Breaking News

जाने उपराष्ट्रपति चुनाव में किसके नाम पर लगेगी भाजपा की मोहर

देश के मौजूदा उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू का कार्यकाल 11 अगस्त को समाप्त हो रहा है। ऐसे में हर किसी की नजर राष्ट्रपति चुनाव के साथ-साथ उपराष्ट्रपति चुनाव पर भी टिक गई है। दरअसल, राष्ट्रपति पद का चुनाव 18 जुलाई को होगा और 21 जुलाई को नतीजे आएंगे।

उम्मीद है कि राष्ट्रपति चुनाव के ठीक बाद उपराष्ट्रपति चुनाव की प्रक्रिया भी शुरू हो जाए। यही वजह है कि राजनीतिक दलों में उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवार को लेकर मंथन शुरू हो गया है। भाजपा के दिग्गज नेता इसकी तैयारी में जुट गए हैं।
1. संसद के दोनों सदनों के सदस्य वोट डालते हैं: उपराष्ट्रपति का चुनाव संसद के दोनों सदनों के सदस्यों से मिलकर बनने वाले निर्वाचक मंडल यानी इलेक्टोरल कॉलेज के जरिए आनुपातिक प्रतिनिधित्व पद्धति से होता है। संसद के दोनों सदनों के सदस्य इसमें हिस्सा लेते हैं। राष्ट्रपति चुनाव में निर्वाचित सांसदों के साथ-साथ विधायक भी मतदान करते हैं, लेकिन उपराष्ट्रपति चुनाव में केवल लोकसभा और राज्यसभा के सांसद ही वोट डाल सकते हैं।

2. मनोनीत सांसद भी डाल सकते हैं वोट: राष्ट्रपति चुनाव में मनोनीत सांसद वोट नहीं डाल सकते हैं, लेकिन उपराष्ट्रपति चुनाव में ऐसा नहीं है। उपराष्ट्रपति चुनाव में ऐसे सदस्य भी वोट कर सकते हैं। इस तरह से देखा जाए तो उपराष्ट्रपति चुनाव में दोनों सदनों के 790 निर्वाचक हिस्सा लेते हैं। इसमें राज्यसभा के चुने हुए 233 सदस्य और 12 मनोनीत सदस्यों के अलावा लोकसभा के 543 चुने हुए सदस्य और दो मनोनीत लोकसभा सदस्य वोट करते हैं। इस तरह इनकी कुल संख्या 790 हो जाती है।
कौन लड़ सकता है उपराष्ट्रपति का चुनाव?
1. भारत का नागरिक हो।
2. 35 साल वर्ष की आयु पूरी कर चुका हो।
3. वह राज्यसभा के लिए चुने जाने की योग्यताओं को पूरा करता हो।
4. उसे उस राज्य या संघ राज्य क्षेत्र में संसदीय निर्वाचन क्षेत्र का मतदाता होना चाहिए।
5. कोई व्यक्ति, जो भारत सरकार के या किसी राज्य सरकार के अधीन या किसी अधीनस्थ स्थानीय प्राधिकरण के अधीन कोई लाभ का पद धारण करता है, वह इसका पात्र नहीं हो सकता है।
6. उम्मीदवार संसद के किसी सदन का या किसी राज्य के विधानमंडल के किसी सदन का सदस्य नहीं होना चाहिए। अगर वह किसी सदन का सदस्य है तो उसे उपराष्ट्रपति चुने जाने के बाद अपनी सदस्यता छोड़नी पड़ेगी।
उम्मीदवारी कब स्वीकार होती है?
चुनाव में खड़े होने के लिए किसी भी व्यक्ति को कम से कम 20 संसद सदस्यों को प्रस्तावक और कम से कम 20 संसद सदस्यों को समर्थक के रूप में नामित कराना होता है।
उपराष्ट्रपति का प्रत्याशी बनने के लिए 15 हजार रुपये की जमानत राशि जमा करानी होती है।
नामांकन के बाद निर्वाचन अधिकारी नामांकन पत्रों की जांच करता है और योग्य उम्मीदवारों के नाम बैलट में शामिल किए जाते हैं।
अब जानिए भाजपा की क्या प्लानिंग है?
उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवार को लेकर भाजपा की प्लानिंग समझने के लिए हमने भाजपा के राष्ट्रीय स्तर के एक नेता से संपर्क किया। उन्होंने बताया, ‘यह तो साफ है कि उपराष्ट्रपति का उम्मीदवार उत्तर, पश्चिम या पूर्वोत्तर भारत के किसी राज्य से होगा।

इन राज्यों के अलग-अलग नामों पर मंथन चल रहा है। देश के इतिहास में आज तक कोई महिला उपराष्ट्रपति नहीं रही हैं। संभव है कि इस बार इतिहास बनाया जाए। द्रौपदी मुर्मू के रूप में महिला और देश को पहली आदिवासी राष्ट्रपति मिलें। वहीं, उपराष्ट्रपति की कुर्सी भी किसी महिला को ही दे दी जाए।’
किस वर्ग से बनाया जा सकता है उम्मीदवार?
इसके लिए हमने राजनीतिक विज्ञान के प्रोफेसर डॉ. अजय सिंह से बातचीत की। उन्होंने कहा, ‘उपराष्ट्रपति के मामले में भी भाजपा का फैसला थोड़ा हटकर हो सकता है। 2014 के बाद जब से देश की सत्ता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हाथों में गई है, तब से वह हर काम करने की कोशिश हो रही है जो बहुत पहले हो जाने चाहिए थे। उपराष्ट्रपति के उम्मीदवार के नाम में भी इसकी झलक देखने को मिल सकती है।’ प्रो. अजय आगे कहते हैं, मौजूदा समीकरण को देखते हुए भाजपा चार अलग-अलग वर्ग के प्रत्याशी पर विचार कर रही है।

1. महिला : आज तक देश में कोई भी महिला उपराष्ट्रपति के पद तक नहीं पहुंच पाई है। ऐसे में संभव है कि राष्ट्रपति उम्मीदवार की तरह ही उपराष्ट्रपति का उम्मीदवार भी कोई महिला ही हो। इसमें पूर्व केंद्रीय मंत्री और मध्य प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती, मणिपुर की पूर्व राज्यपाल नजमा हेपतुल्ला, गुजरात की पूर्व मुख्यमंत्री और उत्तर प्रदेश की मौजूदा राज्यपाल आनंदीबेन पटेल के नाम पर भी चर्चा है।

उमा भारती का असर मध्य प्रदेश के अलावा उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड में भी अच्छा खास देखने को मिलता है। वहीं, नजमा देश के पहले शिक्षामंत्री मौलाना अबुल कलाम आजाद की नातिन हैं। लंबे समय तक वह कांग्रेस में रहीं हैं। नजमा का नाम आगे करने पर भाजपा को दो फायदे हो सकते हैं। पहला यह कि वह मुस्लिम हैं। दूसरा यह कि वह महिला हैं और इसके चलते देश को पहली महिला उपराष्ट्रपति भी मिल सकती हैं। इसी तरह आनंदीबेन पटेल के नाम पर भी चर्चा है। आनंदीबेन गुजरात की पूर्व मुख्यमंत्री हैं। मौजूदा समय वह उत्तर प्रदेश की राज्यपाल हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के करीबियों में आनंदीबेन हैं।

v3. सिख : आज तक देश में कोई सिख उपराष्ट्रपति भी नहीं रहा है। ऐसे में भाजपा किसी सिख चेहरे को उपराष्ट्रपति बना सकती है। इसका फायदा उसे पंजाब और हरियाणा जैसे राज्यों में मिल सकता है।