जो सभी के लिए सहयोगात्मक हों और हमें बातचीत की ऐसी भागीदारी बनानी होगी जिसमें टकराव न हो और गठजोड़ के बजाय मित्रता हो।’ शी ने घोषणा की कि चीन रेशम मार्ग कोष में 14.5 अरब डॉलर की अतिरिक्त राशि का योगदान देगा। यह कोष वर्ष 2014 में अवसंरचना संबंधी परियोजनाओं के वित्त पोषण के लिए गठित किया गया था। इसे मिला कर कोष की कुल राशि 55 अरब डॉलर हो जाएगी। इसके अलावा 8.75 अरब डॉलर की वित्तीय सहायता ‘बेल्ट ऐंड रोड’ पहल में हिस्सा लेने वाले देशों को दी जाएगी जिसका उद्देश्य चीन के प्रभाव एवं वैश्विक संपर्क का विस्तार करना है।

शी ने अपने संबोधन में कहा कि ‘बेल्ट ऐंड रोड’ पहल एशियाई, यूरोपीय एवं अफ्रीकी देशों पर केंद्रित है लेकिन यह अन्य देशों के लिए भी है। उन्होंने कहा कि चीन इस पहल में हिस्सा लेने वाले विकासशील देशों और अंतरराष्ट्रीय संगठनों को 60 अरब यूआन (8.7 अरब डॉलर) की सहायता मुहैया कराएगा ताकि ये देश एवं संगठन लोगों के कल्याण के लिए और परियोजनाओं की शुरुआत कर सकें। शी ने कहा कि चीन ‘बेल्ट ऐंड रोड’ पहल में हिस्सा ले रहे देशों के साथ नवाचार पर सहयोग बढ़ाने के लिए 50 संयुक्त प्रयोगशालाओं की स्थापना करेगा।

उन्होंने कहा कि इसके अलावा चीन वित्तीय संस्थानों को 300 अरब यूआन (करीब 43.5 अरब डॉलर) की अनुमानित राशि से दूसरे देशों में आरएमबी कोष कारोबार करने के लिए प्रोत्साहित करेगा। ऐतिहासिक रेशम मार्ग के नाम पर आधारित ‘बेल्ट ऐंड रोड’ पहल का प्रस्ताव शी ने वर्ष 2013 में अंतरराष्ट्रीय सहयोग के लिए नए भूभाग तैयार करने के लिए दिया था। दुनिया भर से आए 1,500 से अधिक लोगों को संबोधित कर रहे शी ने कहा ‘हजारों मील और वर्षों तक फैले प्राचीन रेशम मार्गों में शांति एवं सहयोग, खुलेपन-समावेश, परस्पर लाभ एवं परस्पर सीखने की भावना है।’

उन्होंने कहा ‘रेशम मार्ग भावना मानव सभ्यता की महान विरासत बन गई है।’ ‘बेल्ट ऐंड रोड’ पहल में कई मार्ग एवं बंदरगाह परियोजनाएं हैं। सीपीईसी को जहां मुख्य परियोजना कहा जा रहा है वहीं ‘बेल्ट एंड रोड’ में बांग्लादेश, चीन, भारत और म्यामांर (बीसीआईएम) आर्थिक गलियारा, न्यू यूरेशियन लैंड ब्रिज, चीन मंगोलिया रुस आर्थिक गलियारा, चीन भारतचीन प्रायद्वीप आर्थिक गलियारा और 21वीं सदी का नौवहन रेशम मार्ग शामिल है।