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आज शाम 4 बजे 8वीं बार सीएम पद की शपथ लेंगे, नीतिश कुमार, सबसे लंबे समय तक मुख्यमंत्री रहने वाले भी काफी पीछे

नई दिल्ली एनडीए सरकार में मुख्यमंत्री रहे नीतीश कुमार बुधवार शाम चार बजे एक बार फिर सीएम पद की शपथ लेंगे। नीतीश पहली बार साल 2000 में सात दिन के मुख्यमंत्री बने थे। अगले 22 साल में अब तक वे कुल छह बार सीएम पद की शपथ ले चुके हैं। यानी आज नीतीश कुल आठवीं बार मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने जा रहे हैं। यह अपने आप में एक बड़ा रिकॉर्ड है, क्योंकि देश में सबसे लंबे समय तक मुख्यमंत्री रहने वाले नेता भी इतनी बार शपथ नहीं ले पाए हैं।

इस बीच यह जानना अहम है कि नीतीश कुमार को रिकॉर्ड आठवीं बार शपथ लेने की वजह क्या है? आखिर देश में सबसे लंबे समय तक किसी राज्य की कमान संभालने वाले नेता इस रिकॉर्ड को कैसे नहीं बना पाए? इसके अलावा वे कौन-कौन से मुख्यमंत्री हैं, जिन्होंने पांच बार सीएम पद संभाला है। आइये जानते हैं…
22 साल में नीतीश कुमार का आठवां शपथग्रहण कैसे?
2000: पहली बार सिर्फ सात दिन के लिए सीएम बने नीतीश
नीतीश कुमार पहली बार 3 मार्च 2000 को सीएम बने थे। हालांकि, बहुमत न जुटा पाने की वजह से उन्हें 10 मार्च 2000 को पद से इस्तीफा देना पड़ा था। इसके बाद बिहार में 2005 में हुए चुनाव में नीतीश भाजपा के समर्थन से दूसरी बार मुख्यमंत्री पद पर काबिज हुए। 2010 में हुए विधानसभा चुनाव में एक बार फिर जनता ने नीतीश को ही सीएम बनाया।
2014: हार की जिम्मेदारी ले छोड़ा पद
लोकसभा चुनाव में भाजपा के खिलाफ पार्टी के खराब प्रदर्शन की वजह से उन्होंने सीएम पद से इस्तीफा दे दिया। इस दौरान उन्होंने जीतनराम मांझी को मुख्यमंत्री पद सौंपा। हालांकि, 2015 में जब पार्टी में अंदरुनी कलह शुरू हुई तो नीतीश ने मांझी को हटाकर एक बार फिर खुद सीएम पद ग्रहण किया।

2015: महागठबंधन के साथ दर्ज की जीत
2015 के विधानसभा चुनाव में महागठबंधन (जदयू, राजद, कांग्रेस और लेफ्ट गठबंधन) की एनडीए के खिलाफ जीत के बाद नीतीश कुमार एक बार फिर बिहार के मुख्यमंत्री बने। यह कुल पांचवीं बार रहा, जब नीतीश ने सीएम पद की शपथ ली।
2017: तेजस्वी पर लगे आरोप, महागठबंधन छोड़ एनडीए से जुड़े
राजद और डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव के खिलाफ लगे भ्रष्टाचार के आरोपों के बाद नीतीश कुमार ने महागठबंधन से अलग होने का फैसला किया। उन्होंने जुलाई 2017 में ही पद से इस्तीफा दिया और एक बार फिर एनडीए का दामन थाम कर सीएम पद संभाला।

2020: जदयू की कम सीटें, फिर भी बने सीएम
2020 के विधानसभा चुनाव में एनडीए गठबंधन ने जीत हासिल की। हालांकि, जदयू की सीटें भाजपा के मुकाबले काफी घट गईं। इसके बावजूद नीतीश कुमार ने सीएम पद की शपथ ली। हालांकि, भाजपा में उनके मुख्यमंत्री पद को लेकर लंबे समय तक पसोपेश की स्थिति रही। अब नीतीश ने एनडीए से अलग होने का एलान कर एक बार फिर इस्तीफा दे दिया है।

2022: महागठबंधन में लौटे, बनेंगे 8वीं बार सीएम
एनडीए से अलग होने के एलान के ठीक बाद नीतीश कुमार ने राजद के नेतृत्व वाले महागठबंधन से जुड़ने का एलान कर दिया। इसी के साथ यह तय हो गया कि नीतीश कुमार अब आठवीं बार मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने जा रहे हैं। मंगलवार शाम तक शपथग्रहण के समय का एलान भी हो गया। कहा गया कि इसमें सिर्फ सीएम और डिप्टी सीएम शपथ लेंगे।
बाकी मुख्यमंत्री क्यों नहीं बना पाए ये रिकॉर्ड?
नीतीश कुमार के बाद सबसे ज्यादा मुख्यमंत्री बनने का रिकॉर्ड हिमाचल प्रदेश के वीरभद्र सिंह और तमिलनाडु की सीएम रहीं जयललिता के पास है।

1. वीरभद्र सिंह
वीरभद्र सिंह 1983 में पहली बार मुख्यमंत्री बने। 1985 में उन्होंने फिर चुनाव जीता और सीएम पद की शपथ ली। इसके बाद 1993, 1998, 2003 और 2012 में वीरभद्र फिर हिमाचल के सीएम बने। 2016 में भाजपा के खिलाफ हार के साथ ही उनका राजनीतिक करियर ढलान पर आ गया।

