नई दिल्ली। दिल्ली के जेएनयू में दक्षिणपंथ और वामपंथ की लड़ाई और कड़वी होती जा रही है जहां शनिवार को एबीवीपी ने कहा कि यह ‘यूनिवर्सिटी में वामपंथियों की राष्ट्र-विरोधी गतिविधियों का खुलासा’ करती रहेगी। इस दौरान एबीवीपी नेताओं ने जेएनयूएसयू अध्यक्ष कन्हैया कुमार की रिहाई के बाद यूनिवर्सिटी में उनके द्वारा दिए गए भाषण पर भी सवाल उठाया।
बीजेपी की छात्र इकाई ने यूनिवर्सिटी की आंतरिक जांच कमिटी से 9 फरवरी की घटना पर जल्द से जल्द रिपोर्ट पेश करने की मांग की। एबीवीपी ने साथ ही जेएनयू के सुरक्षा विभाग द्वारा फिल्माए गए विडियो को भी कोर्ट को पेश करने को कहा।
कन्हैया के एक घंटे लंबे भाषण का जिक्र करते हुए एबीवीपी ने कहा, ‘हम जेएनयूएसयू के अध्यक्ष के मन में संवैधानिक मशीनरी और संविधान को लेकर पैदा हुए नए विश्वास का स्वागत करते हैं।’ जेएनयूएसयू अध्यक्ष द्वारा भाषण में कही गई पंक्ति ‘भारत से आजादी नहीं, बल्कि भारत में आजादी’ पर जेएनयूएसयू के जॉइंट सेक्रटरी और एबीवीपी सदस्य सौरभ शर्मा ने कहा, ’12 फरवरी से पहले भारत में आजादी की मांग क्यों नहीं की जा रही थी? जेएनयूएसयू के अध्यक्ष और उपाध्यक्ष सभी 9 फरवरी के कार्यक्रम में मौजूद थे और उसे रूकवाने की जिम्मेदारी उनकी थी, लेकिन वे आयोजकों के साथ खड़े रहे।’
एबीवीपी के मीडिया संयोजक और जेएनयू के पूर्व छात्र साकेत बहुगुणा ने कन्हैया कुमार के उस बयान पर कड़ी प्रतिक्रिया दी जिसमें उन्होंने कहा था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अपने भाषणों में हिटलर और मुसोलिनी का जिक्र करना चाहिए था। सौरभ ने कहा, ‘यह देश कार्ल मार्क्स, लेनिन या हिटलर के सिद्धांतों पर नहीं चलेगा, बल्कि बाबा साहेब आंबेडकर और भारतीय संविधान के मुताबिक चलेगा। यह देश राजनीतिक विचारों से नहीं टूट सकता।’
बहुगुणा ने यह दावा भी किया कि जेएनयू के शिक्षक संगठन ने कभी भी कश्मीर समर्थित नारेबाजी की निंदा नहीं की। उन्होंने कहा, ‘एक भी कम्युनिस्ट संगठन ने 2010 में दांतेवाड़ा में सीआरपीएफ जवानों की हत्या पर हुए जश्न की निंदा नहीं की, वे माओवादियों से सहानुभूति रखते हैं।’
बहुगुणा ने कहा कि एबीवीपी ‘आजादी’ का नारा लगाने नहीं देगी। उन्होंने कहा, ‘जब भी अफजल गुरु और मकबूल बट की प्रशंसा होगी, एबीवीपी इसके खिलाफ खड़ी रहेगी। जब कभी वे देश को तोड़ने की बात करेंगे, हम उनका भंडाफोड़ करेंगे।’