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केशव मौर्या ने राहुल के ‘जय सियाराम’ वाले बयान पर कसा तंज, कहा-भाजपा ने जय सियाराम बोलने के लिए विवश कर दिया

राहुल गांधी ने भाजपा और और आरएसएस पर हमला करते हुए आज पूछा था कि वह जय श्री राम कहते हैं, ना कि जय सियाराम और जय सीताराम। इसके साथ ही उन्होंने जय सियाराम और जय सीताराम का मतलब भी बताया था। अब इसी को लेकर भाजपा ने पलटवार करना शुरू कर दिया है। भाजपा के वरिष्ठ नेता उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने साफ तौर पर कहा कि यह भाजपा की वैचारिक विजय है और कांग्रेसी विचारधारा की हार है। इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि अभी तो आपसे जय श्री कृष्ण भी कहलवाना है। अपने ट्वीट में केशव प्रसाद मौर्य ने लिखा कि भगवान श्रीराम के अस्तित्व को नकारने वाली कांग्रेस के सांसद राहुल गांधी को जय श्रीराम न सही, भाजपा ने जय सियाराम बोलने के लिए विवश कर दिया है।

इसके साथ ही भाजपा नेता ने लिखा कि यह भाजपा की वैचारिक विजय और कांग्रेसी विचारधारा की हार है! अभी आपसे जय श्री राधारानी सरकार की और जय श्रीकृष्ण भी कहलवाना है! वहीं, मध्य प्रदेश के गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने कहा कि राहुल बाबा का ज्ञान ‘बाबा-बाबा ब्लैक शिप’ तक ही सीमित है। उन्होंने तंज करते हुए कहा कि राहुल जी ने गीता के पन्ने कभी पलटे नहीं होगें और रामायण कभी पढ़ी नहीं होगी,तो वो कैसे जानेंगे कि राम के नाम की शुरुआत ‘श्री’ से ही होती है। आपको बता दें कि कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी के नेतृत्व में पार्टी भारत जोड़ो यात्रा निकाल रही है। फिलहाल कांग्रेस के भारत जोड़ो यात्रा मध्य प्रदेश में है। इस दौरान राहुल गांधी ने एक बार फिर से भाजपा और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ पर बड़ा आरोप लगा दिया है।

अपने बयान में भाजपा पर हमला करते हुए राहुल गांधी ने कहा कि वे जय श्रीराम कहते हैं, ना कि जय सियाराम क्योंकि वे सीता का पूजा नहीं करते हैं। इसके बाद राहुल गांधी ने जय सियाराम और जय श्रीराम में फर्क भी बताया। अपने संबोधन में राहुल गांधी ने कहा कि जय सियाराम और जय सीताराम का अर्थ यह है कि राम और सीता एक ही हैं। उन्होंने कहा कि जब आरएसएस में कोई महिला नहीं है, तो वह नारा कैसे दे सकते हैं। इसके बाद राहुल गांधी हे राम पर भी बोले। उन्होंने कहा कि गांधीजी हे राम कहा करते थे। फिर राहुल ने इसका मतलब भी बताया। उन्होंने कहा कि भगवान राम केवल एक व्यक्ति नहीं थे, बल्कि प्रेम, भाईचारे, सम्मान और तपस्या के प्रतीक जीवन का एक तरीका था। उन्होंने कहा कि हे राम कहने का मतलब है कि भगवान राम के आदर्श हमारे भीतर हैं और हमें उनका पालन करना है।