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HC ने बीएसएफ से कहा, ‘कुछ तो सहानुभूति दिखाइए’

नई दिल्ली। दिल्ली उच्च न्यायालय ने बुधवार को सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) से कहा कि वह उस कॉन्स्टेबल के प्रति सहानुभूति दिखाए, जिसने अपने स्थानांतरण पर रोक लगाने की मांग की है, क्योंकि उसकी पत्नी गर्भवती है। अदालत ने कहा कि ‘अप्रसन्न सुरक्षाकर्मी मन लगाकर काम नहीं कर सकते।’ दिल्ली हाई कोर्ट न्यायमूर्ति संजीव सचदेव और न्यायमूर्ति ए के चावला की पीठ ने यह बात कॉन्स्टेबल भूदेव सिंह की अर्जी पर सुनवाई करते हुए कही।

मामला बीएसएफ के एक कॉन्स्टेबल के दिल्ली से शिलॉन्ग तबादले का है। कॉन्स्टेबल भूदेव सिंह ने कोर्ट से कहा था कि उनकी पत्नी गर्भवती है, उनकी देखभाल करने वाला कोई नहीं है। इस मामले पर सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट बेंच ने कहा था कि उनका तबादला दिल्ली से तब तक शिलॉन्ग नहीं किया जाए, जब तक उनकी पत्नी बच्चे को जन्म नहीं दे देतीं। उन्होंने कहा कि बच्चे का जन्म नवम्बर में होने की उम्मीद है।

अदालत ने बीएसएफ की तरफ से पेश होने वाले केंद्र सरकार के स्थायी अधिवक्ता संजीव नरुला से कहा, ‘कुछ तो सहानुभूति दिखाइए। यदि आपके सुरक्षाकर्मी अप्रसन्न रहेंगे, तो वे मन लगाकर काम नहीं कर सकते।’ जवाब में नरुला ने कहा कि याचिकाकर्ता की ओर से दी गई अर्जी विचाराधीन है। अदालत ने कहा कि मामले का निपटारा दो सप्ताह में किया जाए। मामले की अगली सुनवाई 12 जुलाई को होगी।