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जानें पेट्रोल.डीजल के दाम घटाने से सरकार को कितना हुआ घाटा?

नई दिल्ली बढ़ती महंगाई की मार झेल रहे लोगों को केंद्र सरकार ने शनिवार (21 मई) को बड़ी राहत दी। सरकार ने पेट्रोल पर आठ रुपये और डीजल पर छह रुपये केंद्रीय उत्पाद शुल्क (एक्साइज ड्यूटी) कम कर दिया। इससे पेट्रोल की कीमत 9.5 रुपये प्रति लीटर और डीजल के भाव सात रुपये प्रति लीटर तक घट गए। सरकार के इस फैसले से हर कोई हैरान है।विपक्ष इसे राजनीतिक स्टंट बता रहा है। वहीं, सरकार का कहना है कि यह कदम आम जनता को राहत देने के इरादे से उठाया गया। आइए जानते हैं कि एक लाख करोड़ रुपये का घाटा होने के बावजूद सरकार ने पेट्रोल-डीजल की कीमतें क्यों घटा दीं? कीमतें कैसे बढ़ती हैं और यूपी समेत पांच राज्यों में चुनाव के बाद इसमें कितनी बढ़ोतरी हुई? केंद्र सरकार ने पेट्रोल पर आठ रुपये तो डीजल पर छह रुपये एक्साइज ड्यूटी घटाई है। पहले पेट्रोल पर 27 रुपये 90 पैसे प्रति लीटर एक्साइज ड्यूटी लगती थी, जो अब घटकर 19 रुपये 90 पैसे रह गई है। वहीं, डीजल पर पहले 21 रुपये 80 पैसे एक्साइज ड्यूटी लगती थी, जो घटकर 15 रुपये 80 पैसे हो गई। एक्साइज ड्यूटी कम होने के बाद पेट्रोल 9.50 रुपये और डीजल सात रुपये सस्ता हो गया।
बड़े शहरों में क्या होंगी कीमतें?
शहर पेट्रोल डीजल
दिल्ली 96.72 89.62
मुंबई 111.35 97.28
कोलकाता 106.03 92.76
चेन्नई 102.63 94.24
दिवाली से पहले दाम घटाया था, 22 मार्च के बाद अब तक कितना बढ़ा?
केंद्र सरकार ने पिछले साल यानी 2021 में दिवाली की पूर्व संध्या यानी तीन नवंबर को एक्साइज ड्यूटी कम की थी। तब सरकार ने पेट्रोल पर पांच रुपये और डीजल पर 10 रुपये एक्साइज ड्यूटी घटाई थी। इसके बाद पेट्रोल-डीजल की कीमतें यूपी समेत पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव तक स्थिर रहीं। 10 मार्च को नतीजे आए और इसके ठीक 12 दिन बाद यानी 22 मार्च से पेट्रोल-डीजल की कीमतों में बढ़ोतरी शुरू हुई।

तीन नवंबर 2021 को एक्साइज ड्यूटी घटने के बाद दिल्ली में डीजल की कीमत में 11.73 रुपये की कमी हुई थी। वहीं, पेट्रोल के दाम में 6.07 रुपये की कमी हुई थी। इसके बाद अलग-अलग राज्यों ने प्रधानमंत्री की अपील पर वैट कम किया था। पहले भाजपा शासित और बाद में अन्य राज्यों ने भी वैट और टैक्स में कमी की। जिससे पेट्रोल-डीजल के दाम में और कमी हुई।

तीन नवंबर 2021 के बाद इनके दाम में कोई इजाफा नहीं हुआ था। मार्च में पांचों राज्यों के चुनाव नतीजे आए। इसके 12 दिन बाद 22 मार्च से पेट्रोल-डीजल के दाम फिर से बढ़ने लगे। 22 मार्च से छह अप्रैल तक कीमतों में इजाफा हुआ। इसके चलते 15 दिन में पेट्रोल और डीजल दोनों के दाम में 10 रुपये का इजाफा हुआ।
कैसे तय होती है तेल की कीमत?
अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दाम 110 डॉलर प्रति बैरल के करीब है। कच्चे तेल के समझौते से लेकर देश में पंप पर बिकने वाले पेट्रोल तक के बीच औसतन 22 दिन का समय लगता है। मतलब महीने की एक तारीख को खरीदा गया कच्चा तेल पंप पर 22 तारीख को बिकने के लिए पहुंचता है।

