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AAP की याचिका पर हाईकोर्ट ने जो कहा, उस से केजरीवाल का दिल टूट जाएगा

नई दिल्ली। दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल भले खुद को कभी अराजकतावादी कह चुके हैं, भले ही संवैधानिक संस्थाओं पर सवाल खड़ा कर चुके हैं, लेकिन अब उनको उम्मीद की किरण केवल कोर्ट से ही दिखाई दे रही है। 20 विधायकों की सदस्यता जाने के बाद से ही AAP के नेता बौखलाए हुए हैं, कभी चुनाव आयोग पर आरोप लगाते हैं तो कभी राष्ट्रपति को ही बीजेपी का एजेंट कह देते हैं। चुनाव आयोग की सिफारिश पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने मुहर लगाई थी, जिसके कारण आप के 20 विधायकों की सदस्यता गई थी. लाभ के पद के मामले में ये फैसला आने के बाद आप के विधायकों ने दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका लगाई थी। उम्मीद थी कि कोर्ट राष्ट्रपति के फैसले पर कुछ कहेगा।

दिल्ली हाईकोर्ट ने याचिका पर सुनवाई करते हुए चुनाव आयोग को निर्देश दिया है, AAP को उम्मीद थी कि कोर्ट राष्ट्रपति के फैसले पर स्टे लगाएगा, लेकिन कोर्ट ने आप का दिल तोड़ दिया। हाईकोर्ट ने राष्ट्रपति के फैसले पर स्टे लगाने से इंकार करते हुए चुनाव आयोग को निर्देश दिया है कि सुनवाई पूरी होने तक वो उपचुनाव की घोषणा ना करें। इसी के साथ केंद्र सरकार के नोटिफिकेशन पर भी रोक लगाने से कोर्ट ने इंकार कर दिया है। आम आदमी पार्टी के विधायकों की तरफ से जो याचिका दाखिल की गई थी, उस में ये आशंका जताई गी थी कि चुनाव आयोग उपचुनाव का एलान कर सकता है। इसी पर हाईकोर्ट ने आयोग से कहा है कि वो सुनवाई पूरी होने तक चुनाव का एलान ना करे। इसी के साथ कोर्ट ने राष्ट्रपति के फैसले पर स्टे नहीं लगाया है।

याचिका में AAP के विधायकों ने दलील दी थी कि चुनाव आयोग ने हमारे पक्ष को नहीं सुना था, अब चुनाव आयोग के नए आयुक्त ओपी रावत ने खुद को इस मामले की सुनवाई से अलग कर लिया है। विधायकों ने एक बार फिर से दोहराया कि उनके खिलाफ लाभ के पद का मामला नहीं बनता है। बता दें कि आप के जिन 20 विधायकों की सदस्यता गई है उनमें से 8 विधायकों ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की है। फिलहाल आम आदमी पार्टी को इतनी राहत मिली है कि सुनवाई पूरी होने तक उपचुनाव का एलान नहीं किया जाएगा। लाभ के पद के मामले में आप के विधायक बुरी तरह से फंसे हुए हैं, सदस्यता पहले ही जा चुकी है। कोर्ट से भी राहत की उम्मीद कम ही है।

राष्ट्रपति द्वारा चुनाव आयोग की सिफारिश मंजूर किए जाने के बाद ही आप के 20 विधायक पूर्व विधायक हो गए थे। उसके बाद फौरन आप की तरफ से हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया गया था, हाईकोर्ट ने आप के विधायकों को अंतरिम राहत दने से इंकार कर दिया था। उसके बाद अब कोर्ट ने चुनाव का एलान नहीं करने को कहा है। इस से आम आदमी पार्टी को समय मिल गया है कि वो जनता के पास जाए और अपनी तैयारियों को पुख्ता करे, ये तो लगभग तय है कि इन 20 सीटों पर उपचुनाव होर रहेंगे। ऐसे में पार्टी तारीखों का एलान होने से पहले जनता तक ये संदेश पहुंचाना चाहती है कि ये बीजेपी और चुनाव आयोग की साजिश के कारण हुआ है। आप पर दबाव इस बात का भी है कि उसे सभी 20 सीटें जीतनी होगीं तभी उसकी प्रतिष्ठा बची रह पाएगी।