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जनप्रतिनिधियों के साथ समीक्षा के बाद सीएम योगी ने कहा, आगामी बजट 25 करोड़ जनता की आकांक्षाओं के अनुरूप होगा

लखनऊ मुख्यमंत्री योगी ने कहा कि अगले माह ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट और जी-20 के कार्यक्रमों के उपरांत आगामी वित्तीय वर्ष का बजट आंकलन प्रस्तुत किया जाना है। सभी विभाग अपनी भावी योजनाओं के अनुरूप बजट के लिए अपना प्रस्ताव तैयार कर भेजें। आगामी बजट 25 करोड़ जनता की आकांक्षाओं के अनुरूप होगा।

मुख्यमंत्री योगी अदित्यनाथ ने सांसद व विधायकगणों के साथ प्रदेश के सभी 18 मंडलों में संचालित विकास परियोजनाओं की गहन समीक्षा के बाद मंत्री व अपर मुख्य सचिव/प्रमुख सचिव/सचिव स्तर के अधिकारियों के साथ बैठक की। विशेष बैठक में मुख्यमंत्री ने वर्तमान वित्तीय बजट में प्राविधानित राशि के उपयोग की विभागवार समीक्षा की तथा जन अपेक्षाओं के अनुरूप विकास कार्यों को तेज करने संबंधी आवश्यक दिशा-निर्देश दिए।

मुख्यमंत्री योगी ने कहा कि अगले माह ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट और जी-20 के कार्यक्रमों के उपरांत आगामी वित्तीय वर्ष का बजट आंकलन प्रस्तुत किया जाना है। सभी विभाग अपनी भावी योजनाओं के अनुरूप बजट के लिए अपना प्रस्ताव तैयार कर भेजें। आगामी बजट 25 करोड़ जनता की आकांक्षाओं के अनुरूप होगा। बजट प्रस्ताव में लोककल्याण संकल्प पत्र के बिंदुओं का समावेश करें। यह सुनिश्चित करें कि आपका प्रस्ताव वास्तविक हो। जितनी आवश्यकता हो, उतनी ही डिमांड करें।

वित्तीय वर्ष 2022-23 समाप्त होने में अब दो माह ही शेष हैं। वर्तमान वित्तीय बजट की समाप्ति से पूर्व सभी विभागों द्वारा वर्तमान बजट में प्राविधानित धनराशि का यथोचित खर्च किया जाना सुनिश्चित किया जाए। विभाग स्तर भी पर खर्च की समीक्षा भी जाए। संबंधित मंत्रीगण भी अपने विभागीय स्थिति की समीक्षा करें।

वित्त विभाग द्वारा आगामी बजट प्रावधान तय करते समय वर्तमान वित्तीय वर्ष में विभाग के प्रदर्शन को भी दृष्टिगत रखा जाए। विभाग की मांग के अनुरूप ही बजट प्राविधान किया जाए।

प्रधानमंत्री के मार्गदर्शन में प्रदेश के समग्र विकास के लिए केंद्र सरकार द्वारा हमें हर संभव सहायता मिल रही है। केंद्र से सामंजस्य स्थापित कर अवशेष धनराशि प्राप्त करें। विभागीय मंत्री स्वयं भारत सरकार के मंत्रीगणों से संवाद करें। केन्द्रांश के अभाव में परियोजना बाधित न रखें। नियमानुसार राज्यांश जारी कर कार्य जारी रखा जाए। सभी विभाग शत-प्रतिशत उपयोगिता प्रमाण पत्र भेजना सुनिश्चित करें।

आवंटन के अनुरूप खर्च में होमगार्ड, ग्राम्य विकास, पंचायती राज, कृषि, पशुपालन, सहकारिता, लोक निर्माण विभाग, दिव्यांग जन सशक्तिकरण, एमएसएमई, नगर विकास, वन, व्यावसायिक शिक्षा को प्रयास तेज करने होंगे। इन विभागों में अनेक महत्वपूर्ण परियोजनाएं संचालित हो रही हैं, इन्हें प्राथमिकता के साथ पूरा कराएं।