एक लीटर फुटकर तेल की कीमत में कच्चे तेल की प्रोसेसिंग का खर्चा जुड़ता है। जब वह रिफाइनरी से निकलता है तो उसका बेस प्राइस तय किया जाता है। इसके बाद वहां से पंप तक तेल को पहुंचाने का खर्च, केंद्र और राज्य के टैक्स और डीलर का कमीशन भी जोड़ा जाता है। इन सबका दाम ग्राहक से वसूला जाता है।

पेट्रोल की कीमतों का पूरा गणित समझिए
पेट्रोल (प्रति लीटर) रुपये
बेस प्राइस 56.35
ट्रांसपोर्टेशन चार्ज 0.20
एक्साइज ड्यूटी 27.90 (केंद्र सरकार ने इसी एक्साइज ड्यूटी में कमी की है)
डीलर कमीशन 3.85
वैट 17.13 (कुछ राज्यों ने वैट भी घटाया है।)
कुल कीमत 105.41
डीजल का क्या?
डीजल (प्रति लीटर) रुपये
बेस प्राइस 57.94
ट्रांसपोर्टेशन चार्ज 0.22
एक्साइज ड्यूटी 21.80 (केंद्र सरकार ने इसी एक्साइज ड्यूटी में कमी की है)
डीलर कमीशन 2.69
वैट 14.12
कुल कीमत 96.67इस वजह से पेट्रोल-डीजल पर कम हुई एक्साइज ड्यूटी?
पेट्रोल-डीजल की कीमतें घटने पर आर्थिक मामलों के जानकार प्रो. प्रदीप विश्वास से बात की गई। वह कहते हैं, ‘जब से रूस-यूक्रेन युद्ध शुरू हुआ, दुनिया भर में महंगाई सबसे बड़ी समस्या बन गई है। भारत अपनी जरूरत का 85 फीसदी से ज्यादा कच्चा तेल आयात करता है। युद्ध की वजह से कच्चे तेल की कीमतों में भारी उछाल देखने को मिला है, जिसका सीधा असर भारत पर भी हुआ।’

प्रो. विश्वास के मुताबिक, ‘ईंधन पर ही उद्योग से लेकर आम लोगों के घरों तक पहुंचने वाला राशन और सब्जी निर्भर है। अगर ईंधन के दामों में बढ़ोतरी होती है तो महंगाई भी बढ़ने लगती है। इसके चलते बाजार में वस्तुओं की खपत कम होने लगती है। पेट्रोल और डीजल पर उत्पाद शुल्क में कमी से खपत को बढ़ावा मिलेगा और मुद्रास्फीति कम रहेगी, जिससे गरीब और मध्यम वर्ग को मदद मिलेगी।

देश की अर्थव्यवस्था और राजनीति पर अच्छी पकड़ रखने वाली डॉ. सुमन व्यास ने भी अपनी बात रखी। उन्होंने प्रो. प्रदीप की बातों को आगे बढ़ाते हुए कहा, ‘ देश की अर्थव्यवस्था को सुचारू रूप से चलाने के अलावा एक्साइज ड्यूटी घटाने का राजनीतिक कारण भी है। सरकार ने एक तीर से दो निशाना साधने की कोशिश की है। जहां, एक तरफ आम लोगों को राहत मिलेगी वहीं दूसरी ओर इसका राजनीतिक लाभ भी मिलेगा।’

डॉ. सुमन के मुताबिक, ‘2021 में विधानसभा की तीन और लोकसभा की तीन सीटों पर उप-चुनाव हुए थे, जिसमें भाजपा को तगड़ा झटका लगा था। खासतौर पर हिमाचल प्रदेश में। उस वक्त हिमाचल के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने चुनाव हारने की वजह पेट्रोल-डीजल की बढ़ती कीमतों को बताया था। अब हिमाचल और गुजरात में विधानसभा चुनाव होने हैं। सरकार यह नहीं चाहती कि चुनाव के समय पेट्रोल-डीजल की कीमतों का मुद्दा बने। ऐसे में सरकार ने समय रहते ही इस पर फैसला ले लिया।’