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CWG: फिल्म शोले में जय-वीरू की निशानेबाजी देख शूटर बनीं मेहुली

नई दिल्ली। कॉमनवेल्थ खेलों में भारतीय महिला शूटरों का जलवा जारी है. पहले मनु भाकेर और हीना सिद्धू ने गोल्ड और सिल्वर पर निशाना साधा. इसके बाद मेहुली घोष ने सिल्वर और अपूर्वी चंदेला को ब्रॉन्ज मेडल मिला. इसमें दो राय नहीं है कि मौजूदा समय में भारत के पास वर्ल्ड क्लास शूटर्स की नई खेप तैयार है. बड़े इवेंट्स में इन युवा शूटरों ने दुनिया को अपने होने का अहसास कराया है और 21वें कॉमनवेल्थ गेम्स में भी खुद को साबित किया है.

कुछ अंकों से स्वर्ण से चूकीं मेहुली 

महिलाओं की 10 मीटर एयर राइफल स्पर्धा के फाइनल में महज कुछ अंकों से मेहुली स्वर्ण पदक से चूक गईं. उन्हें रजत पदक हासिल हुआ. वहीं, अपूर्वी चंदेला ने को कांस्य पदक से संतोष करना पड़ा. इस स्पर्धा का स्वर्ण पदक सिंगापुर की मार्टिना लिंडसे वेलोसो को मिला. मेहुल और मार्टिना दोनों का फाइनल में स्कोर 247.2 ही था, लेकिन सिंगापुर की निशानेबाज ने शूट ऑफ में 10.3 का निशाना लगाते हुए सोना जीत लिया. मेहुली ने 9.9 का निशाना लगाया. अपूर्वी ने कुल 225.3 अंक हासिल कर कांस्य पदक पर कब्जा जमाया.

निशानेबाजी में ऐसे आईं मेहुली 

18 साल की मेहुली घोष पश्चिम बंगाल के कल्याणी की रहने वाली हैं. मेहुली उस समय सुर्खियों में रहीं, जब उन्होंने 2017 की नेशनल शूटिंग चैंपियनशिप में 8 मेडल जीते. इसके बाद शूटिंग वर्ल्ड कप में उन्होंने दो पदक अपने नाम किए. मेहुली बचपन में टीवी सीरियल सीआईडी और इंस्पेक्टर दया की फैन रहीं. टीवी पर उन्होंने फिल्म शोले देखी, जिसमें जय-वीरू की निशानेबाजी उन्हें खूब अच्छी लगी. फिर क्या था, यह सीन देखकर उन्होंने भी निशानेबाजी में हाथ आजमाने को मन बनाया. इस शौक ने उन्हें दुनिया के टॉप शूटरों में पहुंचा दिया.

डिप्रेशन का हो चुकी हैं शिकार

14 साल की उम्र में घटे एक हादसे ने उन्हें डिप्रेशन में डाल दिया था. प्रैक्टिस के दौरान फायर हुई एक गोली से एक व्यक्ति को चोट लगी, जिसके बाद उन्हें निलंबित कर दिया गया. उनके बाद वो काफी समय तक डिप्रेशन में रहीं और उन्हें इससे निकलने के लिए काउंसलिंग लेनी पड़ी. इसके अलवा भारत के पूर्व शूटर जॉयदीप करमाकर ने उनके करियर को आगे बढ़ाने में काफी मदद की. इसके बाद धीरे-धीरे उनकी मेहनत रंग लाई और मेहुली ने 2016 और 2017 में राष्ट्रीय स्तर पर कई मेडल जीते.अपूर्वी के भी अचूक निशाने

25 साल की अपूर्वी चंदेला राजस्थान के जयपुर की रहने वाली हैं. इनकी गनती देश के होनहार निशानेबाजों में होती है. अपूर्वी को खिलाड़ियों की ऑटोबायोग्राफी पढ़ने का शौक है. वो माइकल फेल्प्स , सचिन तेंदुलकर, अभिनव बिंद्रा सहित कई खिलाड़ियों की ऑटोबायोग्राफी पढ़ चुकी हैं. अपूर्वी ने देश और विदेश में अचूक निशाने लगाए हैं. उन्होंने 2012 के सीनियर नेशनल में स्वर्ण पदक जीता. 2014 कॉमनवेल्थ गेम्स में स्वर्ण, 2014 वर्ल्ड कप में सिल्वर और 2015 वर्ल्ड कप में कांस्य पदक हासिल किया. इसके अलावा उन्होंने 2016 की स्वीडन ग्रांप्री में वर्ल्ड रिकॉर्ड तोड़ा और दो गोल्ड मेडल जीतकर बेस्ट शूटर बनीं.