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GST लागू करने वाले 165 देशों के इतिहास से खुद को अलग कर पायेगी मोदी सरकार ?

नई दिल्ली। देश में नोटबंदी के बाद लोगों को कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ा। बड़ी संख्या में छोटे कारोबार बंद हो गए और कैश पर चलने वाली इकॉनमी को बड़ा झटका लगा। यहाँ तक कि देश की जीडीपी में भी बड़ी गिरावट आ गई। इसी डर को भांपते हुए यूपीए की सरकार और तत्कालीन आरबीआई गवर्नर रघुराम राजन नोटबंदी का कदम नहीं उठा सके। यह बात खुद पी चिदंबरम ने एक इंटरव्यू में स्वीकार की। जब नोटबंदी मोदी सरकार ने लागू की तो उसका असर जनता पर पड़ा भी लेकिन फिर भी लोग सरकार के इस कदम के साथ दिखे।

अब मोदी सरकार के सामने मुसीबत जीएसटी लागू होने से पैदा होने वाली मुसीबत से निपटने की है। क्योंकि जीएसटी लागू करने वाली सरकारों का इतिहास बेहद डरावना रहा। जिन भी देशों में जीएसटी लागू हुआ वहां सरकारें अगली बार सत्ता में नही आ पायी। अभी तक जिन 165 देशों में जीएसटी लागू हुआ वहां पर जिस भी पार्टी की सरकार रही है उस पार्टी की अगले आम चुनाव में हार ही हुई है।

शायद एक कारण यह भी था कि सरकारें इसे लागू करने की हिम्मत 15 साल तक नहीं जुटा पायी। तो क्या मोदी सरकार जीएसटी के बाद बढ़ने वाली महंगाई से बच पाएगी और उससे आगे का सवाल तो यह है कि 2019 में चुनाव हैं। इस मुद्दे पर आर्थिक और राजनीतिक जानकारों की राय अलग-अलग है।

आर्थिक जानकार मानते हैं कि मोदी सरकार को 2019 में जीएसटी के असर से निपटना आसान नहीं होगा। लेकिन राजनैतिक विश्लेषक कहते हैं कि मोदी सरकार ने जिस तरह नोटबंदी के असर को अपने अभियान से नकारात्मक दिशा में नहीं जाने दिया उसी तरह वह इससे भी निपटने में कामयाब रहेगी।

नोटबंदी के बाद बड़ी संख्या में केश इकॉनमी ख़त्म होती दिखी। लोगों के रोजगार ख़त्म होते दिखे लेकिन फिर भी जनता नोटबंदी के साथ खड़ी दिखी। तो क्या मोदी सरकार दुनियाभर के उस इतिहास को बदल देगी जिससे जीएसटी लागू करने वाली सरकारों का इतिहास डरावना बन गया।

पांच देश आस्ट्रेलिया, कनाडा, जापान, मलेशिया और सिंगापुर में जब जीएसटी लागू किया गया. IMF (इंटरनेशनल मॉनिटरी फंड- देशों की जीडीपी को रेटिंग देने वाली संस्था) के मुताबिक इन देशों जीडीपी में 5 फीसदी तक के आसपास की गिरावट दर्ज हुई और बाद में जीडीपी माइनस में चली गई। उसके बाद इन देशों की अर्थव्यवस्था बर्बाद हो गई।