2. जे जयललिता
छह कार्यकाल वाले मुख्यमंत्रियों में तमिलनाडु की जयललिता भी नाम है। वे पहली बार 1991 में मुख्यमंत्री बनीं। इसके बाद 2001 में उन्होंने चुनाव जीतकर दूसरी बार सीएम पद की शपथ ली। हालांकि, भ्रष्टाचार के एक मामले की वजह से उन्हें पद छोड़ना पड़ा था। जयललिता के तीसरी बार मुख्यमंत्री बनने का मौका 2002 में ही आया, जब कोर्ट ने उन्हें बरी कर दिया। वे 2006 तक सीएम रहीं। 2011 में उन्होंने एआईएडीएमके को फिर से जीत की दहलीज तक पहुंचाया। 2014 में आय से अधिक संपत्ति के मामले में उन्हें पद छोड़ना पड़ा था। हालांकि, 2015 में बरी होने के बाद उन्होंने पांचवीं बार सीएम पद की शपथ ली। 2016 के विधानसभा चुनाव में पार्टी को जीत दिलाने के बाद जयललिता छठी बार तमिलनाडु की सीएम बनीं।

3. पवन कुमार चामलिंग
भारत में सबसे लंबी अवधि तक मुख्यमंत्री रहने का रिकॉर्ड सिक्किम के सीएम पवन कुमार चामलिंग के पास है। चामलिंग ने 1994, 1999, 2004, 2009 और 2014 में चुनाव जीता और सीएम पद ग्रहण किया। यानी 28 साल लंबे करियर में भी चामलिंग सिर्फ पांच बार ही शपथ ले पाए।

4. ज्योति बसु
इसी तरह पश्चिम बंगाल के पूर्व सीएम ज्योति बसु के पास रहा है। बसु 1977 से लेकर 2000 तक लगातार बंगाल के मुख्यमंत्री बने रहे। इस दौरान उन्होंने कुल पांच बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। चूंकि उन्होंने अपने पद से इस्तीफा नहीं दिया था, इसलिए शपथग्रहण का रिकॉर्ड उनके पास नहीं है।
सबसे ज्यादा बार शपथग्रहण करने वाले बाकी मुख्यमंत्री कौन?
इन दोनों नेताओं के अलाव अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री गेगोंग अपांग भी पांच बार सीएम पद की शपथ ले चुके हैं। वे 1980, 1985, 1990, 1995 में सीएम बने। हालांकि, 1999 में कांग्रेस में टूट के बाद उन्हें पद से इस्तीफा देना पड़ा। 2003 में एनडीए का हिस्सा बनने के कुछ समय बाद अपांग 2004 में एक बार फिर कांग्रेस में शामिल हो गए। इसके बाद वे एक बार फिर मुख्यमंत्री बने। उनका पांचवां कार्यकाल 2007 तक चला।
मौजूदा समय में पांच बार मुख्यमंत्री बनने का रिकॉर्ड ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक के पास है, जो कि पहली बार वर्ष 2000 में सीएम बने थे। 2019 में अपनी पार्टी बीजू जनता दल को जीत दिलाने के बाद पटनायक ने पांचवीं बार सीएम पद की शपथ ली।
इसी तरह मिजोरम के मुख्यमंत्री ललथनहावला भी पांच बार मिजोरम के मुख्यमंत्री पद की शपथ ले चुके हैं। ललथनहावला 1984 से 1986, 1989 से 1993, 1993 से 1998, 2008 से 2013 और 2013 से 2018 तक पांच बार सीएम रहे।
सबसे लंबे समय तक मुख्यमंत्री रहने वाले नेताओं की लिस्ट में एक नाम है एम करुणानिधि का, जो कि 00 बार तमिलनाडु के सीएम पद पर रहे। पहली बार 1969 से 1971 के बीच, फिर 1971 से 1976 तक। मुख्यमंत्री के तौर पर उनका अगला कार्यकाल 1989 से 1991 तक चला। इसके बाद चौथा कार्यकाल 1996 से 2001 तक रहा। उनका पांचवां कार्यकाल 2006 से 2011 तक चला।
पंजाब के प्रकाश सिंह बादल भी पांच बार सीएम के तौर पर शपथ लेने का रिकॉर्ड बना चुके हैं। वे पहली बार 1970 से 1971 तक, फिर 1977 से 1980 तक सीएम रहे। इसके बाद बादल ने 1997 से 2002 तक राज्य की कमान संभाली। भाजपा के साथ 2007 से लेकर 2012 और फिर 2012 से लेकर 2017 में भी उन्होंने सीएम पद संभाला।
हिमाचल प्रदेश के पहले मुख्यमंत्री यशवंत सिंह परमार भी पांच बार राज्य के सीएम पद पर रहे। वे 1952 से 1956, 1963 से 1967, 1967 से 1971 तक तीन बार सीएम पद पर रहे। इसके बाद उन्हें 1972 से 1977 तक एक बार फिर मुख्यमंत्री पद पर रहने का मौका मिला।
पांच बार मुख्यमंत्री बनने वाले नेताओं में एक नाम राजस्थान के सीएम मोहन लाल सुखाड़िया का है, जो महज 38 साल की उम्र में सीएम बन गए थे। उनका पहला कार्यकाल 1954-1957, फिर 1957 से 1962, 1962 से 1967 और पांचवां कार्यकाल 1967 से 1971 तक चला।

इन सबके अलावा कई और नेताओं ने तीन से लेकर पांच बार तक अलग-अलग राज्यों में मुख्यमंत्री पद संभाला। इन बड़े नामों में गोवा के प्रतापसिंह राणे। नगालैंड के एससी जमीर, नेफियू रियो जैसे नाम शामिल हैं। इसके अलावा मध्य प्रदेश के सीएम शिवराज सिंह चौहान, मणिपुर के ओकराम इबोबी सिंह, असम के तरुण गोगोई, बंगाल के बिधान चंद्र रॉय और बिहार के श्रीकृष्ण सिन्हा जैसे नाम शामिल हैं।