गांवों में अवस्थापना सुविधाओं के विकास में आमजन को सहभागी बनाने के लिए मातृभूमि योजना प्रारंभ की जा रही है। बड़ी संख्या में लोगों ने इस योजना से जुड़कर अपने गांव में अपने पूर्वजों के नाम पर भवन, सड़क, कम्युनिटी सेंटर, आदि बनवाने की इच्छा जताई है। इस योजना से अधिकाधिक लोगों को जोड़ने के लिए प्रयास किया जाना चाहिए।

अंत्योदय के लक्ष्य के अनुरूप हर जरूरतमंद को सामाजिक सुरक्षा उपलब्ध कराने के लिए राज्य संकल्पित है। दिव्यांगजन, निराश्रित महिला और वृद्धावस्था पेंशन और छात्रवृत्ति की धनराशि नियमित अंतराल पर लाभार्थी को प्राप्त हो। इसमें कतई देरी नहीं होनी चाहिए। पेंशन की यह राशि लाभार्थी के लिए बड़ा संबल बनती है।

आगामी दो माह की अवधि में सभी विधानसभा क्षेत्रों में रोजगार मेलों का आयोजन हो। रोजगार एवं सेवायोजन विभाग, उद्योग विभाग के साथ मिलकर कार्ययोजना तैयार करे। इन मेलों के आयोजन के लिए स्थानीय जनप्रतिनिधियों का मार्गदर्शन लें। प्रभारी मंत्रीगण भी इन मेलों में उपस्थित रहेंगे।

बिजली बिल के समयबद्ध भुगतान के लिए उपभोक्ताओं को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए। इसके लिए यह जरूरी है कि लोगों को सही बिल मिले और समय पर मिले। ओवरबिलिंग, फाल्स बिलिंग अथवा विलंब से बिल दिया जाना उपभोक्ता को परेशान करती है। इस व्यवस्था में सुधार के लिए बिलिंग और कलेक्शन एफिशिएंसी बढ़ाने के लिए ऊर्जा विभाग को ठोस कार्ययोजना बनानी होगी। ग्रामीण इलाकों में विशेष प्रयास की जरूरत है। बिजली बिल की वसूली के नाम पर कहीं भी उत्पीड़न नहीं होना चाहिए।

प्रदेश में नवीन नगरों की स्थापना का कार्य यथाशीघ्र प्रारम्भ कर दिया नए। यह नए शहर आधुनिक नगरीय सुविधाओं का मानक गढ़ने वाले होंगे। अनुपूरक बजट में हमने ₹4,000 करोड़ की राशि इस हेतु प्राविधानित की है। योजना की महत्ता को देखते हुए इसे शीघ्र क्रियान्वित किया जाए।

जनप्रतिनिधियों से संवाद के दौरान नए बस स्टेशनों की स्थापना की आवश्यकता प्राप्त हुई है। 23 नए सर्वसुविधायुक्त बस स्टेशन बनाने के हमारे प्रयास का अच्छा रिस्पॉन्स मिला है। इसे तेजी से आगे बढ़ाया जाए। हमें नए रूट पर बसें चलानी हैं। इस संबंध में विभाग स्तर से योजनाबद्ध ढंग से कार्य किया जाए। हर जिले में पीपीपी मॉडल पर कम से कम एक आधुनिक मॉडल बस स्टेशन विकसित किया जाए। परिवहन विभाग की अधूरी परियोजनाओं को पूरा कराने के लिए शासन स्तर से हर संभव सहायता दी जाएगी।

निर्माण संबंधी विकास कार्यों में कार्यदायी संस्थाओं की बड़ी भूमिका होती है। मुख्य सचिव द्वारा सभी शासकीय कार्यदायी संस्थाओं में मैनपॉवर की उपलब्धता, दक्षता, क्षमता आदि की परीक्षण कर रिपोर्ट प्रस्तुत की जाए। आकांक्षात्मक विकास खंडों पर सभी विभागों को ध्यान देना होगा। इन जिलों में युवाओं को रोजगारोन्मुखी शिक्षा देने के लिए आईटीआई/पॉलिटेक्निक/कौशल विकास केंद्र की स्थापना की योजना तैयार करें।

