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जीवन में सफलता के लिए धैर्यवान होना जरूरीः पं.महेन्द्र कृष्ण

ओरन/बंादा। नगर के प्रसिद्ध तिलहर देवी मंदिर परिसर में चल रही श्रीमद्भागवत कथा के छठवें दिन कथा व्यास पंडित महेंद्र कृष्ण महाराज द्वारा रुक्मणी विवाह का प्रसंग का सुंदर वर्णन करते हुए कहा जीवन में सफलता प्राप्ति के लिये धैर्यवान,चरित्रवान और कार्य में दृढ़निश्चयी होना नितांत आवश्यक है। सत्संग से ही चरित्र का निर्माण होता है स हम अपने शील और चरित्र को सुरक्षित रखकर समस्त क्षेत्रों में अग्रगामी बने। मनुष्य के चरित्र की शुचिता सत्संग,भगवत्कथा के माध्यम से होती है स भगवान् श्रीकृष्ण का समग्र जीवन अधर्म के संहार तथा धर्म के संरक्षण में व्यतीत हुआ,वेद शास्त्र प्रतिपादित सिद्धान्तों का सारसर्वस्व उनकी वाणी गीता में प्रदीप्ततर है। हमें उनकी श्रीमद्भगवद्गीता के सिद्धान्तों के अनुसार जीवनयापन का सुदृढ़ संकल्प स्वीकार करना चाहिए। ऐसा करने से हम न केवल आत्मजीवन को सुशक्त कर सकेंगे,अपितु अशान्ति की प्रबल ज्वाला से परितप्त विश्वमानवता को ज्ञानवारिद का शीतलजल संप्रदान कर सकेंगे। कथा स्थल पर राधा-कृष्ण की मनोहारी झांकी प्रस्तुत की गई। रुक्मिणी विवाह की मनोहर झांकी मे कथा व्यास द्वारा प्रस्तुत भजन पर सभी भक्तो ने आनंद लिया तथा भाव विभोर होकर झूम उठे। कथा यजमान मुन्ना प्रसाद गुप्ता व श्रीमती रमाकांती गुप्ता, साकेत बिहारी शिवहरे, रमाकांत त्रिपाठी, धीरज गुप्ता, शिव प्रसाद गुप्ता, शिवम शिवहरे रोहित, श्रीकांत शिवहरे, आशू शिवहरे,राम सरन,सुरेश शिवहरे सहित सैकड़ों की संख्या में माताएं बहने एवं श्रोता भक्त उपस्थित रहे स समस्त नगर वासियों ने कथा का आनंद लिया।