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GST के बाद कई जरूरी दवाएं 2.29% तक महंगी होंगी, इस राज्य में भी बढ़ेंगे चीजों के दाम

नई दिल्ली। गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स यानी जीएसटी सिस्टम के लागू होने के बाद ज्यादातर जरूरी दवाओं के दाम 2.29 फीसदी तक बढ़ जाने वाले हैं. अगले महीने 1 जुलाई से वस्तु व सेवा कर के तहत सरकार ने ज्यादातर जरूरी दवाओं पर 12 फीसदी की जीएसटी दर तय की है. मौजूदा व्यवस्था में इन पर लगभग 9 फीसदी का टैक्स लगता है. हालांकि इंसुलिन सहित कुछ दवाओं के दाम कम होंगे क्योंकि सरकार ने इनके लिए जीएसटी की दर पूर्व प्रस्तावित 12 फीसदी से घटाकर 5 फीसदी की है.

जरूरी दवाओं की राष्टीय सूची में हेपरिन, वार्फेरिन, डिलटियाजेम, डियाजेपेम, इबुप्रोफेन, प्रोप्रानोलोल व इमातिनिब शामिल है.

अब जब भारत में पूरे देश में एक टैक्स व्यवस्था यानी जीएसटी व्यवस्था लागू होने वाली है और सारे राज्य इस टैक्स सिस्टम को लागू करने के लिए कमर कस चुका है, ऐसे में अंडमान और निकोबार और लक्ष्यद्वीप के छोटे टापू शायद अपवाद हो सकते हैं जिन्हें इस टैक्स ढांचे के लागू होने के बाद नुकसान हो सकता है. ये आइलैंड माल ढुलाई के लिए लगने वाली अतिरिक्त लागत की भरपाई के लिए सेल्स टैक्स या वैट नहीं लगाते हैं.

लेकिन एक जुलाई से वस्तु और सेवा कर व्यवस्था लागू हो जाने के बाद इन आइलैंड में वस्तुओं और सेवाओं पर देश के दूसरे हिस्सों की तरह 5, 12, 18 या 28 फीसद की दर से कर लगेगा. दूसरे शब्दों में जीएसटी आने के बाद वहां चीजें महंगी हो जाएंगी. अंडमान निकोबार द्वीपों के उपराज्यपाल प्रो. जगदीश मुखी ने इसी महीने की शुरुआत में जीएसटी काउंसिल की बैठक में इस अजीब परेशानो को उठाया था.

बैठक के ब्यौरे के अनुसार मुखी ने कहा था कि अंडमान निकोबार द्वीप समूह समुद्र में 1250 किलोमीटर की दूरी पर है. इसके चलते इन द्वीपों पर पहुंचने वाली वस्तुओं की लागत पांच से 25 फीसदी तक बढ़ जाती है. लोकल नागरिकों को उचित दरों पर चीजें मुहैया कराने के लिए इस केंद्रशासित प्रदेशों में कोई वैट नहीं लगाया जाता है. लेकिन जीएसटी के बाद वहां चीजें महंगी हो जाएंगी.

हालांकि केंद्र सरकार ने इन समस्याओं पर अलग से विचार करने का आश्वासन दिया है लेकिन फिलहाल तो यही कहा जा सकता है कि जब तक कोई ठोस फैसला नहीं आ जाता तब तक यही मानना चाहिए कि जीएसटी के बाद इन राज्यों में कई चीजों के दाम बढ़ेंगे.