जिन नए इंटर कॉलेजों/महाविद्यालयों का भवन निर्माण पूरा हो गया है और उन्हें हैंडओवर कर दिया गया है, उन्हें यथाशीघ्र क्रियाशील किया जाए। महाविद्यालयों में पाठ्यक्रम तय करते समय न्यू एज़ कोर्सेज को वरीयता दी जाए। यह सुनिश्चित कराएं की कहीं स्टाफ की कमी न हो।

50-60 वर्ष की आयु पूरी कर चुके राजकीय इंटर कॉलेजों के भवनों का जीर्णोद्धार किया जाना आवश्यक है। अब जर्जर हो चुके इन परिसरों ने देश को अनेक रत्न दिए हैं। इनके पुराने जर्जर भवनों को ध्वस्त कराकर नवीन भवन निर्माण के लिए बेहतर कार्ययोजना तैयार की जाए।

दिव्यांगजनों को रोजगार से जोड़ने के लिए उनके कौशल विकास पर जोर दिया जाना चाहिए। इन्हें मोटराइज़्ड ट्राई साइकिल दिया जाए। हरिहरपुर (आजमगढ़) में संगीत महाविद्यालय की स्थापना का कार्य समय से प्रारंभ कर दिया जाए। इसके लिए पर्याप्त धनराशि प्राविधानित है। इस कार्य में देर न हो।

निराश्रित गोवंश संरक्षण को और बेहतर करने की आवश्यकता है। इस संबंध में राज्य सरकार के स्तर पर निराश्रित गो-आश्रय स्थल निर्माण, सहभागिता योजना तथा कुपोषित परिवारों को गाय उपलब्ध कराने की तीन योजनाएं चल रही हैं। इन योजनाओं का प्रचार-प्रसार करना चाहिए। संभ्रांत परिवारों को भी गो-पालन के प्रति प्रेरित किया जाना चाहिए।

समस्त मंडलायुक्त, जिलाधिकारी, पुलिस कमिश्नर/कप्तान, मुख्य विकास अधिकारी आदि फील्ड में तैनात सभी अधिकारी गण स्थानीय जनप्रतिनिधियों से सतत संवाद-संपर्क बनाए रखें। माह में एक बार जनप्रतिनिधियों के साथ विकास परियोजनाओं की समीक्षा करें। इसी प्रकार जिला मॉनीटरिंग कमेटी की बैठक भी हो।

उद्योग बंधु की बैठक नियमित होनी चाहिए। प्रत्येक जिलाधिकारी, पुलिस कप्तान, व्यापार व उद्योग विभाग द्वारा माह में एक बार व्यापारिक संगठनों के साथ अनिवार्य रूप से बैठक की जाए। ज्यादातर समस्याओं का हल स्थानीय से ही निकल सकता है। जो मामले स्थानीय स्तर पर हल न हो सकें, उन्हें शासन को संदर्भित करें। इस दिशा में सकारात्मक सोच के साथ कोशिश की जाए।

सुशासन में समय से न्याय मिलना जरूरी होता है। अपराधों की अलग-अलग प्रकृति के अनुसार त्वरित न्याय के लिए अलग-अलग कानूनों से जुड़े अदालतों की व्यवस्था है। वर्तमान में जिलों में यह अदालतें अलग-अलग जगहों से काम-काज संचालित करती हैं।एक ही जिले में अलग-अलग दिशाओं में अदालतों के चलते न्यायिक अधिकारियों और फरियादियों दोनों को ही दिक्कत होती है। सुरक्षा इंतजाम और प्रशासनिक व्यवस्था में भी दिक्कतें आती हैं। इसको देखते हुए अदालतों के लिए एकीकृत कोर्ट भवन बनाये जाने की योजना को शीघ्र क्रियान्वित करें।