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BJP में भीतर ही भीतर वर्चस्व को लेकर छिड़ गई है जंग

Mauryaamitkeshavswamiलखनऊ।  यूपी बीजेपी में केशव प्रसाद मौर्या और स्वामी प्रसाद मौर्या के बीच वर्चस्व की जंग शुरू हो गयी है. आलम यह है कि दोनों नेता अब पार्टी में भीतर ही भीतर एक दूसरे को नीचा दिखाने में लग गए हैं. दरअसल पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह काफी पहले स्वामी प्रसाद मौर्या को बसपा से तोड़कर बीजेपी में शामिल कराना चाहते थे. लेकिन उस समय मौर्या बसपा छोड़कर नहीं आये. और अब जब आये तो उनसे पहले पार्टी ने पिछड़ों की राजनीति के लिए केशव प्रसाद मौर्या को पार्टी में शामिल किया जा चुका था.

सूत्रों के मुताबिक इसीलिए बसपा छोड़कर आये स्वामी प्रसाद मौर्या की दिल्ली में अमित शाह की हुई कई बैठकों के बाद भी उन्हें बीजेपी में शामिल नहीं किया जा रहा था, लेकिन लगातार स्वामी प्रसाद मौर्या अमित शाह से फोन पर संपर्क बनाये हुए थे. हालाँकि पिछले दिनों बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह के साथ दिल्ली में हुई बैठक में पीएम मोदी की हरी झंडी न मिलने के कारण स्वामी प्रसाद मौर्या को एक नया संगठन बनाये जाने की बात कहते हुए चुनाव के समय उनके दल को पार्टी में शामिल किये जाने की बात कहकर उन्हें पार्टी में शामिल नहीं किया गया था. बावजूद इसके स्वामी लगातार फोन पर अमित शाह से पार्टी में शामिल किये जाने की गुजारिश करते रहे.

जिसके चलते अमित शाह ने जब यह देखा कि स्वामी चुनाव में उनकी पार्टी का वोट बैंक काटकर नुकसान पंहुचा सकते हैं, जिसके बाद उन्होंने इस बात का प्रस्ताव पीएम मोदी के पास रखा और उन्हें स्वामी प्रसाद को पार्टी में ना शामिल किये जाने का नुकसान और नफा दोनों बातें मोदी के सामने रखीं. इसके बाद पीएम ने स्वामी प्रसाद मौर्या को पार्टी में शामिल किये जाने की हरी झंडी अमित शाह को दिखा दी. पीएम का आदेश मिलते ही अमित शाह ने मौर्या को दिल्ली बुलाकर पार्टी ज्वाइन करा दी. बताया जाता है कि पार्टी में स्वामी प्रसाद मौर्या के आते ही उत्तर प्रदेश में बीजेपी के अध्यक्ष केशव प्रसाद मौर्या अपने आपको उपेक्षित मान रहे है.

हालाँकि पार्टी के पुराने नेताओं का मानना है कि दोनों नेता एक ही बिरादरी कि राजनीति करते है. इसलिए चुनाव में स्वामी प्रसाद मौर्या के आने से कोई अधिक लाभ पार्टी को नहीं मिलेगा. जानकर सूत्रों के मुताबिक पहले भी दोनों नेताओं में सहज रिश्ते नहीं रहे हैं. इसी का नतीजा है कि जब से पार्टी में स्वामी आये है. उनको अधिक तवज्जो दी जा रही है. इसको लेकर भीतर ही भीतर केशव प्रसाद अपने आपको उपेक्षित महसूस कर रहे हैं. बताया जाता है कि वह ऊपर से तो भले ही हंसते हुए दिखाई दे रहे है. लेकिन भीतर ही भीतर वह स्वामी के पार्टी में शामिल होने से नाखुश बताये जाते हैं.

पार्टी सूत्रों के मुताबिक बीजेपी ने स्वामी प्रसाद को चनाव में 5 सीटों से चुनाव लड़वाने के लिए उनके कैंडिडेट को टिकट देने का भी वादा किया है. फिलहाल अपने राजनीतिक करियर में चार बार MLA रह चुके स्वामी प्रसाद मौर्या सूबे के पिछड़ों की राजनीति करते रहे हैं और उन्होंने बीजेपी में कदम रखते ही पार्टी में अपनी अहमियत दिखानी शुरू कर दी है. जिसके चलते यूपी बीजेपी में इन दिनों मौर्या बनाम मौर्या की जंग भीतर ही भीतर शुरू हो गयी है. बहरहाल बीजेपी में शुरू हुए इस सहित युद्ध पर अगर समय रहते लगाम नहीं कसी गयी तो पार्टी को अगले साल होने वाले चुनाव में नफा की बजाय नुक्सान का सामना करना पड सकता है.