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भारत.चीन तनाव के बीच भारतीय सेना और नौसेना प्रमुख ने कहा-जम्मू कश्मीर में स्थिति पूरी तरह नियंत्रण में है

पूर्वी लद्दाख में भारत और चीन के बीच तनाव तो कम हो गया है लेकिन यह पूरी तरह खत्म नहीं हुआ है। इसी बीच सेना प्रमुख और नोसैना प्रमुख के जो बयान आये हैं वह दर्शाते हैं कि चीन कठिन चुनौती बना हुआ है और भारत हर स्थिति का सामना करने के लिए अपनी तैयारियां कर रहा है। हम आपको बता दें कि सेना प्रमुख जनरल मनोज पांडे ने कहा है कि पूर्वी लद्दाख सीमा गतिरोध से कुछ प्रमुख सीख मिलीं, जिनमें ‘‘हर समय उच्च स्तर की परिचालन तैयारियों बनाये रखना’’ और बुनियादी ढांचे में सुधार करना शामिल है। उन्होंने ‘इंडिया डिफेंस कॉन्क्लेव’ में हुई परिचर्चा के दौरान एक सवाल के जवाब में यह बात कही। मेजबान द्वारा यह पूछे जाने पर कि पूर्वी लद्दाख में गोगरा-हॉटस्प्रिंग में ‘पेट्रोलिंग पॉइंट 15’ से भारतीय और चीनी सैनिकों के हाल में पीछे हटने के बाद अगला कदम क्या है, इस पर जनरल पांडे ने कहा, ‘‘हमने गतिरोध वाले बिंदुओं से सैनिकों के पीछे हटने के संदर्भ में प्रगति की है। हमारे पास अभी भी गतिरोध वाले दो बिंदु हैं, जहां हमें प्रगति करने की आवश्यकता है।” उन्होंने कहा कि मुझे यकीन है कि हम इन गतिरोध वाले बिंदुओं को लेकर समाधान निकाल लेंगे।’’ इसके साथ ही जम्मू-कश्मीर की स्थिति के बारे में पूछे जाने पर सेना प्रमुख ने कहा, ‘‘जम्मू कश्मीर में स्थिति पूरी तरह नियंत्रण में है।’’

वहीं, नौसेना प्रमुख एडमिरल आर. हरि कुमार ने चीन के बारे में एक महत्वपूर्ण बयान देते हुए कहा है कि चीन एक कठिन चुनौती बना हुआ है, जिसने ना सिर्फ भारत की स्थल सीमा पर बल्कि समुद्री क्षेत्र में भी अपनी मौजूदगी बढ़ाई है। साथ ही, उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि नौसेना हिंद महासागर क्षेत्र (आईओआर) में नियमित रूप से नजर रखे हुए है। हम आपको बता दें कि ‘भारत की नौसेना क्रांति: एक सागरीय शक्ति बनने’ संबंधी विषय पर एक कार्यक्रम में मुख्य भाषण देते हुए नौसेना प्रमुख ने देश के लिए पारंपरिक और अन्य सुरक्षा चुनौतियों पर चर्चा की। उन्होंने यह भी कहा, ‘‘आर्थिक संकट के बावजूद, पाकिस्तान ने अपना सैन्य आधुनिकीकरण जारी रखा है, खास तौर पर अपनी नौसेना का जो करीब 2030-2035 तक 50 प्लेटफार्म बल में तब्दील होने की राह पर है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘इन पारंपरिक सैन्य चुनौतियों के कायम रहने के साथ-साथ आतंकवाद एक बड़ा सुरक्षा खतरा बना हुआ है क्योंकि इसका आकार व दायरा बढ़ना जारी है।’’ एडमिरल आर. हरि कुमार ने कहा कि प्रतिदिन के आधार पर प्रतिस्पर्धा हो रही है, ऐसे में संभावित विरोधियों के साथ युद्ध से कभी इनकार नहीं किया जा सकता। उन्होंने कहा, ‘‘इस संबंध में, चीन एक कठिन चुनौती बना हुआ है और उसने न सिर्फ हमारी स्थल सीमा पर, बल्कि समुद्री लूट रोधी अभियानों के सहारे समुद्री क्षेत्र में भी अपनी मौजूदगी बढ़ाई है ताकि वह हिंद महासागर क्षेत्र में नौसेना की मौजूदगी को सामान्यीकृत कर सके। बाद में उन्होंने मंच पर बातचीत में कहा कि चीन हिंद महासागर में 2008 से है और जिबौती में एक सैन्य अड्डा भी बनाया है। साथ ही, वह क्षेत्र में श्रीलंका, म्यांमा और पाकिस्तान तथा अन्य देशों के समुद्र तटों पर भी विभिन्न बंदरगाह विकसित कर रहा है। नौसेना प्रमुख ने कहा, ‘‘हम हिंद महासागर क्षेत्र में उनकी गतिविधियों पर नजर रखे हुए हैं

नौसेना प्रमुख एडमिरल आर. हरि कुमार ने इसके साथ ही कहा है कि जहाजों और पनडुब्बियों के उत्पादन से लेकर कलपुर्जों एवं हथियारों तक, भारतीय नौसेना 2047 तक ‘‘पूरी तरह से’’ आत्मनिर्भर होगी। एडमिरल कुमार ने कहा कि रूस-यूक्रेन संघर्ष से बहुत कुछ सीखने को है, जिसमें नयी तकनीक, साइबर स्पेस और सभी तरह के गोला-बारूद का उपयोग देखा गया। उन्होंने कहा कि दोनों देशों के बीच संघर्ष ने किसी भी देश की रक्षा के लिए ‘आत्मनिर्भरता’ की आवश्यकता को रेखांकित किया है। ‘इंडिया डिफेंस कॉन्क्लेव’ 2022 के दौरान सवालों के जवाब में एडमिरल कुमार ने कहा, ‘‘2047 तक, हमारे पास एक पूर्ण स्वदेशी नौसेना होगी, चाहे वह जहाज हो, या पनडुब्बी, विमान, मानव रहित प्रणाली, हथियार आदि।’’ यह पूछे जाने पर कि क्या रूस-यूक्रेन संघर्ष के कारण भारतीय नौसेना की आपूर्ति श्रृंखला प्रभावित हुई है, उन्होंने कहा, ‘‘अब तक, हम पर कोई कड़ा दबाव नहीं है। हमारे पास पर्याप्त भंडार है। आज विमान या विमान की तैनाती के मामले में कोई कमी नहीं की गई है। हमने अपने देश के उद्योग से मदद लेने के लिए कदम उठाए हैं।’’