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कोर्ट ने दी बड़ी राहत, 100 दिनों के बाद संजय राहउ को मिली जमानत

पात्रा चॉल जमीन घोटाला मामले में PMLA कोर्ट ने शिवसेना नेता संजय राउत को जमानत दे दी है, जिसके बाद वो अब खुली हवा में सांस ले सकेंगे। बता दें कि संजय राउत को एक अगस्त को प्रवर्तन निदेशालय ने उत्तरी मुंबई के गोरेगांव इलाके में पात्रा चॉल के पुनर्विकास से संबंधित वित्तीय अनियमितताओं में उनकी कथित भूमिका के लिए गिरफ्तार किया गया था। अब लगभग 100 दिनों के बाद संजय राहउ जेल के बाहर आएंगे।

बता दें कि संजय राउत ऑर्थर रोड जेल में बंद है। उनके जेल से बाहर निकलने और जमानत अर्जी पर अदालत दलीलों का दौर खत्म होने के बाद अदालत पहले ही फैसाल सुरक्षित रख चुकी थी। इस मामले पर अदालत ने नौ नवंबर को अपना फैसला सुनाया है, जिससे संजय राउत को बड़ी राहत मिली है।

जानकारी के मुताबिक पात्रा चॉल घोटाला 1039 करोड़ रुपये का है, जिसमें प्रवर्तन निदेशालय ने प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट के तहत मामला दर्ज किया था। प्रवर्तन निदेशालय ने इस कार्रवाई के बाद संजय राउत के घर की भी तलाशी ली थी और 11.5 लाख रुपये जब्त किए थे। ईडी ने पूछताछ के बाद संजय की पत्नी और करीबियों की 11.15 करोड़ रुपये की संपत्ति जब्त की है।

ये है पूरा मामला

राउत के खिलाफ ईडी की जांच पात्रा चॉल के पुनर्विकास में कथित वित्तीय अनियमितताओं और उनकी पत्नी और सहयोगियों से जुड़े वित्तीय लेनदेन से संबंधित है। उपनगरी क्षेत्र गोरेगांव में 47 एकड़ में फैली पात्रा चॉल को सिद्धार्थ नगर के नाम से भी जाना जाता है और उसमें 672 किरायेदार परिवार हैं। 2008 में, महाराष्ट्र गृहनिर्माण एवं क्षेत्र विकास प्राधिकरण (म्हाडा) ने एचडीआईएल (हाउसिंग डेवलपमेंट एंड इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड) की एक सहयोगी कंपनी गुरु आशीष कंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड (जीएसीपीएल) को चॉल के पुनर्विकास का अनुबंध सौंपा। जीएसीपीएल को किरायेदारों के लिए 672 फ्लैट बनाने थे और म्हाडा को कुछ फ्लैट देने थे। वह शेष जमीन निजी डेवलपर्स को बेचने के लिए स्वतंत्र था। हालांकि, ईडी के अनुसार, पिछले 14 वर्षों में किरायेदारों को एक भी फ्लैट नहीं मिला, क्योंकि कंपनी ने पात्रा चॉल का पुनर्विकास नहीं किया, बल्कि अन्य बिल्डरों को भूमि के टुकड़े और फ्लोर स्पेस इंडेक्स (एफएसआई) 1,034 करोड़ रुपये में बेच दिये।