लखनऊ। लखनऊ में हुई आतंकी घटना के बाद उत्तर प्रदेश अलर्ट पर था. जिसके बाद इटावा पुलिस ने मंगलवार रात तीन लोगो को आतंकी समझकर रातभर लॉकअप मे बंद कर पीटा. बाद में पता चला जिन तीन लोगों को पकड़ा वो एटीएस तेलंगाना के अधिकारी थे. बताया जा रहा है कि वे खुद आतंकियों को पकड़ने के लिए जाल बिछा रहे थे.
ठीक से हिन्दी न बोल पाने के कारण जनता व पुलिस को वे अपनी बात नहीं समझा पाए और जलालत झेलनी पड़ी, बाद में थाने पहुंचे चौथे साथी ने असलियत बताई तब पुलिस ने माफी मांग कर उनको छोड़ा.
मंगलवार को जिस समय लखनऊ, कानपुर, उन्नाव और इटावा समेत प्रदेश के खई शहरों में एटीएस यूपी और आईबी का आतंकियों के खिलाफ आपरेशन चल रहा था ठीक उसी समय बाईपास पर एक बाइक पर सवार इन तीन जवानों को जनता ने रोका था.
अस्त-व्यस्त कपड़े देख लोगों को शक हुआ तो पूछताछ शुरू की, हिन्दी न बोल पाने पर लोगों का शक बढञा तो आतंकी समझ बैठे. जनता ने उनको पीटा और पुलिस को खबर कर दी. बकेवर पुलिस उनको थाने ले गई, वहां भी भाषा आड़े आई और पुलिस ने तीनों को हवालात में डाल दिया.
देर रात जानकारी होने पर चौथा साथी थाने पहुंचा, उसने अपने आईजी और उच्च अधिकारियों से बात कराई जिसके बाद पुलिस ने उनको छोड़ा. लोगों ने बताया कि वे 15 दिनों से क्षेत्र में घूम रहे थे, आतंकियों के खिलाफ कार्रवाई और लखनऊ में मुठभेड़की जानकारी होने पर इन पर शक बढ़ा.
दरअसल एटीएस यूपी ने जो भी कार्रवाई की है वह तेलंगाना और केरला एटीएस के इनपुट पर की है. दो दिन पहले ही तेलंगाना और केरला से आईबी को उप्र में आतंकियों की गतिविधियों के बारे में इनपुट दिया गया था, इनपुट देने से पहले तंलागाना एटीएस ने खुद भी इस पर काम शुरू कर दिया था. 15 दिन से वे यहां डेरा डाल कर खुद आतंकियों की गिरफ्तारी के लिए जाल बिछा रहे थे लेकिन उसी आपरेशन के बीच खुद शिकार हो गए.
सभार : इंडिया संवाद डॉट काम