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IAS का दावा-साइकिल चुनाव चिह्न रामगोपाल ने करा रखा है अपने नाम, मुलायम होंगे परेशान

ramgopal-yadavलखनऊ। शिवपाल यादव की मंत्रिमंडल से बर्खास्तगी हुई तो उन्होंने जानी दुश्मन रामगोपाल को भाजपा का एजेंट बताते हुए पार्टी मुखिया मुलायम सिंह से निष्कासित करा दिया। अब पार्टी टूट की कगार पर है। एक तरफ अखिलेश यादव और प्रो. रामगोपाल यादव हैं तो दूसरी तरफ मुलायम सिंह और शिवपाल यादव एंड कंपनी।

अखिलेश पार्टी तोड़ने का दाग अपने दामन पर लेने की बजाए चाचा शिवपाल के हर एक्शन पर रिएक्शन करने में ही जुटे हैं। शिवपाल भी पार्टी से बाहर जाने के मूड में नहीं हैं। अखिलेश और शिवपाल  दोनों सोचते हैं कि अगर पहले वो पार्टी से बाहर निकलेंगे तो वे पार्टी में विघटन के खलनायक बन जाएंगे। लिहाजा पार्टी में रहकर ही एक दूसरे के एक्शन पर रिएक्शन करके ही पार्टी में वर्चस्व की जंग लड़ी जाए।फिर भी अगर कलह और बढ़ने पर अखिलेश का निष्कासन हो जाने पर समाजवादी पार्टी टूटेगी तो चुनाव चिह्न को लेकर रार मचेगी।

यूपी के सीनियर आईएएस सूर्यप्रताप सिंह ने दावा किया है कि पार्टी की चार अक्टूबर 1992 को स्थापना के दौरान आयोग में चुनाव चिह्न के लिए पार्टी महासचिव की हैसियत से रामगोपाल यादव ने आवेदन किया था। जिस पर पार्टी को मिला चुनाव चिह्न बतौर पदाधिकारी उन्हें आवंटित किया गया है।  इस नाते जहां रामगोपाल रहेंगे चुनाव चिन्ह पर उसी खेमे की दावेदारी ज्यादा मजबूत होगी। चूंकि अखिलेश के साथ विधायकों का बहुमत है इस नाते उन्हें पार्टी छोड़ने की भी नौबत नहीं। पार्टी छोड़ेंगे भी तो कोई चुनाव चिह्न नहीं छीन सकेगा।

अखिलेश ने जिस तरह से विधानमंडल दल की बैठक में विधायकों को जुटाकर शक्त प्रदर्शन किया, उससे साफ हो गया है कि पार्टी के विधायक अखिलेश के साथ हैं। ऐसे में पार्टी सूत्र कह रहे हैं कि विवादों से परेशान होकर अखिलेश के पार्टी छोड़ने का सवाल नहीं रहा। मगर जिस तरह से उनके सलाहकार चाचा प्रो. रामगोपाल के साथ मुलायम ने बर्खास्तगी का सलूक किया वह जरूर अखर रहा है। क्योंकि रामगोपाल मुख्यमंत्री पद से शिवपाल को दूर रखने के चक्कर में अखिलेश की शान में हमेशा कसीदे गढ़ते रहे।

यहां तक कि 2012 के चुनाव में पार्टी को बहुमत मिलने के बाद शिवपाल की बजाए अखिलेख को सीएम बनाने का सुझाव भी रामगोपाल ने ही मुलायम को दिया था। हालांकि अखिलेश से मोहब्बत के पीछे रामगोपाल की भी अपनी मजबूरी है। वे भलीभांति जानते हैं कि कि शिवपाल संगठन और सत्ता पर काबिज हुए तो उन्हें दूध में गिरी मक्खी की तरह निकाल फेकेंगे।