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Bihar MLC Election: पहले की तुलना में शानदार रहा राजग प्रदर्शन, एनडीए का आधे से अधिक सीटों पर कब्जा

हाल में ही बिहार विधान परिषद की 24 सीटों पर चुनाव हुए थे। इस चुनाव में एनडीए का दबदबा रहा। हालांकि राजद का भी प्रदर्शन पहले की तुलना में शानदार रहा है। 23 सीटों पर चुनाव लड़ने के साथ ही उसने 6 सीटों पर जीत हासिल की है। इस चुनाव में भाजपा ने 12 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे थे और 7 सीटों पर जीत हासिल की है। जबकि जदयू ने पांच निर्वाचन क्षेत्रों में जीत हासिल की है। पहले उसका 8 सीटों पर कब्जा था। कुल मिलाकर देखें तो एनडीए ने आधे से अधिक सीटों पर कब्जा किया है। सबसे खास बात तो यह है कि दिवंगत रामविलास पासवान की पार्टी के भाई पशुपति कुमार पारस के नेतृत्व वाले गुट राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी ने वैशाली में जीत हासिल की है। हालांकि इन चुनाव में तेजस्वी यादव की मैनेजमेंट को लेकर खूब चर्चा है।

हिट हुआ तेजस्वी का M+Y+B का फार्मूला

तेजस्वी ने बिहार विधानसभा चुनाव से सबक लेते हुए इस बार बिहार विधान परिषद के चुनाव में अगड़ा दांव खेला था। भाजपा के कोर वोटर कहे जाने वाले भूमिहारों पर राजद ने सेंधमारी की कोशिश की है जो कि सफल भी हुआ है। राजद ने बिहार विधान परिषद के चुनाव में 5 उम्मीदवार प्रत्याशी उतारे थे जिसमें से तीन में जीत हासिल की है। इसके अलावा चार राजपूत प्रत्याशियों को राजद की ओर से टिकट दिया गया था। हालांकि एक को जीत मिली है। माना जा रहा है कि आने वाले दिनों में राजद के टिकट पर भूमिहारों की जीत से बिहार की राजनीति में एक नया संकेत मिलने शुरू हो गए है। राजद के प्लान में उस समय से परिवर्तन देखने को मिल रहा है जब से उसने भूमिहार समाज से आने वाले अमरेंद्र धारी सिंह को राज्यसभा भेजा था। बिहार की राजनीति में भूमिहार और यादव समाज का बोलबाला रहा है। यही कारण है कि दोनों को एक साथ करने की कोशिश में तेजस्वी यादव जुटे हुए हैं।

बच गई राबड़ी देवी की कुर्सी

बिहार विधान परिषद में कुल 75 सीटें हैं। नेता प्रतिपक्ष के लिए 8 सीटों की जरूरत होती है। राजद के पास पहले से विधानसभा में 5 सीटें हैं। उसे नेता प्रतिपक्ष की कुर्सी बचाए रखने के लिए सिर्फ 3 सीटों की आवश्यकता थी। लेकिन राजद ने 6 सीटों पर जीत हासिल की है। इसके साथ ही यह भी तय हो गया है कि अब बिहार विधान परिषद में नेता प्रतिपक्ष की कुर्सी राबड़ी देवी के पास ही रहेगी। इस बार के बिहार विधान परिषद के चुनाव में राजद का दबदबा पटना, गया, पश्चिम चंपारण व मुंगेर में देखने को मिला। पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद के राजनीतिक उत्तराधिकारी माने जाने वाले उनके छोटे पुत्र और पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने इस बार के परिषद चुनाव में बड़ी संख्या में ऊंची जाति के उम्मीदवारों को मैदान में उतारा था और अपने पिता से विरासत में मिले एमवाई (मुस्लिम-यादव) के समीकरण वाली पार्टी होने के आरोपों को धोने का प्रयास किया था।