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CWG History : 1954, आजादी हासिल करने के बाद भारत और पाकिस्तान ने हिस्सा लिया

वर्ष 1954 में एक बार फिर कनाडा को कॉमनवेल्थ गेम्स की मेजबानी का मौका मिला. लेकिन इस बार मेजबानी हैमिल्टन के बजाए वैंकूवर ने की. इस बार ब्रिटिश अंपायर गेम्स से बदल कर इसका नाम ब्रिटिश अंपायर एंड कॉमनवेल्थ गेम्स नाम दिया गया. आजादी हासिल करने के बाद भारत और पाकिस्तान दोनों देशों ने इसमें हिस्सा लिया था. बहामास और बारबाडोस के आलावा घाना, केन्या और युगांडा पहली बार इन खेलों में शामिल हुए थे.

इन खेलों में तकनीकी स्तर पर भी इसमें काफी उपलब्धि देखी गई. सांस्कृतिक कार्यक्रम भी हुए. पहली बार सारी दुनिया में टेलीविजन के जरिए इन खेलों का प्रसारण हुआ. वैंकूवर में कुल 24 देशों के 662 एथलीट्स ने हिस्सा लिया. इन 24 देशों ने इनके साथ 127 अधिकारी भी भेजे थे. कुल नौ खेलों एथलेटिक्स, मुक्केबाजी, साइकिलिंग, लॉन बाउलिंग, रोइंग, तैराकी, डाइविंग, भारोत्तोलन और कुश्ती में मुकाबले हुए.

इंग्लैंड का एक बार फिर दबदबा

इंग्लैंड अपना वर्चस्व बनाने में सफल रहा. उसने 23 स्वर्ण पदक के साथ कुल 67 पदक जीते, जबकि ऑस्ट्रेलिया ने 20 स्वर्ण पदक के साथ कुल 48 पदक जीते. साइकिलिंग के 100 किलोमीटर मुकाबले में इंग्लैंड के ईजी थॉमसन ने रिकॉर्ड स्थापित किया. इस बार दांव पर कुल 92 स्वर्ण पदक थे. साउथ अफ्रीका ने 16 स्वर्ण के साथ 35 पदक जीते, जबकि कनाडा को नौ स्वर्ण के साथ 43 पदक मिले.

यादगार मिरेकल माइल

इन खेलों को मिरेकल माइल (एक किमी रेस) के लिए भी याद किया जाता है. इसमें मुकाबला इंग्लैंड के स्वर्ण पदक विजेता रॉजर बैनिसटर और ऑस्ट्रेलिया के जॉन लैंडी के बीच था. ये पहला मौका था, जब भाग लेने वाले दोनों एथलीट चार मिनट से कम समय निकालने वाले थे. इन खेलों की एक और यादगार चीज थी मैराथन दौड़. उस समय विश्व में सर्वश्रेष्ठ समय निकालने वाले जिम पेटर्स अपने नजदीकी प्रतिद्वंद्वी से 17 मिनट पहले स्टेडियम में दाखिल हुए, लेकिन फाइनल लैप में गिर गए और रेस पूरी नहीं कर सके.