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GST विधेयक 16 राज्यों में पारित, राष्ट्रपति की मंजूरी के लिए तैयार

GSTनई दिल्ली। ओडिशा गुरुवार को वस्तु एवं सेवा कर (GST) संविधान संशोधन विधेयक को मंजूरी देने वाला 16वां राज्य बन गया। कानून के रूप में दर्ज होने के लिए अब यह संविधान संशोधन विधेयक राष्ट्रपति की मंजूरी के लिए भेजे जाने को तैयार है। इस तरह अप्रत्यक्ष कर प्रणाली में आमूलचूल बदलाव लाने वाले इस विधेयक को देश के आधे से ज्यादा राज्यों का अनिवार्य समर्थन प्राप्त हो गया है। इसके लिए जितना समय सोचा गया था, यह उससे कहीं अधिक जल्दी हो गया है। केंद्र की योजना इसे 1 अप्रैल 2017 से लागू करने की है।

गोवा बुधवार को GST विधेयक को मंजूरी देने वाला 15वां राज्य बना। यदि इस हफ्ते के शुरू में पश्चिम बंगाल विधानसभा से इसे मंजूरी मिल गई होती तो इसे राष्ट्रपति की सहमति के लिए और पहले ही भेज दिया जाता। लेकिन, पश्चिम बंगाल विधानसभा सोमवार को एक दिन के विशेष सत्र में ‘समय की कमी’ की वजह से इसे पारित नहीं कर सकी। इस बीच राज्यों के वित्त मंत्रियों की अधिकार प्राप्त समिति की GST पर सोमवार को यहां हुई बैठक में भारतीय उद्योग जगत ने 18 प्रतिशत स्टैंडर्ड रेट की बात उठाई।
उन्होंने कहा कि इस दर से मुद्रास्फीति में बिना वृद्धि किए ही कर में पर्याप्त बढ़ोतरी होगी। पहले ही विपक्षी कांग्रेस GST में 18 प्रतिशत उच्चतम कर दर की मांग कर चुकी है। उद्योग मंडलों ने राज्य के वित्त मंत्रियों से यह भी कहा कि GST परिषद द्वारा GST कानून के स्वीकार किए जाने की तिथि के छह महीने बाद ही नई कर व्यवस्था लागू की जाए।

फेडरेशन ऑफ इंडियन चेम्बर्स ऑफ कामर्स एंड इंडस्ट्री (फिक्की) ने सुझाव दिया कि महंगाई और कर चुकाने से बचने की प्रवृत्ति को रोकने के लिए मेरिट रेट को कम और स्टैंडर्ड रेट को जायज सीमा के अंदर रखा जाए। अधिकार प्राप्त समिति के साथ बैठक के बाद फिक्की ने एक बयान में कहा, ‘मौजूदा सूचना और संकेतों के मुताबिक वस्तुओं को उनके मेरिट रेट (12 प्रतिशत) , स्टैंडर्ड रेट (18 प्रतिशत) और डी-मेरिट रेट (40 प्रतिशत) को ध्यान में रखते हुए श्रेणियों में रखा जाएगा।’

वस्तुओं पर GST लागू करने के संदर्भ में फिक्की ने कहा कि कुछ निश्चित वस्तुओं को GST से छूट दी जाएगी, जबकि सर्राफा और आभूषणों पर एक से दो प्रतिशत शुल्क लिया जाएगा। बीते महीने राजस्व सचिव हसमुख अधिया के साथ उद्योग मंडलों की बैठक में उन्होंने GST कानून के मसौदे, दोहरे प्रशासनिक नियंत्रण और कर अधिकारियों को दी गई ज्यादा विवेकाधीन शक्तियों पर चिंता जाहिर की थी।